संघ प्रमुख ने ठीक कहा कि हिंदू युद्धरत हैं. लेकिन यह एकतरफ़ा हमला है. पिछले कुछ वर्षों में सारे हिंदू नहीं, लेकिन उनके नाम पर हिंदुत्ववादी गिरोहों ने मुसलमानों, ईसाइयों के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ दिया है. और दूसरा पक्ष, यानी मुसलमान और कुछ जगह ईसाई, इसका कोई उत्तर नहीं दे सकते. फिर इसे युद्ध क्यों कहें?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने एक साक्षात्कार में कहा है कि हिंदुस्तान, हिंदुस्तान बना रहे. भारत में मुसलमानों और इस्लाम को कोई ख़तरा नहीं है. वह रहना चाहते हैं, रहें. पूर्वजों के पास वापस आना चाहते हैं, आएं. बस उन्हें यह सोच छोड़नी पड़ेगी कि हम एक समय राजा थे, फिर से राजा बनें.
छलपूर्ण धर्मांतरण को रोकने के लिए केंद्र और राज्यों को कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश देने का आग्रह करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम पूरे देश के लिए चिंतित हैं. अगर यह आपके राज्य में हो रहा है, तो यह बुरा है. अगर नहीं हो रहा, तो अच्छा है. इसे राजनीतिक मुद्दा न बनाएं.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अपनी याचिका में दावा किया कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में धर्मांतरण-विरोधी क़ानूनों को अंतर-धार्मिक जोड़ों को ‘परेशान’ करने और उन्हें आपराधिक मामलों में फंसाने के लिए लागू किया गया है.
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर ज़िले में सोमवार को भीड़ ने कथित तौर पर धर्मांतरण के आरोप में एक चर्च पर हमला कर दिया और मामले को शांत कराने आई एक पुलिस टीम के साथ भी हिंसा की, जिसमें ज़िला पुलिस अधीक्षक के सिर में चोट आई है और अन्य कई पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं.
बीते 23 दिसंबर को उत्तरकाशी ज़िले के पुरोला गांव में लाठियों से लैस भीड़ ने एक क्रिसमस कार्यक्रम पर जबरन धर्मांतरण का आरोप लगाकर हमला कर दिया था. पुलिस ने अब मसूरी के यूनियन चर्च के पादरी लाजरस कॉर्नेलियस, उनकी पत्नी और चार अन्य के ख़िलाफ़ धर्मांतरण विरोधी क़ानून के तहत मामला दर्ज किया है.
बीते अप्रैल माह में बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद की शिकायतों पर इलाहाबाद पुलिस ने 50 से अधिक लोगों के ख़िलाफ़ जबरन धर्मांतरण कराने के आरोप में एफआईआर दर्ज की थी. इसी मामले में, पुलिस ने इलाहाबाद के सैम हिगिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी एंड साइंस के कुलाधिपति, कुलपति और प्रशासनिक अधिकारी को नोटिस जारी कर तलब किया है. उन पर धर्मांतरण में इस्तेमाल विदेशी फंडिंग प्राप्त करने का आरोप है.
घटना बलरामपुर ज़िले की है. जाफ़राबाद निवासी एक महिला का आरोप है कि मुस्लिम बहुल आबादी में रहने के चलते उनके पड़ोसी उन पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाते हैं. ऐसा न करने पर मकान बेचकर जाने और जान से मारने की धमकी देते हैं.
उत्तर प्रदेश के रामपुर ज़िले का मामला. पादरी पर दलित समाज के लोगों को धर्म परिवर्तन का उपदेश देने के आरोप लगा था. पुलिस ने बताया कि बजरंग दल के एक पदाधिकारी की शिकायत पर उनके ख़िलाफ़ धर्मांतरण विरोधी क़ानून के तहत मामला दर्ज किया गया है. प्रदेश के बलिया ज़िले में ऐसी ही एक अन्य घटना में एक व्यक्ति को गिरफ़्तार किया गया है.
धर्म की स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक को बीते 30 नवंबर को उत्तराखंड विधानसभा द्वारा पारित किया गया था. इसमें ग़ैर-कानूनी धर्मांतरण को संज्ञेय और ग़ैर-जमानती अपराध बनाने के लिए अधिकतम 10 साल के कारावास की सज़ा का प्रावधान है.
उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले के पुरोला गांव का मामला. पुलिस ने बताया कि एक पक्ष पर जबरन धर्म परिवर्तन कराने और दूसरे पर हमला करने का आरोप लगाया गया है. दोनों पक्षों की ओर से मामले में एफ़आईआर दर्ज कर जांच की जा रही है.
लड़कियां अपनी मर्ज़ी से जीना चाहती हैं. अपनी मर्ज़ी से रिश्ते बनाना चाहती हैं. इसके लिए उन्हें भागना न पड़े अपने लोगों से, ऐसा समाज बनाने की ज़रूरत है. जब तक वह न बने, तब तक इन औरतों को अगर बचाया जाना है तो उनके परिवारों से, बाबू बजरंगी जैसे गुंडों से और बजरंग दल जैसे हिंसक संगठनों से. लेकिन अब इस सूची में जोड़ना पड़ेगा कि उन्हें राज्य से भी बचाने की ज़रूरत है.
इस साल मार्च में विधानसभा में पारित धर्म परिवर्तन संबंधी विधेयक को मंत्रिमंडल के मंज़ूरी देने के बाद नियमों को अधिसूचित किया गया है. इसके तहत ज़िलाधिकारियों को किसी भी धर्मांतरण को मंज़ूरी देने से पहले एक सार्वजनिक नोटिस प्रकाशित करना होगा और इच्छित धर्मांतरण को लेकर आपत्तियां आमंत्रित करनी होंगी.
बीते दिनों नरेंद्र मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए एक हलफ़नामे में कहा है कि 'धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार में अन्य लोगों को किसी विशेष धर्म में परिवर्तित करने का मौलिक अधिकार शामिल नहीं है.'
इस मामले में याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से ‘डरा-धमकाकर, उपहार या पैसों का का लालच देकर’ किए जाने वाले कपटपूर्ण धर्मांतरण को रोकने के लिए कठोर क़दम उठाने का केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया है. इससे पहले शीर्ष अदालत ने कहा था कि जबरन धर्मांतरण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा पैदा कर सकता है.