2,000 रुपये को नोटों की वापसी की जटिल प्रक्रिया का असली निशाना कौन है?

2,000 रुपये के नोट रखने वालों के लिए अब एक स्पष्ट प्रोत्साहन है कि वे बैंक में पैसे जमा करने के बजाय सिर्फ एक्सचेंज के लिए जाएं और आयकर उद्देश्यों के लिए जांच की जाए. हालांकि, नोट एक्सचेंज करने को काफी मुश्किल बना दिया गया है क्योंकि एक बार में सिर्फ 20,000 रुपये ही बदले जा सकते हैं.

क्या दो हज़ार रुपये के नोट की वापसी मोदी की नोटबंदी की विफलता का सबूत है?

वीडियो: 2,000 रुपये का नोट क्यों जारी किया गया था और इसकी वापसी क्यों हुई? क्या काला धन ख़त्म हो गया है? क्या भारत में इस नोट की ज़रूरत है?

एक और अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट में पुष्टि- भारतीय कफ सीरप के चलते ही गांबिया में बच्चों की मौत हुई थी

गांबिया में अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा तैयार एक रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की गई है कि भारतीय कंपनी मेडन फार्मा की दवाइयों में मौजूद टॉक्सिन वहां सत्तर बच्चों की मौत की वजह थे. ऐसा निष्कर्ष देने वाली यह चौथी रिपोर्ट है. भारत सरकार अब तक उक्त दवाओं में टॉक्सिन की मौजूदगी की बात से इनकार करती रही है.

कर्नाटक चुनाव परिणाम: क्या मोदी सरकार हार की बौखलाहट में फैसले ले रही है?

वीडियो: कर्नाटक चुनाव में भाजपा की हार के ठीक बाद किरेन रिजिजू का मंत्रालय बदला जाना, दिल्ली सरकार के अधिकारियों के तबादले के अधिकारों को लेकर अध्यादेश और फिर दो हज़ार रुपये के नोट को वापस लेना- ये निर्णय दिखाते हैं कि शायद पार्टी अब राजनीति में बहुत कुछ बदल देना चाहती है. इस बारे में द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.

दो हज़ार रुपये के नोट और आंशिक नोटबंदी के पीछे का रहस्य

भारतीय रिज़र्व बैंक की तरफ से दो हज़ार रुपये मूल्यवर्ग के नोट को वापस लेने के निर्णय को सही ठहराने के लिए जो भी तर्क दिए गए हैं, उनमें से कोई भी मान्य नहीं है.

दिल्ली में ध्वस्तीकरण कार्रवाइयां: क्या ग़रीबों की दुश्मन बन गई है सरकार?

वीडियो: लैंड कॉन्फ्लिक्ट वॉच के मुताबिक़, बीते 3 महीने में दिल्ली में लगभग 1,600 घर ध्वस्त किए गए हैं, जिससे क़रीब 2,60,000 लोग बेघर हुए. सितंबर में दिल्ली में जी-20 बैठक होनी है, इसलिए दिल्ली सरकार और केंद्र मिलकर अतिक्रमण के नाम पर उन्हें हटा रहे हैं, जो दिल्ली को 'साफ-सुथरा' दिखाने में रोड़ा हैं.

‘ग़रीबों से हक़ छीनकर अंबानी-अडानी को दिया जा रहा है’

वीडियो: बीते रविवार को दिल्ली में 'एक वोट पर एक रोज़गार आंदोलन' की तरफ़ से रोज़गार क़ानून, न्यूनतम मज़दूरी एवं पेंशन को लेकर जन संसद का आयोजन किया गया था, जहां आए कर्मचारियों, श्रमिकों और कार्यकर्ताओं ने अपनी विभिन्न मांगें रखीं.

तीन महीने के भीतर केंद्रीय जांच एजेंसियों, पुलिस थानों में सीसीटीवी लगाए जाएं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में विशेष तौर पर केंद्रीय जांच एजेंसियों के कार्यालय में सीसीटीवी कैमरे और रिकॉर्डिंग उपकरण लगाने के निर्देश दिए थे, ताकि अभियुक्तों और विचाराधीन कै़दियों के मानवाधिकारों की रक्षा हो और पारदर्शिता बनी रहे. लेकिन, केंद्र की सात जांच एजेंसी में से चार ने इस दिशा में कोई क़दम नहीं उठाया.

समलैंगिक विवाह अभिजात्य वर्ग का विचार, अदालत को विवाह व्यवस्था में दख़ल का अधिकार नहीं: केंद्र

सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाहों को क़ानूनी मान्यता देने वाली याचिकाओं के औचित्य पर सवाल उठाते हुए केंद्र ने कहा है कि ‘विवाह’ जैसे मानवीय संबंधों की मान्यता अनिवार्य रूप से एक विधायी कार्य है, अदालतें न्यायिक व्याख्या के माध्यम से या मौजूदा क़ानूनी ढांचे को ख़त्म करके ‘विवाह’ नामक किसी भी संस्था को बना या मान्यता नहीं दे सकती हैं.

सुप्रीम कोर्ट पीठ ने चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति के ख़िलाफ़ याचिका से ख़ुद को अलग किया

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयुक्त के रूप में अरुण गोयल की नियुक्ति मनमाना और संस्थागत अखंडता और चुनाव आयोग की स्वतंत्रता का उल्लंघन है. गोयल को 19 नवंबर 2022 को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था.

राज्यपालों द्वारा बिल पास करने का समय तय करने को लेकर स्टालिन ने ग़ैर-भाजपा सीएम को पत्र लिखा

तमिलनाडु विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र और राष्ट्रपति से आग्रह किया है कि सदन द्वारा पारित किए गए विधेयकों को मंज़ूरी देने के लिए राज्यपालों के लिए समयसीमा तय की जाए. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने ग़ैर-भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर ऐसा ही प्रस्ताव पारित करने का आग्रह किया है.

आईएनएस ने सरकार से ख़बरों की फैक्ट-चेकिंग संबंधी नए नियमों को वापस लेने की मांग की

बीते 6 अप्रैल को अधिसूचित नए आईटी नियमों में कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को एक फैक्ट-चेक इकाई का गठन करने का अधिकार होगा, जो केंद्र सरकार के किसी भी काम के संबंध में फ़र्ज़ी, झूठी या भ्रामक ख़बर का पता लगाएगा. ​मीडिया संगठनों ने इसे सेंसरशिप के समान बताया है.

फैक्ट-चेक संबंधी नए आईटी नियमों पर एडिटर्स गिल्ड ने चिंता जताई, कहा- सेंसरशिप के समान

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा अधिसूचित नए आईटी नियमों में कहा गया है कि गूगल, फेसबुक, ट्विटर आदि कंपनियां सरकारी फैक्ट-चेक इकाई द्वारा 'फ़र्ज़ी या भ्रामक' क़रार दी गई सामग्री इंटरनेट से हटाने को बाध्य होंगी. एडिटर्स गिल्ड ने कहा है कि इससे प्रेस की आज़ादी प्रभावित होगी.

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