सीएए के नियम तय करने के लिए गृह मंत्रालय ने फिर समय विस्तार मांगा

विवादित नागरिकता संशोधन अधिनियम के प्रावधान तैयार करने के लिए गृह मंत्रालय ने सातवीं बार समय विस्तार मांगा है. अधिकारियों के अनुसार, मंत्रालय को राज्यसभा से अगले छह महीनों के लिए मंज़ूरी मिल गई. हालांकि लोकसभा से अनुमति मिलना शेष है.

नौ राज्यों के 31 डीएम पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफ़ग़ानिस्तान के ग़ैर-मुस्लिमों को नागरिकता दे सकेंगे

केंद्रीय गृह मंत्रालय की वर्ष 2021-22 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र ने अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों को नागरिकता देने का अधिकार 2021-22 में और 13 ज़िला कलेक्टरों और दो राज्यों के गृह सचिवों को सौंपा गया है.

गुजरात: दो ज़िलों से पाकिस्तानी, बांग्लादेशी, अफ़ग़ानी अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने को कहा गया

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 16 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए गुजरात के मेहसाणा और आनंद ज़िलों के कलेक्टरों को पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफ़ग़ानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बुद्ध, जैन, पारसी, ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता प्रमाण पत्र प्रदान करने की अनुमति दी है.

सीएए के नियम तैयार करने के लिए सरकार को फिर अतिरिक्त समय दिया गया

विवादित नागरिकता संशोधन अधिनियम के प्रावधान तैयार करने के लिए राज्यसभा ने गृह मंत्रालय को 31 दिसंबर 2022, जबकि लोकसभा ने नौ जनवरी 2023 तक का समय दिया है. यह सीएए के प्रावधान तैयार करने के लिए गृह मंत्रालय को दिया गया सातवां विस्तार है.

इन 5 तथ्यों से जानिए मोदी सरकार सीएए पर आपको कैसे बेवकूफ़ बना रही है

वीडियो: जब अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदुओं और सिखों की रक्षा करने की बात आती है तो मोदी सरकार के शब्दों और कार्यों के बीच के अंतर नज़र आता है. द वायर के साहिल मुरली मेंघानी इस रिपोर्ट में बता रहे हैं कि कैसे भाजपा नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) पर भारतीयों को बेवकूफ़ बना रही है.

केरल में लागू नहीं होगा नागरिकता संशोधन अधिनियम: मुख्यमंत्री विजयन

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम देश की धर्म-निरपेक्षता के ख़िलाफ़ है. यहां किसी को भी धर्म के आधार पर नागरिकता तय करने का अधिकार नहीं है. हमारा देश भारत के संविधान में उल्लिखित धर्म-निरपेक्षता के सिद्धांत पर काम करता है. आजकल धर्म-निरपेक्षता को नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है. इसे लेकर एक ख़ास वर्ग के लोग ख़ासे चिंतित हैं.

असम में मुस्लिमों सहित छह धार्मिक समुदायों को मिलेगा अल्पसंख्यक होने का प्रमाण-पत्र

असम मंत्रिमंडल ने मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी समुदाय के लोगों को अल्पसंख्यक प्रमाण-पत्र जारी करने का फैसला किया है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री केशब महंत ने कहा कि हमारे पास अल्पसंख्यकों के लिए कई योजनाएं हैं, अल्पसंख्यकों के लिए एक अलग विभाग है. लेकिन अल्पसंख्यक कौन हैं? कोई पहचान नहीं है. उनकी पहचान करने की ज़रूरत है, ताकि ऐसी योजनाएं उन तक पहुंच सकें.

सीएए के तहत नियम बनाने के लिए गृह मंत्रालय ने छह महीने का समय और मांगा

यह पांचवीं बार है जब गृह मंत्रालय नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत नियमों को तैयार करने के लिए समय के विस्तार की मांग कर रहा है. इससे पहले, 9 जनवरी को केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी के चलते नियम बनाने में देरी का हवाला देते हुए तीन महीने के विस्तार की मांग की थी. इस बार मंत्रालय ने 9 अक्टूबर तक का समय मांगा है.

केंद्र ने कोर्ट में कहा, राज्य भी धार्मिक और भाषाई समुदायों को अल्पसंख्यक घोषित कर सकते हैं

भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने एक याचिका में अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के लिए राष्ट्रीय आयोग अधिनियम-2004 की धारा-2 (एफ) की वैधता को चुनौती दी है. इसके जवाब में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि राज्य सरकारें भी अपने राज्य की सीमा में हिंदू समेत अन्य धार्मिक और भाषाई समुदायों को अल्पसंख्यक घोषित कर सकती हैं.

संयुक्त राष्ट्र को हिंदुओं, सिखों, बौद्धों के ख़िलाफ़ भय को पहचानना चाहिएः भारत

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने ग्लोबल काउंटर टेररिज़्म काउंसिल द्वारा आयोजित कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि क्रिश्चियनफोबिया, इस्लामोफोबिया, यहूदी फोबिया की तरह ही हिंदूफोबिया को भी पहचानने की ज़रूरत है ताकि ऐसे मामलों पर चर्चा के लिए संतुलन लाया जा सके.

अल्पसंख्यक की परिभाषा तय करने में संविधान विशेषज्ञों की राय लेगा आयोग

सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका में दायर कर कहा गया है कि हिंदू जो राष्ट्रव्यापी आंकड़ों के अनुसार एक बहुसंख्यक समुदाय है, पूर्वोत्तर के कई राज्यों और जम्मू कश्मीर में अल्पसंख्यक है. कोर्ट ने अल्पसंख्यक आयोग को परिभाषा तय करने के लिए तीन महीने का समय दिया है.

तीन महीने के भीतर अल्पसंख्यक की परिभाषा तय करे राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग: सुप्रीम कोर्ट

भाजपा नेता अश्वनी कुमार उपाध्याय ने एक जनहित याचिका दायर कर कहा है कि हिंदू जो राष्ट्रव्यापी आंकड़ों के अनुसार एक बहुसंख्यक समुदाय है, पूर्वोत्तर के कई राज्यों और जम्मू कश्मीर में अल्पसंख्यक है. हिंदू समुदाय उन लाभों से वंचित है जो कि इन राज्यों में अल्पसंख्यक समुदायों के लिए मौजूद हैं. अल्पसंख्यक आयोग को इस संदर्भ में ‘अल्पसंख्यक’ शब्द की परिभाषा पर पुन: विचार करना चाहिए.