राजदेव रंजन हत्या: ‘मुझे एक ईमानदार पत्रकार की पत्नी होने की सज़ा मिली’

साल 2016 में बिहार के सीवान ज़िले में पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या कर दी गई थी. सीवान से चार बार सांसद रहे दिवंगत मोहम्मद शहाबुद्दीन हत्या के आरोपियों में से एक थे. बीते छह सालों से मामले की सीबीआई जांच चल रही है और रंजन का परिवार इंसाफ़ के इंतज़ार में है.

उत्तर प्रदेश: संदिग्ध परिस्थितियों में पत्रकार की मौत, आरोपी महिला दरोगा और सिपाही निलंबित

12 नवंबर को उन्नाव में 22 वर्षीय पत्रकार सूरज पांडेय का शव रेल पटरियों के पास मिला था. उनकी मां की तहरीर पर एक महिला दरोगा और सिपाही के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है.

छत्तीसगढ़: पत्रकार पर हमले की जांच के लिए राज्य सरकार ने एसआईटी गठित की

छत्तीसगढ़ के कांकेर ज़िले का मामला. पत्रकार कमल शुक्ला ने कांग्रेस नेताओं पर मारपीट और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया था. मामले को लेकर कांकेर थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है.

छत्तीसगढ़: कांग्रेस नेताओं ने कथित तौर पर पत्रकार पर हमला किया, एफआईआर दर्ज

छत्तीसगढ़ के कांकेर ज़िले का मामला. पत्रकार कमल शुक्ला ने कांग्रेस नेताओं पर मारपीट और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया है. वहीं एक कांग्रेस नेता ने कमल शुक्ला पर जान से मारने की धमकी देने की शिकायत पुलिस से की है. पुलिस इसे आपसी रंज़िश का मामला बता रही है.

दिल्ली दंगों के दौरान जिस पत्रकार को गोली लगी, वो किस हाल में है?

विशेष रिपोर्ट: उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों की कवरेज के लिए गए एक स्थानीय चैनल के संवाददाता आकाश नापा को गोली लगी है. वे जीटीबी अस्पताल में भर्ती हैं.

बीते पांच साल में भारत में पत्रकारों पर 200 से अधिक गंभीर हमले हुएः रिपोर्ट

'गेटिंग अवे विद मर्डर' नाम के अध्ययन के मुताबिक 2014 से 2019 के बीच भारत में 40 पत्रकारों की मौत हुई, जिनमें से 21 पत्रकारों की हत्या की वजह उनके काम से जुड़ी थी.

2019 में दुनियाभर में 49 पत्रकारों की हत्या हुई: रिपोर्ट

पेरिस स्थित निगरानी संगठन ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ के प्रमुख क्रिस्टोफ डेलोयर ने कहा कि लोकतांत्रिक देशों में अधिकतर पत्रकारों को उनके काम के लिए निशाना बनाया जा रहा है, जो कि लोकतंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है.

पत्रकारों के 90 फीसदी हत्यारों को दोषी क़रार नहीं दिया गया: यूनेस्को

यूनेस्को ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि पिछले दो वर्ष में 55 फीसदी पत्रकारों की हत्या संघर्ष रहित क्षेत्रों में हुई जो राजनीति, अपराध और भ्रष्टाचार पर रिपोर्टिंग के लिए पत्रकारों को निशाना बनाने की बढ़ती प्रवृत्ति को दिखाता है.

गौरी लंकेश बनीं पत्रकारों के संघर्ष की प्रतीक, भारत में इस साल नौ पत्रकारों को गंवानी पड़ी जान

इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने भारत में पत्रकारों की हत्या की निंदा करते हुए ऐसी घटनाओं पर चिंता ज़ाहिर की है.