उत्तराखंड: ग्रामीणों ने किया लोकसभा चुनाव का बहिष्कार, बोले- जब तक सड़कें नहीं, वोट नहीं

उत्तराखंड के चमोली ज़िले के कई गांवों के लोगों ने क्षेत्र में सड़कों की कमी के कारण चिकित्सा सुविधाएं मिलने में देरी को लेकर अपना विरोध दर्ज कराने के लिए आगामी लोकसभा चुनावों का बहिष्कार करने का फैसला किया है. उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों के लिए 19 अप्रैल को मतदान होना है.

उत्तराखंड: ग्रामीणों का दावा- जोशीमठ जैसे हालात की राह पर सेलंग गांव

जोशीमठ से क़रीब पांच किलोमीटर दूर स्थित सेलंग गांव के लोगों को कहना है कि पिछले कुछ महीनों से खेतों और कई घरों में दरारें दिखाई दे रही हैं. ग्रामीण इसके लिए एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. उनके अनुसार, गांव के नीचे एनटीपीसी की नौ सुरंगें बनी हैं, जिससे गांव की नींव को नुकसान पहुंचा है.

उत्तराखंड: जोशीमठ से 82 किमी. दूर कर्णप्रयाग में भी सड़कों और घरों की दीवारों पर दरारें

उत्तराखंड के चमोली ज़िले के जोशीमठ में भू-धंसाव और घरों में दरारों की ख़बरों के बीच इसी ज़िले के कर्णप्रयाग से भी ऐसी ही चिंताजनक तस्वीरें सामने आई हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि वे क़रीब दशक भर से अपने घरों की दीवारों में दरारों की समस्या से जूझ रहे हैं लेकिन सरकार और प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया, अब मकान रहने लायक नहीं बचे हैं.

बार-बार की चेतावनियों पर सरकार की उदासीनता जोशीमठ संकट की जड़: पर्यावरणविद

चिपको आंदोलन संबद्ध रहे रेमन मैग्सेसे, पद्म भूषण और गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित पर्यावरणवादी चंडी प्रसाद भट्ट ने कहा कि जोशीमठ में गुप्त ख़तरों की चेतावनी दो दशक पहले राज्य सरकार को दी गई थी. एक के बाद एक अध्ययन तब तक मदद नहीं करेगा, जब तक कि सरकारें सुझावों पर कार्रवाई शुरू नहीं करतीं.

उत्तराखंड: जोशीमठ भूस्खलन-धंसाव क्षेत्र घोषित, 60 से अधिक परिवारों को निकाला गया

एक अधिकारी ने बताया कि जोशीमठ की लगभग 610 इमारतों में बड़ी दरारें आ गई हैं, जिससे वे रहने लायक नहीं रह गई हैं. प्रभावित इमारतों की संख्या बढ़ सकती है. स्थानीय लोग इमारतों की ख़तरनाक स्थिति के लिए मुख्यत: एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ जैसी परियोजनाओं और अन्य बड़ी निर्माण गतिविधियों को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं.

उत्तराखंड: आपदा के कगार पर जोशीमठ; निर्माण परियोजनाओं से घरों में दरारें पड़ीं, लोगों में आक्रोश

उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में एनटीपीसी जैसी बड़ी निर्माण परियोजनाओं के कारण इमारतों में दरारें पड़ने संबंधी चेतावनियों की अनदेखी करने को लेकर स्थानीय लोगों में सरकार के ख़िलाफ़ भारी आक्रोश है. लोगों का आरोप है कि नवंबर 2021 में ही ज़मीन धंसने को लेकर प्रशासन को आगाह किया गया था, लेकिन इसके समाधान के लिए सरकार द्वारा एक साल से अधिक समय तक कोई क़दम नहीं उठाया गया.

उत्तराखंड: सैटेलाइट फोन रखने पर तेल कंपनी के ब्रिटिश अधिकारी ने सात दिन जेल में बिताए

तेल कंपनी सऊदी अरामको के एक ब्रिटिश अधिकारी छुट्टियां मनाने चमोली आए थे, जब स्थानीय पुलिस ने उनके पास सैटेलाइट फोन होने की सूचना मिलने पर उन्हें हिरासत में ले लिया और करीब हफ्ताभर चमोली जेल मेंं रखा. भारत में बिना पूर्व अनुमति के विदेशी नागरिकों द्वारा सैटेलाइट फोन का उपयोग ग़ैरक़ानूनी है.

