सुप्रीम कोर्ट ने डार्विन और आइंस्टीन के सिद्धांतों को चुनौती देने वाली याचिका ख़ारिज की

एक जनहित याचिका में चार्ल्स डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत और आइंस्टीन के विशेष सापेक्षता के सिद्धांत, जो द्रव्यमान और ऊर्जा (E=MC²) की समानता को व्यक्त करता है, को चुनौती दी गई थी. अदालत ने याचिका ख़ारिज करते हुए याचिकाकर्ता से कहा कि आप ख़ुद को फिर से शिक्षित करें.

जीव विज्ञान पाठ्यक्रम से एवोल्यूशन को हटाना इस विषय को रटंत विद्या बनाने का रास्ता है

क्रमिक विकास (एवोल्यूशन) जीव विज्ञान की धुरी है और डार्विनवाद इसे समझने की बुनियाद. इन्हें स्कूल के पाठ्यक्रम से निकालना विज्ञान की कक्षा के इकोसिस्टम को बिगाड़ना है.

बैक्टीरिया ने एंटीबायोटिक से लड़ना कैसे सीखा?

प्राकृतिक चयन के सिद्धांत के एक पहलू- क्रमागत उन्नति के वेग को लेकर डार्विन निश्चित नहीं थे. उनके मुताबिक़ यह बहुत ही धीमी प्रक्रिया थी और बदलाव देखने के लिए एक मानव जीवन शायद छोटा पड़ जाता. पर आज हम जानते हैं कि यह असंभव नहीं है. बैक्टीरिया में एंटीबायोटिक से लड़ने की शक्ति का आना इसका एक उदाहरण है.

मानव कोशिका से ट्री ऑफ लाइफ तक परिवर्तित होने की यात्रा का रहस्य क्या है

मानव-जीवन प्रकृति के नियमों का एक करिश्मा है. यह करिश्मा कहां और कब शुरू हुआ, इस तक पहुंचने की चाह पिछले सौ सालों से अधिक समय से चल रही है. निश्चित ही आने वाले दशकों में हम जवाब के और नज़दीक पहुंच सकेंगे.

दुनिया घूमने वाले बीगल जहाज के कप्तान फिट्ज़रॉय की कहानी…

विशेष: 1831 में बीगल जहाज ने अपनी यात्रा  शुरू की और दुनिया का चक्कर लगाकर 1836 में इंग्लैंड वापस लौटा. इस जहाज के कप्तान रॉबर्ट फिट्ज़रॉय थे. जहाज से जुड़ा एक दिलचस्प पहलू यह भी था कि उस समय 22 वर्ष के चार्ल्स डार्विन इस यात्रा में जहाज पर रहने वाले नेचुरलिस्ट की भूमिका में थे.

पैट्रिक मैथ्यू, जो डार्विन से पहले प्राकृतिक चयन के सिद्धांत तक पहुंचे थे

चार्ल्स डार्विन ने 1859 में प्राकृतिक चयन पर अपनी किताब दुनिया के सामने पेश की थी, लेकिन उनसे कुछ साल पहले ही स्कॉटलैंड के पैट्रिक मैथ्यू इस सिद्धांत तक पहुंच चुके थे. इस बात को ख़ुद डार्विन ने भी माना था, पर इतिहास मैथ्यू को इसका उचित श्रेय नहीं दे सका.

भाजपा सांसद ने डार्विन के सिद्धांत को फिर दी चुनौती, कहा- हम ऋषियों की संतानें, बंदरों की नहीं

भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह ने कहा, हमारी भारतीय संस्कृति यह मानती है कि हम ऋषियों की संतानें हैं. जो लोग यह कहते हैं कि वे बंदरों की औलाद हैं, मैं ऐसे लोगों की भावनाओं को भी ठेस नहीं पहुंचाना चाहता हूं.

क्या आप ग्रेगर मेंडल और उनके मटर के पौधों की कहानी जानते हैं?

विशेष: मेंडल ने हमें बताया है कि एक नवजात में कोई भी विशेषता इससे निर्धारित होती है कि उसे अपने मां-बाप से कौन से गुण मिले हैं. हालांकि उनकी इस महत्वपूर्ण खोज का अर्थ लोग 35 साल बाद समझ सके.

क्या आप चार्ल्स डार्विन और उनके प्राकृतिक चयन के सिद्धांत की ये कहानी जानते हैं?

विशेष रिपोर्ट: 150 साल से भी ज्यादा पुरानी यह कहानी चार्ल्स डार्विन, अल्फ्रेड वालेस और विलियम बेटसन की है. तीनों इंग्लैंड से हैं और 19वीं सदी के हीरो हैं.

मोदी के मंत्री ने डार्विन के सिद्धांत को फिर दी चुनौती, कहा- मेरे पूर्वज बंदर नहीं थे

मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने कहा कि मैं एक किताब लिख रहा हूं. जिसमें डार्विन सिद्धांत पर एक अध्याय होगा. हम साक्ष्य और दस्तावेजी प्रमाण देकर साबित करेंगे कि हम जो कह रहे हैं, वह सही है.

मंत्री जी ने डार्विन को चुनौती देकर बंदरों पर लगे कलंक को मिटाने की तरफ़ बड़ा क़दम उठाया है

बंदरों ने केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह की बात का स्वागत किया है कि डार्विन के सिद्धांत को स्कूल-कॉलेजों की किताबों से निकाल देना चाहिए.

मोदी के मंत्री ने कहा, ‘इंसानों के विकास संबंधी डार्विन का सिद्धांत वैज्ञानिक रूप से ग़लत’

मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने कहा कि स्कूल और कॉलेज पाठ्यक्रम में बदलाव की ज़रूरत. इंसान जब से पृथ्वी पर देखा गया है, हमेशा इंसान ही रहा है.