पंजाब-हरियाणा की खनौरी सीमा पर एक और किसान की मौत, दिल्ली चलो मार्च 29 फरवरी तक निलंबित

शुक्रवार को 62 वर्षीय दर्शन सिंह का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. दिल्ली चलो विरोध मार्च के दौरान जान गंवाने वाले वे चौथे किसान हैं. 29 फरवरी तक विरोध मार्च को निलंबित करते हुए किसान नेताओं ने कहा है कि फिलहाल उनका ध्यान यह सुनिश्चित करने पर है कि किसान शुभकरण सिंह की मौत के लिए ज़िम्मेदार लोगों पर हत्या का केस दर्ज किया जाए.

किसानों पर आंसू गैस के इस्तेमाल को लेकर हरियाणा पुलिस सवालों के घेरे में

वीडियो: फसलों पर एमएसपी पर ख़रीद की गारंटी समेत अन्य मांगों के साथ पंजाब और हरियाणा की सीमाओं पर जुटे किसानों के ख़िलाफ़ हरियाणा पुलिस की कार्रवाई सवालों के घेरे में हैं. पुलिस पर लगातार आंसू गैस के गोले छोड़ने और पैलेट गन का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगा है. बीते 21 फरवरी को पुलिस से झड़प में एक युवा किसान शुभकरण सिंह की मौत भी हो गई थी.

किसानों के ख़िलाफ़ अफवाह के जवाब में जानिए खेती-किसानी की सच्चाई

वीडियो:​ किसान वर्तमान में जारी अपना प्रदर्शन फसलों के अधिकतम मूल्य को लेकर नहीं कर रहे हैं, बल्कि सरकार से ऐसी व्यवस्था की मांग कर रहे हैं कि उन्हें अपनी वाजिब मेहनत के लिए वाजिब कीमत मिल जाए. किसानों के प्रदर्शन और उनकी मांगों पर द वायर के अजय कुमार प्रकाश डाल रहे हैं.

किसान आंदोलन: मृतक किसान के परिवार ने मौत के लिए हरियाणा पुलिस को ज़िम्मेदार ठहराया

बीते 21 फरवरी को पंजाब-हरियाणा की खनौरी सीमा पर शुभकरण की मौत हरियाणा पुलिस की कार्रवाई के दौरान हो गई थी. उनकी मौत के कारण किसानों ने ‘दिल्ली चलो’ विरोध मार्च को अस्थायी रूप से रोक दिया है. इस बीच पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने उनके परिवार को 1 करोड़ रुपये की सहायता और बहन को नौकरी देने की घोषणा की.

हरियाणा पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों के ख़िलाफ़ एनएसए लगाने वाले बयान को वापस लिया

किसानों के आंदोलन को रोकने के दौरान हरियाणा पुलिस की द्वारा की गईं कार्रवाइयों की आलोचना हो रही है, जिसमें राज्य के सीमावर्ती इलाकों में 170 से अधिक किसान घायल हो गए और 22 वर्षीय शुभकरन सिंह की मौत हो गई. पुलिस विरोध कर रहे किसानों के ख़िलाफ़ आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियों का इस्तेमाल कर रही है.

किसानों ने केंद्र का प्रस्ताव ‘दिखावा’ बताकर ख़ारिज किया, ‘दिल्ली चलो मार्च’ फिर शुरू होगा

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की मांग को लेकर आंदोलनरत किसानों को चौथे दौर की वार्ता में केंद्र द्वारा पांच साल के लिए एमएसपी पर पांच फसलें खरीदने का प्रस्ताव दिया गया था, जिस पर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान संगठनों का कहना है कि यह अनुबंध खेती का प्रस्ताव था, जो पहले ही विफल हो चुकी है. यह किसानों को स्थायी आय की गारंटी नहीं दे सकती है.

किसानों ने केंद्र सरकार से कहा- एमएसपी की गारंटी पर अध्यादेश जारी करें, फिर बातचीत जारी रखें

शंभू बॉर्डर पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान मज़दूर मोर्चा ने कहा है कि अगर केंद्र सरकार किसानों के विरोध का समाधान करना चाहती है तो उसे तुरंत एक अध्यादेश जारी करना चाहिए, चर्चा इसके बाद भी की जा सकती है. इस बीच, केंद्र ने पंजाब के 20 थाना क्षेत्रों में इंटरनेट पर प्रतिबंध 24 फरवरी तक बढ़ा दिया है.

दिल्ली चलो मार्च: शंभू बॉर्डर पर किसानों ने कहा- एमएसपी पर क़ानून बनने तक वापस नहीं लौटेंगे

पंजाब-हरियाणा सीमा स्थित शंभू बैरियर का दृश्य 2020 में दिल्ली की सीमाओं पर हुए किसान आंदोलन की सटीक पुनरावृत्ति है. किसानों ने कहा कि पिछले आंदोलन के समय हमें एमएसपी पर क़ानून बनाने का आश्वासन दिया था, तो केंद्र सरकार क़रीब तीन साल तक क्यों बैठी रही. मोदी सरकार निश्चित रूप से अपने अहंकार के चरम पर है.

किसान आंदोलन राष्ट्रव्यापी घटना नहीं, सिर्फ़ पंजाब तक सीमित: केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री

केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा है कि किसानों का प्रदर्शन सिर्फ़ पंजाब में ही है. पंजाब में भी ऐसे लोग इसमें शामिल हैं, जो अधिकांशत: कांग्रेस कार्यकर्ता हैं.