विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के लिए सरकार के 24,000 करोड़ रुपये के ‘पीएम-जनमन’ पैकेज के कार्यान्वयन के लिए जनसंख्या की जानकारी महत्वपूर्ण है. हालांकि सरकार पिछले तीन महीनों में कुल पीवीटीजी आबादी के लिए तीन भिन्न अनुमानों पर पहुंची है. अधिकारियों का कहना है कि ये आंकड़े अंतिम नहीं हैं.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आख़िरी बजट पेश किया. सरकार ने मनरेगा के लिए 86,000 करोड़ रुपये, जबकि जनगणना के लिए महत्वपूर्ण कमी के साथ 1,277.80 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. बजट में ग्रामीण विकास पर 2,65,808 करोड़ रुपये ख़र्च करने की उम्मीद है.
वीडियो: बिहार में जाति आधारित जनगणना, देश में मंडल राजनीति पर दोबारा चर्चा शुरू होने और आरक्षण के मुद्दे पर होने वाले टकरावों को लेकर राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव और द वायर के सह-संस्थापक एमके वेणु से इंद्र शेखर सिंह की बातचीत.
वीडियो: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा राज्य में हुए जातिगत सर्वे के बाद 75% आरक्षण लागू करने और इसके निहितार्थों पर सत्तारूढ़ जदयू के वरिष्ठ सांसद केसी त्यागी और द वायर के सह-संस्थापक एमके वेणु से इंद्र शेखर सिंह की बातचीत.
वीडियो: बिहार की जातिगत जनगणना को लेकर राजनीतिक बहस बढ़ती जा रही है, इसका क्या असर पड़ेगा? इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार जावेद अंसारी से बातचीत.
वीडियो: बिहार में जाति आधारित सर्वे की रिपोर्ट को लेकर राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
बिहार सरकार द्वारा जारी जाति-आधारित सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य की कुल आबादी 13 करोड़ से ज़्यादा है, जिसमें पिछड़ा वर्ग 27.13 फीसदी, अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01 फीसदी और सामान्य वर्ग 15.52 फीसदी है.
वीडियो: लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने के लिए पारित किए गए 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' और महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने की राजनीतिक मंशा को लेकर वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान का नज़रिया.
वीडियो: मोदी सरकार ने लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने के लिए 128वां संवैधानिक संशोधन विधेयक, 2023 पेश किया है. इस बारे में द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.
जातिवार जनगणना के विरोधियों का आग्रह है कि यह विभाजक पहल है क्योंकि यह जातिगत अस्मिताओं को बढ़ावा देगी, समाज में द्वेष पैदा करेगी. यह तर्क सदियों पुराना है और स्वतंत्रता संग्राम के समय से सत्ता-समीप हलको ने इसका सहारा लिया है. यह कथित ‘उच्च’ जातियों का नज़रिया है, भले ही इस पर प्रगतिशीलता की चादर डाली जाए.
केंद्र ने सोमवार देर शाम सुप्रीम कोर्ट में एक नया हलफ़नामा दायर किया है, जिसमें कहा गया कि पिछले हलफ़नामे में एक पैराग्राफ 'अनजाने में छूट गया' था. उक्त पैरा में लिखा था कि 'संविधान के तहत या अन्यथा कोई अन्य निकाय जनगणना या जनगणना के समान कोई कार्रवाई करने का अधिकार नहीं रखता है.'
बिहार की जातिगत जनगणना के लिए डेटा एकत्र करने की कार्रवाई 6 अगस्त को पूरी हो चुकी है. याचिकाकर्ताओं ने निजता के अधिकार का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि सार्वजनिक डोमेन में डेटा जारी या अपलोड करने पर रोक लगाई जाए. अदालत ने इससे इनकार कर दिया.
दिल्ली में नए जनगणना भवन के उद्घाटन के मौक़े पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नागरिक रजिस्टर, मतदाता सूची और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने वाले लोगों की सूची को अपडेट करने के लिए जन्म और मृत्यु का पंजीकरण महत्वपूर्ण है.
बिहार सरकार के जाति आधारित सर्वेक्षण पर बीते चार मई को पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी. इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने 3 जुलाई को सुनवाई के लिए मुख्य याचिका को सूचीबद्ध किया है, अगर हाईकोर्ट ने उस दिन सुनवाई नहीं की तो यह अदालत 14 जुलाई को सुनवाई करेगी.
बीते 4 मई को पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को जाति आधारित सर्वेक्षण को तुरंत रोकने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि अंतिम आदेश पारित होने तक पहले से ही एकत्र किए गए आंकड़ों को किसी के साथ साझा न किया जाए. इस आदेश को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.