कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: बर्बरता के लोकव्यापीकरण के इस युग में शक्तिशाली देश, जो मिनटों में युद्ध समाप्त करने की सैन्य और राजनयिक क्षमता रखते हैं, चुपचाप विभीषिका देख रहे हैं. सृजनधर्मियों के लिए यह बर्बरता और हिंसा के विरुद्ध आवाज़ उठाकर अपनी पक्षधरता सत्यापित करने का समय है.
अमित शाह जानते हैं कि सभी भारतीयों पर हिंदी थोपने का उनका इरादा व्यवहारिक नहीं है. लेकिन इससे उनका ध्रुवीकरण का एजेंडा तो सध ही रहा है.
स्मृति शेष: कवि भविष्य देख सकता है क्योंकि उसके पास जो सामने है उसके आवरण को चीरकर अंदर झांक पाने का साहस होता है. जो आज बंगाल को लील जाने को खड़ा है और जिसके सामने बंगाल साधनविहीन नज़र आ रहा है, वह शंख बाबू को आज से बीस वर्ष पहले ही दिख गया था.
85 वर्षीय सौमित्र चटर्जी कोविड संक्रमित होने के बाद क़रीब एक महीने से कई बीमारियों के चलते अस्पताल में भर्ती थे. सत्यजीत रे की अपुर संसार से फिल्मी सफर शुरू करने वाले चटर्जी को पद्मभूषण समेत ढेरों राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था.