पॉक्सो जैसे गंभीर मामलों को किसी तरह की मध्यस्थता के ज़रिये नहीं सुलझाया जा सकता: हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक क़रीबी रिश्तेदार द्वारा दो नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीड़न के मामले को मध्यस्थता से निपटाने की निंदा करते हुए कहा कि गंभीर प्रकृति के अपराधों से जुड़े मामलों में किसी भी तरह की मध्यस्थता की अनुमति नहीं है. ऐसा कोई भी प्रयास न्याय के सिद्धांतों और पीड़ितों के अधिकारों को कमज़ोर करता है.

बिहार: पांच साल की बच्ची से बलात्कार के आरोपी को पंचायत ने पांच उठक-बैठक की सज़ा दी

मामला नवादा ज़िले के एक गांव का है. आरोपी कथित तौर पर बच्ची को चॉकलेट देने का वादा कर अपने पॉल्ट्री फॉर्म ले गया और उसके साथ बलात्कार किया. इसे लेकर पंचायत ने यह कहते हुए कि वह बलात्कार का दोषी नहीं है, उसे बच्ची को एक सुनसान जगह पर ले जाने की सज़ा दी.

पॉक्सो केस के निपटारे में लगते हैं क़रीब डेढ़ साल, यूपी में लंबित मामलों का प्रतिशत सर्वाधिक

यौन अपराधों से बच्चों को संरक्षण क़ानून के दस साल पूरे होने पर विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में पॉक्सो के लंबित मामलों का प्रतिशत सर्वाधिक था, जहां नवंबर 2012 से फरवरी 2021 के बीच दर्ज कुल मामलों में से तीन-चौथाई (77.7%) से अधिक लंबित हैं.

जानकारी के बावजूद नाबालिग के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न की सूचना न देना गंभीर अपराध: सुप्रीम कोर्ट

महाराष्ट्र के एक डॉक्टर ने एक छात्रावास में नाबालिग छात्राओं के साथ यौन शोषण की जानकारी होने के बावजूद उचित प्राधिकरण को सूचित नहीं किया था, जिसके लिए पुलिस ने उस पर पॉक्सो का मामला दर्ज किया था. हाईकोर्ट द्वारा डॉक्टर के ख़िलाफ़ मामले को रद्द करने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.

फास्ट ट्रैक अदालतों में पॉक्सो के 2.26 लाख मामले लंबित, यूपी में सर्वाधिक: केंद्र

लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कानून एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि केंद्र सरकार ने 31 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 1,023 फास्ट ट्रैक विशेष अदालतें गठित करने की योजना शुरू की है, जिनमें 389 विशेष पॉक्सो अदालतें भी शामिल हैं. ऐसा इसलिए किया गया, ताकि पॉक्सो एक्ट के तहत बलात्कार से जुड़े मामलों की सुनवाई और उनका निपटान तेजी से किया जा सके.

2020 में बच्चों के ख़िलाफ़ साइबर अपराध के मामलों में 400 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि: एनसीआरबी

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, साल 2019 में बच्चों के ख़िलाफ़ साइबर अपराधों के 164 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2018 में बच्चों के ख़िलाफ़ साइबर अपराधों के 117 मामले सामने आए थे. इससे पहले 2017 में ऐसे 79 मामले दर्ज किए गए थे.

कोविड-19 के दौरान भारत में हर दिन बच्चों के ख़िलाफ़ अपराध के 350 से अधिक मामले दर्ज किए गए

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों को विश्लेषण कर चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) ने कहा कि हालांकि बच्चों के ख़िलाफ़ अपराधों की कुल संख्या में गिरावट आई है, लेकिन बाल विवाह के मामलों में 50 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ है, जबकि एक वर्ष में ऑनलाइन दुर्व्यवहार के मामलों में 400 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

पॉक्सो में ‘यौन उत्पीड़न’ की परिभाषा को पीड़ित के नज़रिये से भी देखा जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ के विवादित ‘स्किन टू स्किन टच’ फ़ैसले के ख़िलाफ़ दो याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखते हुए शीर्ष अदालत ने ‘यौन अपराध करने के इरादे’ पर ज़ोर देते हुए कहा कि अगर ‘शारीरिक संपर्क’ शब्द की व्याख्या इस तरह से की जाती है जहां अपराध तय करने के लिए ‘त्वचा से त्वचा का संपर्क’ आवश्यक हो, तो इसके नतीजे बेहद ख़तरनाक होंगे.

