बजट में आदिवासियों की अनदेखी, बजटीय आवंटन आबादी के अनुपात में नहीं: आदिवासी अधिकार मंच

आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच ने कहा कि आम बजट में जनजातीय समुदाय की अनदेखी करते हुए उसके लिए कुल बजट की 8.6 प्रतिशत राशि के बजाय केवल 2.26 प्रतिशत राशि आवंटित की गई है.

बजट में आरटीई क़ानून की अनदेखी, ग़ैर-बराबरी व निजीकरण को बढ़ावा देने वाला: संगठन

राइट टू एजुकेशन फोरम का कहना है कि बजट के आधे-अधूरे और अदूरदर्शी प्रावधान बताते हैं कि सरकार स्कूली शिक्षा को लेकर बिल्कुल संजीदा नहीं है. डिजिटल लर्निंग और ई-विद्या संबंधी प्रस्ताव निराशाजनक हैं, जिनसे वंचित वर्गों समेत अस्सी फीसदी बच्चों के स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर होने का ख़तरा मंडरा रहा है.

मनरेगा के तहत 3,360 करोड़ रुपये का भुगतान लंबितः केंद्र सरकार

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट में 2022-2023 के लिए मनरेगा के लिए 73,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. यह मौजूदा वित्त वर्ष के लिए संशोधित अनुमान से 25.51 फीसदी कम है.

शिक्षा बजट में लगातार होती कटौती निजीकरण की सरकारी मंशा दर्शाती है

शिक्षाविद और नीति-निर्माता उम्मीद कर रहे थे कि शिक्षा के क्षेत्र में सरकार कुछ अहम क़दम उठाएगी क्योंकि लाखों छात्रों ने कोरोना महामारी के चलते अपनी शिक्षा के अहम वर्षों का नुकसान उठाया है, हालांकि बजट से उन सभी को निराशा हुई है.

रक्षा बजट में ‘आत्मनिर्भरता’ की बात करते हुए 68% राशि घरेलू उद्योगों को आवंटित

भारत का रक्षा बजट वित्तीय वर्ष 2021-22 में 4.78 करोड़ रुपये था. वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए इसे बढ़ाकर 5.25 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है.

कृषि बजट में ‘तकनीक आधारित मॉडल’ को बढ़ावा, किसानों की मांगों की अनदेखी

बजट में एमएसपी भुगतान के लिए 2.37 लाख करोड़ रुपये के आवंटन के साथ गेहूं व धान किसानों को निश्चित आय का आश्वासन दिया गया है, पर इसके अमल के बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है. किसान नेताओं ने बजट को निराशाजनक बताते हुए कहा कि उनकी आय दोगुनी करने के वादे पूरे नहीं किए हैं.

बजट 2022-23: आठ बिंदुओं में समझें कि प्रमुख क्षेत्रों को कितना आवंटन हुआ

द वायर ने आठ बिंदुओं में समझाने की कोशिश की है कि पिछले कुछ वर्षों में केंद्र सरकार ने प्रमुख क्षेत्रों और कुछ महत्वपूर्ण कल्याणकारी योजनाओं पर कितना ख़र्च किया है और आने वाले वर्षों में वह इसके लिए कितना  ख़र्च करने की बात कह रही है.

बजट 2022: आयकर दरों में कोई बदलाव नहीं, विपक्ष ने कहा- मध्यम वर्ग के साथ विश्वासघात

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट पेश करते हुए आयकर दरों में कोई बदलाव नहीं किया और मानक कटौती को भी यथावत रखा है, जिसकी सीमा फिलहाल 50,000 रुपये है. विपक्षी नेताओं ने बजट की आलोचना करते हुए कहा कि इसमें देश के किसानों, ग़रीबों, वेतनभोगियों और मध्यम वर्ग के लिए कुछ नहीं है.

भारतीय अर्थव्यवस्था में कुछ उजले पहलू हैं, लेकिन साथ में बहुत से काले धब्बे भी हैं: रघुराम राजन

भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गर्वनर ने कहा कि अर्थव्यवस्था के बारे में सबसे बड़ी चिंता मध्यम वर्ग, लघु एवं मझोले क्षेत्र और हमारे बच्चों को लेकर है. ये सारी चीज़ें मांग में कमी के चलते लगने वाले शुरुआती झटकों के बाद केंद्र में आएंगी. सरकार को अपने ख़र्च को सावधानी से तय करने की ज़रूरत है, ताकि राजकोषीय घाटे को बहुत ऊंचाई पर पहुंचने से रोका जा सके.

केजरीवाल के दावों की पोल खोलता दिल्ली का दौराला गांव

वीडियो: हाल ही में दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने बजट पेश किया और उसमें उन्होंने कई दावे किए जैसे घर-घर बिजली, पानी और मेडिकल सुविधाएं आदि. केजरीवाल के दावों में कितनी सच्चाई है यह जानने के लिए द वायर के पत्रकार याक़ूत अली और इस्मत आरा ने दिल्ली के दौराला गांव के लोगों का हाल जाना.

देशभक्ति बजट से क्या आम आदमी पार्टी सरकार देशभक्ति पैदा करेगी?

वीडियो: आम आदमी पार्टी ने बजट पेश किया है जिसे देशभक्ति बजट कहा जा रहा है. जिसमें दिल्ली में जगह-जगह तिरंगा लगाने से लेकर बच्चों को देशभक्ति का पाठ्यक्रम पढ़ाने की बात हो रही है. इस विषय पर प्रोफेसर व शिक्षाविद अनीता रामपाल से दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अपूर्वानंद की बातचीत.

निजीकरण के लिए बैंक ऑफ इंडिया समेत चार बैंकों का चयन: रिपोर्ट

सरकार ने निजीकरण के लिए जिन चार बैंकों का चयन किया गया है वे बैंक ऑफ महाराष्ट्र, बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया हैं. सरकार का यह कदम उसकी उस बड़ी योजना का हिस्सा है जिसके तहत वह सरकारी संपत्तियों को बेचकर राजस्व बढ़ाने की तैयारी कर रही है.

बैंकों के निजीकरण की योजना के कार्यान्वयन के लिए रिज़र्व बैंक के साथ मिलकर काम करेंगे: सीतारमण

पिछले सप्ताह पेश केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विनिवेश योजना के तहत दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा की है. हालांकि, उन्होंने इस बारे में बताने से इनकार कर दिया कि किस या किन बैंकों को बिक्री के लिए चुना जा रहा है. फ़िलहाल बैंक यूनियनों ने इस क़दम का विरोध किया है.

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य ने कहा- बजट में दूरदर्शिता का अभाव

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की अंशकालिक सदस्य आशिमा गोयल ने इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट रिसर्च में कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के करीब तीन घंटे के भाषण में आर्थिक नरमी का एक बार भी जिक्र नहीं होना हैरान करने वाली बात है.

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