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लालू प्रसाद यादव की राजद से गठबंधन तोड़ने के बाद जदयू नेता नीतीश कुमार ने 9वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. उनके साथ दो उप-मुख्यमंत्री और 6 मंत्रियों ने भी शपथ ली है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि बार-बार राजनीतिक साझेदार बदलने वाले नीतीश कुमार रंग बदलने में गिरगिटों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं.
नीतीश कुमार के अलावा भाजपा से दो उप-मुख्यमंत्रियों सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा के अलावा बिजेंद्र प्रसाद यादव, संतोष कुमार सुमन, श्रवण कुमार समेत छह अन्य मंत्रियों ने भी रविवार को शपथ ली. राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि 2024 में जदयू ख़त्म हो जाएगी. ये लोग कुछ भी करें, मुझे विश्वास है कि बिहार के लोग हमारे साथ हैं.
पटना में बीते 12 जुलाई को विभिन्न संगठनों द्वारा आयोजित एक जनसुनवाई में राज्य के भ्रष्टाचार को उजागर करते हुए जान गंवाने वाले आरटीआई कार्यकर्ताओं के परिजनों ने शिरकत की. इस दौरान एक प्रस्ताव पारित कर सरकार से मांग की गई कि वह इन मामलों में उचित जांच सुनिश्चित करने के लिए एक न्यायिक आयोग बनाए और क़ानून प्रवर्तक एजेंसियों को समयबद्ध तरीके से जांच पूरी करने का निर्देश दे.
वीडियो: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीते 27 मार्च को अपने कैबिनेट मंत्री और विकासशील इंसान पार्टी प्रमुख मुकेश साहनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया. बताया जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर बार-बार हमला बोलने के कारण भाजपा उनसे काफी नाराज़ थी. साहनी की पार्टी ने यूपी में 50 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे कोई सफलता नहीं मिल पाई थी.
राज्य के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि भाजपा द्वारा मुकेश साहनी को मंत्री पद से हटाने के आग्रह के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजभवन को इसकी सिफ़ारिश की थी. भाजपा का कहना था कि साहनी अब राजग गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं, इसलिए उन्हें मंत्री पद से हटाया जाना चाहिए.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना की अपनी मांग को दोहराते हुए कहा कि इससे विकास की दौड़ में पिछड़ रहे समुदायों की प्रगति में मदद मिलेगी. इसकी मांग न केवल बिहार बल्कि कई राज्यों से आ रही है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में जाति के आधार पर जनगणना को ख़ारिज करते हुए कहा था कि पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर’ है.
सीआईएबीसी परिसंघ ने ज्ञापन देकर कहा है कि शराबबंदी के कारण ही बिहार में अवैध शराब की तस्करी बढ़ी है तथा सरकारी ख़ज़ाने को बड़ा नुक़सान हुआ है. हाल ही में आए एनएफएचएस-5 के मुताबिक़ बिना शराबबंदी वाले महाराष्ट्र की तुलना में बिहार में शराब का उपभोग अधिक है.
साल 2016 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी लागू की थी. अब राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे में सामने आया है कि बिना शराबबंदी वाले महाराष्ट्र की तुलना में बिहार में शराब का उपभोग अधिक है.
राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेज प्रताप यादव ने ट्वीट कर कहा है कि सच्चे और झूठे का स्कोर मैच नहीं कर रहा था इसलिए कोच साहब ने बीच मैच में ही कैप्ट बदल दिया. अमंगल तो थे ही बेईमान भी निकले.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दावे के उलट कैग की रिपोर्ट बताती है कि शराबबंदी के कारण वित्त वर्ष 2016-2017 में कर राजस्व में गिरावट आई है.
बिहार में लालू प्रसाद यादव के बाद मुस्लिम समुदाय को नीतीश कुमार से बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन वो एक-एक कर टूटती चली गईं.
बिहार में दो साल से लागू बिहार मद्य निषेध व उत्पाद अधिनियम, 2016 में करीब आधा दर्जन संशोधन के प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है. 20 जुलाई से शुरू हो रहे विधानसभा के मॉनसून सत्र में संशोधन प्रस्ताव को पेश किया जाएगा. इसे लेकर काफी हंगामा होने की उम्मीद है.
शराबबंदी क़ानून के तहत अब तक कुल 1 लाख 21 हज़ार 586 लोगों की ग़िरफ्तारी हुई है, जिनमें से अधिकांश बेहद ग़रीब तबके से आते हैं.
बिहार विधान परिषद में मद्य निषेध और उत्पाद मंत्री ने बताया कि इस संबंध में अब तक एक लाख 21 हज़ार 586 लोगों को गिरफ़्तार किया गया, जिनमें से एक लाख 21 हज़ार 542 व्यक्ति जेल भेजे गए.