दिल्ली विश्वविद्यालय में एबीवीपी ने बोस और भगत सिंह के साथ लगाई सावरकर की मूर्ति, विवाद

दिल्ली विश्वविद्यालय के अन्य छात्र संगठन एनएसयूआई और आइसा ने विरोध करते हुए कहा है कि सावरकर को नेताजी सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह के समकक्ष नहीं रखा जा सकता. उन्होंने 24 घंटों के भीतर मूर्तियां नहीं हटाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू करने की धमकी दी.

मुस्लिम औरतों को धर्म के पिंजरे में सुरक्षित रहने की गारंटी कौन दे रहा है?

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इस्लामिक यूथ फेडरेशन ने एक तस्वीर जारी की है, जिसमें औरतों को इस्लाम के पिंजरे में क़ैद पंछी की शक्ल दी गई. बताया गया कि ये पिंजरा ही वो महफ़ूज़ जगह है, जहां औरतें न सिर्फ़ नेकियां कमा सकती हैं बल्कि तमाम 'ज़हरीली' विचारधाराओं से बची रह सकती हैं.

अंग्रेजों ने फांसी पर चढ़ाया, अब हम उनके विचारों की हत्या कर रहे हैं: भगत सिंह के भतीजे

भगत सिंह के भतीजे मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) श्योनान सिंह ने कहा कि क्रांति वह नहीं है कि आप किसी पर दाढ़ी रखने, मस्जिद जाने या राम मंदिर बनाने के लिए दबाव डालें. क्रांति एक विचार होती है जिससे अधिकतर लोग सहमत होते हैं और एक ऐसी व्यवस्था को बदलने का प्रयास करते हैं जो काम नहीं कर रही होती है. अपनी पीठ थपथपाना देशभक्ति नहीं है.

पाकिस्तान ने शादमान चौक का नाम बदलकर भगत सिंह चौक किया

शादमान चौक पर 23 मार्च 1931 को अंग्रेजी हुकूमत ने क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी पर चढ़ाया था. उस दौरान यह चौक एक जेल का हिस्सा था.

गृह मंत्रालय बताए, भगत सिंह शहीद हैं या नहीं: सीआईसी

केंद्रीय सूचना आयोग ने कहा सरकार स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करती है, पेंशन देती है, लेकिन भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों के परिवार को वित्तीय सहायता देना तो दूर, उन्हें शहीद का दर्जा भी नहीं दिया जाता.

क्यों राजनीति ने उर्दू को मुसलमान बना दिया है?

आम जनमानस में उर्दू मुसलमानों की भाषा बना दी गई है, शायद यही वजह है कि रमज़ान की मुबारकबाद देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने उर्दू को चुना. सच यह है कि जम्मू कश्मीर, पश्चिम बंगाल, केरल जैसे कई मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में उर्दू नहीं बोली जाती.

भगवतीचरण वोहरा: जिनके त्याग के आगे भगत सिंह को अपना बलिदान तुच्छ नज़र आता था

शहादत दिवस पर विशेष: क्रांतिकारी भगवतीचरण वोहरा के निधन पर भगत सिंह के शब्द थे, ‘हमारे तुच्छ बलिदान उस श्रृंखला की कड़ी मात्र होंगे, जिसका सौंदर्य कॉमरेड भगवतीचरण वोहरा के आत्मत्याग से निखर उठा है.’

मीडिया बोल, एपिसोड 49: प्रधानमंत्री का इतिहास ज्ञान, जनतंत्र और मीडिया

मीडिया बोल की 49वीं कड़ी में उर्मिलेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भाषणों में ग़लत ऐतिहासिक तथ्यों के इस्तेमाल और मीडिया की भूमिका पर वरिष्ठ पत्रकार विनोद कुमार और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मोहम्मद सज्जाद से चर्चा कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोई कांग्रेसी जेल में क्रांतिकारियों से नहीं मिला, पर सच ये नहीं है

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार कर रहे नरेंद्र मोदी का कांग्रेस के किसी नेता के भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त से जेल में न मिलने के बारे में किया गया दावा बिल्कुल ग़लत है.

राम मनोहर लोहिया: सच्चे लोकतंत्र की शक्ति सरकारों के उलट-पुलट में बसती है

लोहिया कहते थे कि किसी शख़्सियत का जन्मदिन मनाने या उसकी मूर्ति लगाने से, उसके निधन के 300 साल बाद तक परहेज रखना चाहिए ताकि इतिहास निरपेक्ष होकर यह फैसला कर पाए कि वह इसकी हक़दार थी या नहीं.

भगत सिंह और सावरकर: दो याचिकाएं जो हिंद और हिंदुत्व का अंतर बताती हैं

भगत सिंह ने ब्रिटिश सरकार से कहा कि उनके फांसी देने की जगह गोलियों से भून दिया जाए. सावरकर ने अपील की उन्हें छोड़ दिया जाए तो आजीवन क्रांति से किनारा कर लेंगे.

जिन क्रांतिकारियों के सहारे संघ गांधी पर निशाना साधता है, वे आरएसएस कैंप से नहीं आये थे

आरएसएस अगर आज़ादी की लड़ाई के बारे में बात करे तो वो क्या बताएगा? अगर वो सावरकर के बारे में बताएगा तो अंग्रेजों को लिखे गए सावरकर के माफ़ीनामे सामने आ जाते हैं.