कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड से सभी दलों की तुलना में भाजपा को तीन गुना अधिक धन मिलने पर सवाल उठाया

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री मोदी पारदर्शिता की बात करते हैं, लेकिन चुनावी बॉन्ड राजनीतिक फंडिंग की सबसे अपारदर्शी प्रणाली है. इसके ज़रिये भाजपा ने विधायक ख़रीदने और सरकारें गिराने का काम किया.

आरबीआई के विलफुल डिफॉल्टर्स के क़र्ज़ को समझौते से निपटाने के निर्णय के ख़िलाफ़ आईं बैंक यूनियन

आरबीआई ने अपने नियमों में बदलाव करते हुए विलफुल डिफॉल्टर्स (जानबूझकर क़र्ज़ न चुकाने वाले) और धोखाधड़ी के मामलों के ऋण निपटान के लिए समझौते की अनुमति दी है. बैंक यूनियन इसके ख़िलाफ़ हैं. वहीं, कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार आम जनता के पैसों को अपने चुनिंदा मित्रों पर न्योछावर कर रही है.

‘ग़रीबों से हक़ छीनकर अंबानी-अडानी को दिया जा रहा है’

वीडियो: बीते रविवार को दिल्ली में 'एक वोट पर एक रोज़गार आंदोलन' की तरफ़ से रोज़गार क़ानून, न्यूनतम मज़दूरी एवं पेंशन को लेकर जन संसद का आयोजन किया गया था, जहां आए कर्मचारियों, श्रमिकों और कार्यकर्ताओं ने अपनी विभिन्न मांगें रखीं.

नरेंद्र मोदी के पास विपक्ष पर भ्रष्टाचार के मामले चलाने लायक विश्वसनीयता नहीं बची है

मोदी सरकार द्वारा किसी भी तरह की फास्ट ट्रैक कार्यवाही के इरादे के बिना जांच एजेंसियों के कथित पक्षपातपूर्ण इस्तेमाल को संगठित विपक्ष द्वारा बखूबी भुनाया जाएगा.

बैंक क़र्ज़ की हेराफेरी के मामले मे ‘न्यू इंडिया’ में कुछ नहीं बदला

चाहे हीरा-व्यापार का मामला हो या बुनियादी ढांचे की कुछ बड़ी परियोजनाएं, काम करने का तरीका एक ही रहता है- परियोजना की लागत को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना और बैंकों व करदाताओं का ज़्यादा से ज़्यादा पैसा ऐंठना.

आर्थिक सुधारों के बाद से उद्योग घरानों ने ही बैंकों को लूटा है

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को आर्थिक संकट में उद्योगपतियों ने ही डाला है और कमाल की बात यह है कि निजीकरण के तहत इन बैंकों को एक तरह से उनके ही क़ब्ज़े में देने की बातें हो रही हैं.

सब कुछ बदलने का वादा करके आए मोदी ने भ्रष्ट आर्थिक नीतियों को ही आगे बढ़ाया

आज जब दुनिया में नाना प्रकार के खोट उजागर होने के बाद भूमंडलीकरण की ख़राब ​नीतियों पर पुनर्विचार किया जा रहा है, हमारे यहां उन्हीं को गले लगाए रखकर सौ-सौ जूते खाने और तमाशा देखने पर ज़ोर है.

प्रधानमंत्री जी, आम लोगों की मेहनत की कमाई से कॉरपोरेट लूट की भरपाई कब तक होती रहेगी?

पिछली सरकारों में व्यवस्था को अपने फ़ायदे के लिए तोड़ने-मरोड़ने वाले पूंजीपति मोदी सरकार में भी फल-फूल रहे हैं.

गुजरात राज्य पेट्रोलियम कॉरपोरेशन में 30,651 करोड़ का घोटाला: कांग्रेस

सरकारी खजाने को 19,576 करोड़ का लगाया चूना. नजदीकी अधिकारियों को नवाजे गए ऊंचे पद. विदेशी मुद्रा के नाम पर 10,651 करोड़ बाहर ले जाया गया और गुम हो गया.

गुजरात मॉडल से समाज के केवल शीर्ष एक प्रतिशत को फ़ायदा हुआ: मनमोहन

गुजरात चुनाव राउंडअप: पूर्व पीएम ने कहा- गुजरात हर पैमाने पर हिमाचल, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों से पीछे, राहुल ने पूछा- आदिवासी कल्याण योजना के 55 हजार करोड़ रुपये कहां गए.

मोदी सरकार ने विज्ञापन पर ख़र्च किए 1500 से 2000 करोड़: कांग्रेस

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा का आरोप, सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रमों को बंद करने का प्रयास कर रही है केंद्र सरकार. अर्थव्यवस्था पर की श्वेत पत्र लाने की मांग.