बिहार के सीतामढ़ी में बीते 20 अक्टूबर को मूर्ति विसर्जन के दौरान निकले जुलूस में शामिल कुछ लोगों ने एक बुज़ुर्ग ज़ैनुल अंसारी की पीट-पीट कर हत्या करने के बाद उन्हें जला दिया था.
बीते शुक्रवार को बिहार की राजधानी पटना में एक महिला पुलिसकर्मी की मौत के बाद पुलिसवालों ने अधिकारियों पर प्रताड़ना का आरोप लगाया था और पुलिस लाइन में जमकर हंगामा किया था.
मामले की जांच के दौरान बिहार की सामाजिक कल्याण मंत्री मंजू वर्मा ने इस्तीफा दे दिया था. उच्चतम न्यायालय ने बिहार की पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा और उनके पति चंद्रशेखर वर्मा से पूछताछ करने को कहा है.
सूत्रों के मुताबिक बाड़मेर के पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित की गिरफ़्तारी के मामले पर बिहार सरकार द्वारा गठित जांच समिति की रिपोर्ट में एक एएसपी के ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफ़ारिश की गई है.
पटना में एससी-एसटी एक्ट के तहत दायर मामले में राजस्थान के पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित को निजी मुचलके पर जमानत मिल गई है.
पटना में एससी-एसटी एक्ट के तहत दायर मामले में राजस्थान के पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित का कहना है कि वे कभी बिहार नहीं गए. वहीं, दूसरी ओर जिसके नाम से शिकायत दर्ज कराई गई है उसने ऐसी कोई शिकायत दर्ज कराने से इनकार किया है.
समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा कुशवाहा समाज से आती हैं, जिसका बिहार में ओबीसी समुदाय के वोटबैंक में आठ प्रतिशत का योगदान है. माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव नज़दीक होने की वजह से उन्हें हटाकर राजग अपने वोटबैंक का नुकसान नहीं करना चाह रहा था.
मुज़फ़्फ़रपुर आश्रय गृह से कथित रूप से भागी चार में से एक लड़की उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मिली है. वह उन चार लड़कियों में शामिल थी जो भागने में कामयाब रहीं जबकि तीन अन्य की मौत हो चुकी है.
एक जून से 14 जून तक बिहार के सूचना व जनसंपर्क विभाग की ओर से मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के अख़बार ‘प्रातः कमल’ के नाम 14 विज्ञापन जारी किए गए. सूचना व जनसंपर्क विभाग ख़ुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार संभालते हैं.
मुज़फ़्फ़रपुर स्थित एक बालिका गृह में रह रहीं लड़कियों के बलात्कार और यौन उत्पीड़न मामले पर पहली बार प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दोषियों को न बख्शने की बात कही.
शीर्ष अदालत ने कहा कि मीडिया द्वारा पीड़िताओं का साक्षात्कार लेकर उन्हें बार-बार अपने अपमान को दोहराने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता. साथ ही, अदालत ने मामले में केंद्र और बिहार सरकार से जवाब मांगा है.
ब्रजेश के स्वामित्व वाले अख़बार 'प्रात: कमल' की 300 से अधिक प्रतियां प्रकाशित नहीं होती हैं लेकिन प्रसारण संख्या 60,862 प्रति रोजाना दिखाकर बिहार सरकार से हर वर्ष क़रीब 30 लाख रुपये के विज्ञापन लिए जाते थे.
ब्रजेश के स्वामित्व वाले एक हिंदी दैनिक की 300 से अधिक प्रतियां प्रकाशित नहीं होती हैं लेकिन प्रतिदिन 60,862 प्रतियां छपीं दिखाकर बिहार सरकार से प्रति वर्ष करीब 30 लाख रुपये के विज्ञापन मिलते थे. आरोपी राज्य जनसंपर्क विभाग से मान्यता प्राप्त पत्रकार था.
मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के सेवा संकल्प एवं विकास समिति नाम के एनजीओ द्वारा मुज़फ़्फ़रपुर के छोटी कल्याणी इलाके में संचालित स्वयं सहायता समूह का मामला. ठाकुर के ख़िलाफ़ एक और प्राथमिकी दर्ज.
बिहार सरकार के फंड से मुज़फ़्फ़रपुर में चल रहे बालिका गृह में रहने वाली 42 बच्चियों में से अब तक 34 बच्चियों से रेप व यौन शोषण की पुष्टि हो चुकी है.