अगर विश्वविद्यालय सार्वजनिक तौर पर विचारों की अभिव्यक्ति रोके तो वह अपने उद्देश्य से विमुख है

सार्वजनिक हित और सत्ता में हमेशा तनाव रहता है. बल्कि कई बार सत्ता अपने हित को ही सार्वजनिक हित मानने के लिए बाध्य करती है. जनता को इस द्वंद्व के प्रति सजग रखना ज्ञान के क्षेत्र में काम करने वालों का काम है. उनका सार्वजनिक बोलना या लिखना उनके लिए नहीं जनता के हित के लिए ज़रूरी है.

विश्वविद्यालयों की शैक्षणिक नियुक्तियों में ‘गुणवत्ता अंक’ का पैमाना भेदभाव का नया स्वरूप है

केंद्रीय विश्वविद्यालयों द्वारा लागू किए जा रहे ‘गुणवत्ता अंक’ (क्वालिटी स्कोर) का प्रावधान कहता है कि किसी अभ्यर्थी की गुणवत्ता इस बात से तय होगी कि उसने स्नातक, परास्नातक और पीएचडी की पढ़ाई किस संस्थान से की है. 

केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 42% से अधिक आरक्षित पद रिक्त: सरकार

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा में बताया कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एससी, एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों के लिए 7,033 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 1 जुलाई तक 3,007 पद ख़ाली थे.

2018 से उच्च शिक्षण संस्थानों में आत्महत्या से 98 छात्रों की मौत: केंद्र

केंद्र सरकार द्वारा राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2018 और 2023 के बीच उच्च शिक्षा संस्थानों में आत्महत्या करने वाले इन 98 छात्रों में से सबसे ज्यादा 39 आईआईटी से, 25 एनआईटी से और 25 केंद्रीय विश्वविद्यालयों से, चार आईआईएम से, तीन आईआईएसईआर से और दो आईआईआईटी से थे.

साल 2019 से 34,035 छात्रों ने उच्च शिक्षण संस्थानों से पढ़ाई छोड़ दी

शिक्षा मंत्रालय ने संसद में बताया कि 2019 और 2023 के बीच केंद्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी, एनआईटी, आईआईएम और एनआईटी जैसे उच्च शिक्षण संस्थानों से पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों में लगभग आधे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणियों से संबंधित थे.

मणिपुर: कुकी छात्रों ने यूजीसी से उन्हें अन्य विश्वविद्यालयों में ट्रांसफर करने का आग्रह किया

कुकी छात्र संगठन ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से मणिपुर विश्वविद्यालय और धनमंजुरी विश्वविद्यालय में नामांकित उनके समुदाय के छात्रों और शोधार्थियों को अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है. कहा गया है कि उनके विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक जनजातीय समूहों के ख़िलाफ़ बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय द्वारा की जाने वाली नफ़रत और हिंसा का केंद्र बन गए हैं.

5 सालों में 19 हज़ार से ज़्यादा एससी, एसटी, ओबीसी छात्रों ने केंद्रीय शिक्षण संस्थान छोड़े: केंद्र

राज्यसभा में  एक सवाल के जवाब में केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष सरकार ने बताया कि पिछले पांच सालों में 6,901 ओबीसी, 3,596 एससी और 3,949 एसटी छात्रों ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों से ड्रॉपआउट किया. इसी  अवधि में 2,544 ओबीसी, 1,362 एससी और 538 एसटी छात्र आईआईटी छोड़कर गए.

केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के लगभग 4,000 आरक्षित पद ख़ाली: केंद्र

डीयू और बीएचयू में क्रमश: 299 और 228 एसोसिएट प्रोफेसर स्तर पर आरक्षित श्रेणियों के लिए सबसे अधिक रिक्तियां हैं. इलाहाबाद विश्वविद्यालय, विश्व भारती विश्वविद्यालय और हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय जैसे अन्य विश्वविद्यालयों में प्रत्येक में 200 से अधिक पद ख़ाली हैं.

केंद्रीय विद्यालयों, उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों और ग़ैर-शिक्षकों के 58,000 पद ख़ाली

केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने लोकसभा में बताया कि केंद्रीय विद्यालयों में शिक्षकों के 12,099 तथा ग़ैर-शिक्षण कर्मचारियों के 1,312 पद ख़ाली हैं. इसी तरह जवाहर नवोदय विद्यालयों में शिक्षकों के 3,271 तथा ग़ैर-शिक्षण कर्मचारियों के 1,756 पद खाली हैं.

आईआईटी-केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने सालभर में एससी/एसटी/ओबीसी फैकल्टी के 30% पद भरे: केंद्र

देश भर के 23 आईआईटी और 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों को 5 सितंबर 2021 से 5 सितंबर 2022 के बीच अनुसूचित जाति/जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित रिक्त फैकल्टी पदों को मिशन मोड पर भरने के निर्देश दिए गए थे. इस अवधि में 1,439 रिक्त पदों की पहचान की गई, लेकिन भर्तियां सिर्फ 449 हुईं.

आईआईटी में फैकल्टी के 4,502 और आईआईएम में 493 पद ख़ाली: सरकार

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा में बताया है कि देशभर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी और आईआईएम में 11,000 से अधिक फैकल्टी पद ख़ाली हैं. सरकार ने लोकसभा को यह भी बताया कि एक नवंबर तक देशभर के केंद्रीय विद्यालयों में 12,723 शिक्षक पद और 1,422 ग़ैर-शिक्षक पद रिक्त पड़े थे.