द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
सीबीआई बनाम सीबीआई विवाद को लेकर चर्चा में रहे दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना को केंद्र ने सेवानिवृत्ति के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सात 'विशेष मॉनिटरों' में से एक के रूप में चुना है. वे आयोग में आतंकवाद विरोधी, सांप्रदायिक दंगों और वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा जैसे क्षेत्रों पर नज़र रखेंगे.
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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की पीठ के समक्ष यह टिप्पणी पश्चिम बंगाल सरकार की उस याचिका का विरोध करते हुए की, जिसमें सीबीआई पर राज्य की सहमति के बिना जांच शुरू करने का आरोप लगाया गया है. नवंबर 2018 में राज्य सरकार ने मामलों की जांच के लिए सीबीआई को दी गई अपनी सामान्य सहमति वापस ले ली थी.
भाजपा में रहे डोगरा स्वाभिमान संगठन के अध्यक्ष और पूर्व सांसद चौधरी लाल सिंह ने 2019 में केंद्र द्वारा अनुच्छेद 370 निरस्त करने के फैसले के बाद पार्टी छोड़ दी थी. अब ईडी ने उनकी पत्नी द्वारा संचालित एक एनजीओ द्वारा भूमि अधिग्रहण में अनियमितताओं से संबंधित मामले में उन्हें गिरफ़्तार किया है.
यह मामला 40 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी से जुड़ा हुआ है. इस संबंध में आम आदमी पार्टी विधायक जसवंत सिंह गज्जन माजरा और तारा कॉरपोरेशन लिमिटेड सहित अन्य के ख़िलाफ़ पंजाब के लुधियाना स्थित बैंक ऑफ इंडिया की एक शाखा की शिकायत के आधार पर केस दर्ज किया गया है.
साक्षात्कार: मध्य प्रदेश में शिक्षा जगत के बहुचर्चित व्यापमंं घोटाले का खुलासा करने वालों में से एक आरटीआई कार्यकर्ता आशीष चतुर्वेदी दशक भर से जारी घोटाले की जांच पर कहते हैं कि केंद्र और राज्य में भाजपा सरकारें होने के चलते सीबीआई दबाव में काम कर रही है. जब कांग्रेस ने राज्य में सरकार बनाई, तो उसने भी घोटाले की जांच का चुनावी वादा पूरा नहीं किया.
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर ऐसे कई मामले हैं, जहां केंद्रीय जांच ब्यूरो ने ख़ुद को ‘सीबीआई’ के बजाय ‘रिपब्लिक ऑफ इंडिया’ के रूप में प्रस्तुत किया है. ऐसे ही एक मामले में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि सीबीआई का काम एक स्वतंत्र एजेंसी के रूप में केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की अवैधताओं की जांच करना है. आप संघ या गणतंत्र का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के चर्चित उन्नाव बलात्कार मामले की सर्वाइवर ने पुलिस में अपनी मां, छोटी बहन, चाचा और एक अन्य के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया है कि उन्होंने सरकार और विभिन्न एनजीओ से उन्हें मिले पैसे हड़प लिए हैं और दिल्ली में सरकार द्वारा दिए गए घर से उन्हें बाहर निकाल दिया है.
आरोप है कि वडोदरा के मयंक तिवारी नाम के व्यक्ति ने प्रधानमंत्री कार्यालय का निदेशक (सरकारी सलाहकार) होने का दावा किया. वह लोगों को धमकाकर या 'विवादों को निपटाने' के लिए पीएमओ के नाम का इस्तेमाल करके करोड़ों रुपये इकट्ठा कर रहा था.
जम्मू कश्मीर में एक आईएएस ने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के कार्यान्वयन में अनियमितताओं के आरोप लगाए थे और सीबीआई को पत्र लिखा था. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व वाले प्रशासन की ओर से कहा गया है कि अकाट्य तथ्यों और आंकड़ों की गहन जांच अधिकारी के पत्र में किए गए आधारहीन दावों को झुठलाती है.
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न्यूज़क्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती फिलहाल दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज यूएपीए मामले में न्यायिक हिरासत में हैं.