चुनाव आयोग ने रोड-शो और जनसभाओं पर 22 जनवरी तक रोक लगाई

चुनाव आयोग ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र राजनीतिक दलों को यह छूट दी है कि वे अधिकतम 300 व्यक्तियों के साथ या हॉल क्षमता के 50 प्रतिशत या राज्य आपदा प्रबंधन अधिकारियों द्वारा निर्धारित सीमा के तहत बंद स्थानों पर बैठकें आयोजित कर सकते हैं. आयोग ने कहा कि वह बाद में स्थिति की समीक्षा करेगा और नया निर्देश जारी करेगा.

पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की घोषणा, यूपी में सात चरणों में होंगे मतदान, मतगणना 10 मार्च को

उत्तर प्रदेश में 10 फरवरी को पहले चरण, 14 फरवरी को दूसरे चरण, 20 फरवरी को तीसरे चरण, 23 फरवरी को चौथे चरण, 27 फरवरी को पांचवें चरण, तीन मार्च का छठे चरण और सात मार्च को सातवें चरण के मतदान होंगे. वहीं मणिपुर में दो चरणों में 27 फरवरी और तीन मार्च को तथा उत्तराखंड, पंजाब और गोवा में 14 फरवरी को एक चरण में वोट डाले जाएंगे.

सभी राजनीतिक दल तय समय पर विधानसभा चुनाव चाहते हैं: मुख्य चुनाव आयुक्त

मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा यह बयान हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज के उस आग्रह के मद्देनज़र काफ़ी महत्वपूर्ण है, जिसमें उन्होंने कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव को कुछ समय के लिए टालने पर विचार करने को कहा था.

पीएमओ बैठक विवाद: क़ानून मंत्रालय ने कहा, वह पत्र सचिव या सीईसी के प्रतिनिधि के लिए था

चुनाव आयोग को बीते 15 नवंबर को कानून मंत्रालय की ओर से एक पत्र मिला था, जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा मतदाता सूची को लेकर एक बैठक लेने वाले हैं और चाहते हैं कि इसमें ‘मुख्य चुनाव आयुक्त’ मौजूद रहें. इस ‘असामान्य’ पत्र को लेकर विवाद खड़ा हो गया था, क्योंकि चुनाव आयोग आमतौर पर अपने कामकाज की स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए सरकार से दूरी बनाए रखता है.

केंद्र से बैठक में शामिल होने का पत्र मिलने पर चुनाव आयुक्त ने पीएमओ से बातचीत की थीः रिपोर्ट

चुनाव आयोग को बीते 15 नवंबर को कानून मंत्रालय की ओर से एक पत्र मिला था, जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा एकल मतदाता सूची को लेकर एक बैठक लेने वाले हैं और चाहते हैं कि इसमें ‘मुख्य चुनाव आयुक्त’ मौजूद रहें. यह पत्र बहुत ही असामान्य था, क्योंकि चुनाव आयोग आमतौर पर अपने कामकाज की स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए सरकार से दूरी बनाए रखता है.

पीएमओ की बैठक में चुनाव आयुक्तों को बुलाने वाले पत्र पर पूर्व सीईसी ने कहा- यह उचित नहीं

बीते 15 नवंबर को चुनाव आयोग को क़ानून मंत्रालय का एक पत्र मिला था, जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा एकल मतदाता सूची को लेकर एक बैठक की अध्यक्षता करने वाले हैं और चाहते हैं कि इसमें ‘मुख्य चुनाव आयुक्त’ मौजूद रहें. इस पत्र को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. कहा जा रहा है कि चुनाव आयोग अपने कामकाज की स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए सरकार से दूरी बनाए रखता है.

पीएमओ के चुनाव सुधारों पर चुनावों आयुक्तों के साथ बातचीत पर विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा

चुनाव आयोग को बीते 15 नवंबर को क़ानून मंत्रालय की ओर से एक पत्र मिला था, जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा एकल मतदाता सूची को लेकर एक बैठक लेने वाले हैं और चाहते हैं कि इसमें ‘मुख्य चुनाव आयुक्त’ मौजूद रहें. यह पत्र बहुत ही असामान्य था, क्योंकि चुनाव आयोग आमतौर पर अपने कामकाज की स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए सरकार से दूरी बनाए रखता है.