सीजेआई एसए बोबडे ने कहा कि वैश्विक समुदाय के एक अभिन्न सदस्य तथा व्यापार और निवेश के लिहाज से महत्वपूर्ण होने के नाते भारत अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता में किस तरह से शामिल होता है इसका सीमा पार अंतरराष्ट्रीय व्यापार, वाणिज्य और निवेश के प्रवाह पर महत्वपूर्ण प्रभाव होता है.
सीजेआई शरद अरविंद बोबडे ने राष्ट्रसंत तुकादोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के 107वें दीक्षांत समारोह में कहा कि नागरिकता सिर्फ लोगों के अधिकारों के बारे में ही नहीं बल्कि समाज के प्रति उनके कर्तव्यों के बारे में भी है.
जस्टिस बोबडे रविवार को सेवानिवृत्त हुए जस्टिस रंजन गोगोई का स्थान लेंगे. मुख्य न्यायाधीश के रूप में बोबडे का कार्यकाल करीब 17 महीने का होगा और वह 23 अप्रैल 2021 को सेवानिवृत्त होंगे.
एसए बोबडे मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रह चुके हैं. वह कई महत्वपूर्ण पीठों का हिस्सा रहे हैं. इसके अलावा मुंबई में महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी और नागपुर में महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के वह चांसलर भी हैं.
सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल सीबीआई की याचिका पर सुनवाई करते हुए गैर सरकारी संगठन लॉयर्स कलेक्टिव को एक नोटिस जारी किया.
सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने एकमत होकर ये फैसला दिया और साल 2010 के दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को सही ठहराया जिसमें कोर्ट ने कहा था कि मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय आरटीआई एक्ट के दायरे में है.
आरटीआई कार्यकर्ताओं ने शीर्ष न्यायालय के इस फैसले की सराहना की और साथ ही कहा कि ‘कानून से ऊपर कोई नहीं है.’
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ऐसा करने से नियुक्ति प्रक्रिया में लोगों का विश्वास बढ़ेगा और फैसले लेने में न्यायपालिका एवं सरकार के सभी स्तरों पर उच्च स्तर की पारदर्शिता और जवाबदेही तय हो सकेगी.
दिल्ली हाईकोर्ट ने साल 2010 में अपने फैसले में शीर्ष अदालत की इस दलील को खारिज कर दिया था कि सीजेआई कार्यालय को आरटीआई के दायरे में लाए जाने से न्यायिक स्वतंत्रता बाधित होगी.
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ 14 नवंबर से इस मामले की सुनवाई करेगी. केंद्र को पांच अगस्त के राष्ट्रपति आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अपना जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए कहा गया था.
आरोप है कि सुरक्षा बलों ने इन नाबालिगों को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने संबंधी अनुच्छेद 370 के ज़्यादातर प्रावधानों को निरस्त करने के फैसले के बाद हिरासत में लिया था.
देश के अगले मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने यह भी कहा कि सरकार जजों की नियुक्ति में देरी नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि किसी मामले की सुनवाई से हटने के संबंध में जज को कोई कारण बताने की जरूरत नहीं है.
हाल ही में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने केंद्र सरकार को एक पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट में अपने बाद वरिष्ठतम न्यायाधीश एसए बोबडे को अपना उत्तराधिकारी बनाने की सिफ़ारिश की थी.
सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में गृह मंत्रालय ने कहा है कि इस संबंध में हमारे पास कोई जानकारी नहीं है. ये जानकारी जम्मू कश्मीर सरकार के पास हो सकती है, लेकिन इस आवेदन को वहां ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है क्योंकि केंद्रीय आरटीआई कानून वहां लागू नहीं है.
जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस समिति ने सुप्रीम कोर्ट में सौंपी अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है. रिपोर्ट में पुलिस ने किसी भी बच्चे को गैरकानूनी तौर पर हिरासत में लेने के आरोपों से इनकार किया है.