ब्रिटेन के हाईकोर्ट ने विजय माल्या को दिवालिया घोषित किया

क़र्ज़ वसूली से जुड़े मामले में 13 बैंकों के समूह याचिकाकर्ता हैं. याचिकाकर्ता एक अरब ब्रिटिश पाउंड के क़र्ज़ के संदर्भ में दिवालिया आदेश के क्रियान्वयन को लेकर कानूनी कार्रवाई कर रहे हैं. भगोड़े कारोबारी विजय माल्या के ख़िलाफ़ करीब 9,000 करोड़ रुपये के क़र्ज़ की धोखाधड़ी और हेराफेरी का आरोप है. माल्या ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के बाद 2016 में देश छोड़ दिया था.

विजय माल्या की भारत प्रत्यर्पण के ख़िलाफ़ याचिका ब्रिटेन की अदालत ने ख़ारिज की

भगोड़े कारोबारी विजय माल्या ने भारत प्रत्यर्पित करने के आदेश के ख़िलाफ़ ब्रिटेन की एक अदालत में याचिका दायर की थी. माल्या क़रीब 9,000 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भारत में वांछित हैं.

माल्या को ब्रिटेन हाईकोर्ट से मिली राहत, दिवालिया घोषित करने की याचिका पर सुनवाई स्थगित

एसबीआई के नेतृत्व वाले भारतीय बैंकों के समूह ने याचिका दायर कर क़र्ज़ में डूबे कारोबारी विजय माल्या को दिवालिया घोषित करने की मांग की है, ताकि उनसे तकरीबन 10,837 करोड़ रुपये का क़र्ज़ वसूला जा सके.

प्रधानमंत्री मोदी मुझसे पैसा लेने के लिए बैंकों को आदेश क्यों नहीं देते: विजय माल्या

प्रधानमंत्री ने संसद में दिए अपने भाषण में 9,000 करोड़ रुपये लेकर भागने वाले एक शख़्स का ज़िक्र किया था. जिस पर फ़रार शराब कारोबारी विजय माल्या ने कहा कि मीडिया में कही-सुनी बातों से मैं अंदाज़ा लगा सकता हूं कि उनका इशारा मेरी तरफ़ था.

ब्रिटिश सरकार ने विजय माल्या के प्रत्यर्पण को दी मंजूरी

भारत प्रत्यर्पित करने के आदेश को ब्रिटेन के हाईकोर्ट में चुनौती देंगे माल्या. अपील की इजाजत हासिल करने के लिए 4 फरवरी से 14 दिनों का समय.

नितिन गडकरी बोले, एक बार क़र्ज़ न चुका पाने वाले विजय माल्या को चोर कहना ग़लत

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शराब कारोबारी विजय माल्या को लेकर कहा कि वो पचास साल से ब्याज़ भर रहे थे और अगर एक बार वो डिफाल्ट हो गए तो फ्रॉड कहना सही नहीं है.

माल्या और मोदी को वापस लाने पर हुए ख़र्च के ख़ुलासे से सीबीआई का इनकार

सीबीआई ने जानकारी न देने के पीछे तर्क दिया है कि 2011 की एक सरकारी अधिसूचना के अनुसार उसे सूचना के अधिकार के तहत जानकारी देने से छूट प्राप्त है.

विजय माल्या को दिए गए क़र्ज़ का रिकॉर्ड नहीं: वित्त मंत्रालय

सूचना के अधिकार के तहत वित्त मंत्रालय की ओर से दिए गए जवाब को केंद्रीय सूचना आयोग ने अस्पष्ट और क़ानून के अनुसार नहीं टिकने योग्य बताया.