भाजपा ने राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2021 को काला क़ानून बताते हुए दावा किया कि इससे बाल विवाह वैध हो जाएंगे. हालांकि राजस्थान की कांग्रेस सरकार का कहना है कि क़ानून के तहत सिर्फ़ पंजीकरण की अनुमति दी गई है, इसका मतलब ये नहीं कि शादियां वैध हो जाएंगी.
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी यूनिसेफ के रिपोर्ट के मुताबिक, दशक के अंत से पहले एक करोड़ अतिरिक्त बाल विवाह हो सकते हैं. इससे इस प्रथा को कम करने की वर्षों की प्रगति को ख़तरा उत्पन्न हो सकता है. दुनिया में आज अनुमानित 65 करोड़ लड़कियों और महिलाओं का विवाह बचपन में हुआ है. इनमें से आधी संख्या बांग्लादेश, ब्राज़ील, इथियोपिया, भारत और नाइज़ीरिया में है.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के सर्वे से पता चला है कि आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल में 15 वर्ष से 19 वर्ष की आयुवर्ग में सबसे ज़्यादा संख्या में महिलाएं या तो मां बन चुकी थीं या गर्भवती थीं.
केंद्र सरकार द्वारा लड़कियों की शादी की क़ानूनन उम्र 18 से बढ़ाकर 21 करने के लिए कम उम्र की मांओं और उनके शिशु की सेहत से जुड़ी समस्याओं को वजह बताया जा रहा है. पर उनकी ख़राब सेहत की मूल वजह ग़रीबी और कुपोषण है. अगर वे ग़रीब और कुपोषित ही रहती हैं, तो शादी की उम्र बदलने पर भी ये समस्याएं बनी रहेंगी.
स्वतंत्रता दिवस पर देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार ने लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र पर पुनर्विचार करने के लिए एक समिति गठित की है, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर फैसला लेगी. वर्तमान में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष है.
केंद्रीय महिला एवं विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा है कि ‘चाइल्डलाइन 1098’ के माध्यम से ये बाल विवाह रोके गए.
साल 2016 से 2018 के बीच देश में बाल विवाह के आंकड़ों में बढ़ोतरी. केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बताया कि 2016 में बाल विवाह के 326, 2017 में 395 और 2018 में 501 मामले दर्ज किए गए.
महिला एवं बाल कल्याण मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बाल विवाह से जुड़े पांच वर्षों का आंकड़ा प्रस्तुत किया, जिसके अनुसार ऐसे मामलों की सर्वाधिक संख्या वर्ष 2017 में थी, जब 395 ऐसे विवाह हुए.
एनसीपीसीआर और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से पेश की रिपोर्ट के मुताबिक बाल विवाह के संदर्भ में राजस्थान, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, असम, बिहार और झारखंड के कई जिलों पर विशेष नीतिगत ध्यान देने की जरूरत है.
हाईकोर्ट ने कहा कि उनके लिए कोई आश्रय गृह नहीं हैं इसलिए बाल विवाह की क़ैद से मुक्त होने के बाद भी वे अपने ससुराल जाने के लिए बाध्य होती हैं. जहां उन्हें हिंसा और अत्याचार सहना पड़ता है.
शीर्ष न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अब तक वैवाहिक बलात्कार के मुद्दे पर विचार नहीं किया गया है.
आपके अभियान की भाषा केवल परिवार के मुखियाओं को संबोधित कर रही है. नई पीढ़ी से संवाद का अभाव इसमें दिख रहा है.
साढ़े पांच साल पहले मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत नाबालिग आदिवासी लड़की का विवाह एक शादीशुदा व्यक्ति से करा दिया गया था.
केंद्र सरकार ने कहा कि बलात्कार कानून में यह अपवाद या छूट है ताकि ‘विवाह संस्था’ की रक्षा की जा सके.
रिपोर्ट के मुताबिक करीब 10.3 करोड़ भारतीयों की शादी 18 साल से पहले हो जाती है.