पुस्तक समीक्षा: हाल ही में नागरिक अधिकार कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज की जेल डायरी ‘फ्रॉम द फांसी यार्ड: माय इयर्स विथ द वूमेन ऑफ यरवदा’ प्रकाशित होकर आई है. इस डायरी को उन्होंने पुणे की यरवदा जेल में रहते हुए लिखा है. एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले के आरोपियों में से एक सुधा 3 साल से अधिक समय तक जेल में रही हैं.
एक स्वतंत्रता सेनानी की 90 वर्षीय पत्नी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में दाख़िल याचिका में महाराष्ट्र सरकार की पेंशन योजना का लाभ देने का अनुरोध किया है. महिला के पति की 56 साल पहले मौत हो गई थी. इस याचिका पर अदालत ने सरकार से जवाब मांगा है.
कोरोना संक्रमित अधिकारी की तैनाती केंद्रीय कारागार नंबर-7 में तैनात थी. इससे पहले दिल्ली की रोहिणी जेल में सहायक अधीक्षक और मंडोली जेल के उपाधीक्षक भी संक्रमित पाए गए थे.
भायखला जेल अधिकारियों ने कैदियों के बीमार होने के पीछे विषाक्त भोजन, दूषित जल या दवा का नुकसानदेह असर होने का संदेह जताया था. 20 जुलाई को एक साथ 81 महिला कैदियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
हिरासत में होने वाली हिंसा और जेलों की स्थिति पर सामाजिक कार्यकर्ता अरुण फरेरा और वर्णन गोंसाल्विस से बातचीत.