मृणाल सेन का सिनेमा संसार

मृणाल सेन का सिनेमा कलात्मक और बौद्धिक संवेदना का नायाब संयोजन था. वह चाहते थे कि सिनेमा उपेक्षितों के पास और सुदूर देहातों में पहुंचे. उन्हें ‘नए सिनेमा’ से यह उम्मीद थी. उनकी फिल्म देखने के बाद बहुत देर तक उसकी छवियां बेताल की तरह सिर पर नाचती रहती हैं.

यह याद रखना चाहिए सरकार का विरोध करना अपराध नहीं है

आज के नव उग्र-राष्ट्रवादी समय में यह याद करना फ़ायदेमंद होगा कि परिपक्व राष्ट्र युद्ध के समय भी साधारण व्यक्तियों या सुपरस्टारों को भी आधिकारिक ‘लकीर’ से अलग चलने की आज़ादी देता है.