‘मन की बात’ उसी प्रकार की आत्मरति है जैसी स्टालिन या हिटलर को थी

बताया जाता है कि सोवियत यूनियन में आप स्टालिन की आवाज़ से बच नहीं सकते थे. सड़कों पर लाउडस्पीकरों से स्टालिन की आवाज़ आपका पीछा करती रहती थी. हिटलर ने आत्मप्रचार के लिए रेडियो का कैसा इस्तेमाल किया, यह जानी हुई बात है. भारत भी अब हिटलर और स्टालिन के रास्ते चल रहा है.

किसी से संपर्क न कर पाना या संचार का कोई साधन न होना सबसे बड़ी सजा: प्रकाश जावड़ेकर

दिल्ली में एक कार्यक्रम में सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, 'किसी से संपर्क न हो, किसी से बात न कर सकते हों और आपके पास कम्यूनिकेशन का कोई साधन न हो, ये सबसे बड़ी सजा हो सकती है.'