एक व्यक्ति द्वारा पीड़िता का मुंह बंद करना, बिना हाथापाई उसके कपड़े उतरना असंभवः हाईकोर्ट

बाॅम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ की जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला ने नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार के दो आरोपियों को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि पीड़िता की गवाही आरोपी को अपराधी ठहराने का भरोसा कायम नहीं करती है. इसी पीठ ने लड़की के वक्षस्थल को छूने के एक आरोपी को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि ‘त्वचा से त्वचा’ का संपर्क नहीं हुआ था.

नाबालिग का हाथ पकड़ना, पैंट की जिप खोलना पॉक्सो के तहत यौन हमला नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

बीते 19 जनवरी को एक अन्य मामले में बाॅम्बे हाईकोर्ट की इसी पीठ ने अपने एक बेहद विवादित फैसले में कहा था कि त्वचा से त्वचा का संपर्क हुए बिना नाबालिग पीड़िता का स्तन स्पर्श करना, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम (पॉक्सो) के तहत यौन हमला नहीं कहा जा सकता. इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट रोक लगा चुका है.

पाॅक्सो के तहत यौन उत्पीड़न के दोषी को बरी करने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने एक बच्ची के यौन उत्पीड़न के लिए पॉक्सो और आईपीसी के तहत दोषी ठहराए गए व्यक्ति को पॉक्सो से जुड़े मामले में बरी करते हुए कहा था कि स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट के बिना यौन हमला नहीं माना जा सकता. इस फैसले पर विवाद होने के बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख़ कर फ़ैसले पर स्वतः संज्ञान लिया था.

यौन उत्पीड़न पर बॉम्बे हाईकोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील करे महाराष्ट्र सरकार: एनसीपीसीआर

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ के एक बच्ची के यौन उत्पीड़न के लिए पॉक्सो और आईपीसी के तहत दोषी ठहराए गए व्यक्ति को पॉक्सो से बरी करने के फ़ैसले को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने ख़तरनाक बताया है, वहीं राष्ट्रीय महिला आयोग ने कहा है कि वे इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा.

बिना निर्वस्त्र किए बच्ची की छाती दबाने को यौन हिंसा नहीं कह सकते: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने एक बच्ची के यौन उत्पीड़न के लिए पॉक्सो और आईपीसी के तहत सत्र अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए व्यक्ति को पॉक्सो से बरी करते हुए कहा कि स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट के बिना यौन हमला नहीं माना जा सकता. कार्यकर्ताओं ने इस फ़ैसले को अपमानजनक और अस्वीकार्य बताया है.

मार्च से सितंबर तक बाल अश्लील सामग्री, बलात्कार एवं गैंगरेप की 13,244 शिकायतें दर्ज: स्मृति ईरानी

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्यसभा में बताया कि बच्चों के ख़िलाफ़ अपराध के अलावा एक मार्च से 20 सितंबर के बीच महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध की कुल 13,410 शिकायतें मिलीं, जिनमें से 4,350 घरेलू हिंसा से संबंधित थीं.

झारखंड: नाबालिग को एसिड पिलाने के मामले में कोर्ट ने कहा, लगता है पुलिस आरोपी को बचा रही है

पिछले साल दिसंबर में झारखंड के हज़ारीबाग ज़िले में 13 साल की एक बच्ची को कुछ लोगों ने जबरन एसिड पिला दिया था. वह दो महीने तक बोल नहीं पाई थी, इसलिए दो महीने बाद फरवरी में इस संबंध में केस दर्ज किया जा सका था और पुलिस अब तक आरोपी को पकड़ नहीं सकी है.