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को चारधाम मार्ग पर घोडे़-खच्चरों की मौत पर नोटिस जारी किया

एक पशु अधिकार कार्यकर्ता ने अपने याचिका में कहा है कि उत्तराखंड में श्रद्धालुओं को तीर्थयात्रा कराने में करीब 20 हज़ार घोड़ों एवं खच्चरों का उपयोग किया जा रहा है. श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के अतिरिक्त दवाब के कारण इन पशुओं की मौत हो रही है. याचिका में कहा गया ​है कि अब तक 600 घोड़ों एवं खच्चरों की मृत्यु हो चुकी है.

सुप्रीम कोर्ट ने चारधाम परियोजना को मंज़ूरी की सूरत में सुरक्षा उपाय को लेकर सुझाव मांगे

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उन्होंने इस मामले में अभी तक अपना मत नहीं बनाया है. साथ ही कहा कि वह जो सवाल पूछ रही है, वे इस मुद्दे पर संबंधित पक्षों से बेहतर प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए हैं. केंद्र ने शीर्ष अदालत के आठ सितंबर, 2020 के आदेश में संशोधन करने की मांग की है, जिसमें कोर्ट ने चारधाम राजमार्ग परियोजना के लिए निर्धारित कैरिजवे की चौड़ाई 5.5 मीटर का पालन करने को कहा गया था.

क्या अदालत देश की रक्षा ज़रूरतों को दरकिनार कर कह सकती है कि पर्यावरण की जीत होगी: कोर्ट

केंद्र ने शीर्ष अदालत के आठ सितंबर, 2020 के आदेश में संशोधन करने की मांग की है, जिसमें कोर्ट ने चारधाम राजमार्ग परियोजना के लिए निर्धारित कैरिजवे की चौड़ाई 5.5 मीटर का पालन करने को कहा गया था. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्र की रक्षा और पर्यावरण की सुरक्षा के साथ सभी विकास टिकाऊ और संतुलित होने चाहिए. 

उत्तराखंड: मूसलाधार बारिश से मरने वालों की संख्या 47 हुई, नैनीताल से संपर्क बहाल

उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में मरने वालों की संख्या 40 से अधिक हो गई है. भारी बारिश से कई मकान ढह गए. कई लोग अब भी मलबे में फंसे हुए हैं. सड़कों, पुलों और रेल पटरियों को नुकसान पहुंचा हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य भर में भारी क्षति हुई है. सामान्य स्थिति में लौटने में समय लगेगा. धामी ने राहत प्रयासों के लिए प्रत्येक ज़िलाधिकारियों को 10-10 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं.

चारधाम परियोजना: आपदाओं के बावजूद पर्यावरण से खिलवाड़ पर क्यों आमादा है केंद्र

2019 में केंद्र ने बिना पर्यावरण स्वीकृति के अपने दिए मानकों के उलट चारधाम परियोजना शुरू करवाई. जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ने इससे हिमालयी पर्यावरण को क्षति पहुंचने की बात कही, तब रक्षा मंत्रालय ने बीच में आकर सड़कों को सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बताते हुए इनके चौड़ीकरण की मांग की है.

उत्तराखंड ग्लेशियर हादसे संबंधी याचिका ख़ारिज कर क्या कोर्ट ने पर्यावरण चिंताओं की उपेक्षा की?

बीते फ़रवरी माह में हुए उत्तराखंड ग्लेशियर हादसे के बाद प्रलयंकारी बाढ़ लाने वाली ऋषिगंगा नदी पर बन रही एनटीपीसी की दो जलविद्युत परियोजना को मिली वन एवं पर्यावरण मंज़ूरी रद्द करने के लिए एक याचिका दायर की गई थी. हालांकि कुछ दिन पहले हाईकोर्ट ने चमोली ज़िले के पांच याचिकाकर्ताओं की प्रमाणिकता पर ही सवाल उठाते हुए इस याचिका को ख़ारिज कर दिया और प्रत्येक पर 10-10 हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया है.

उत्तराखंड: चारधाम यात्रा पर रोक के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट पहुंची राज्य सरकार

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कोविड-19 के बीच चारधाम यात्रा के लिए राज्य सरकार की व्यवस्थाओं पर असंतोष ज़ाहिर करते हुए इस पर रोक लगा दी थी. सरकार ने कहा है कि अदालत ने 'ग़लत तरीके' से रोक लगाई है.

उत्तराखंड: चारधाम यात्रा रद्द, हाईकोर्ट ने कहा- एक और तबाही को न्योता नहीं दे सकते

हाईकोर्ट ने कोविड-19 के बीच पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए राज्य सरकार की व्यवस्थाओं पर असंतोष ज़ाहिर करते हुए राज्य मंत्रिमंडल के उस फ़ैसले पर रोक लगा दी, जिसमें चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी ज़िलों के निवासियों को एक जुलाई से चार धामों के दर्शन की अनुमति दी गई थी.

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