दिल्ली विश्वविद्यालय ने फ़िलिस्तीनी कविताओं पर कार्यक्रम को रद्द किया

इस संबंध में आयोजकों द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि जब रजिस्ट्रार से कार्यक्रम को अचानक रद्द करने का कारण पूछा गया, तो उनकी तरफ़ से कोई जवाब नहीं दिया गया. जबकि इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए आर्ट्स फैकल्टी के डीन से पूर्व में ही लिखित अनुमति ले ली गई थी, और उस कक्ष में कोई अन्य कार्यक्रम भी प्रस्तावित नहीं था.

सुप्रीम कोर्ट का जीएन साईबाबा को बरी करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार

बीते 5 मार्च को बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा और पांच अन्य को ‘आतंकवाद’ के आरोपों से बरी कर दिया था. महाराष्ट्र सरकार ने अदालत के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा समेत पांच को बरी किया

दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा, जो 90 फीसदी से अधिक शारीरिक अक्षमता का शिकार हैं और ह्वीलचेयर पर रहते हैं, पर यूएपीए के तहत आरोप लगाए गए थे. साल 2014 में गिरफ़्तार किए गए साईबाबा के अब रिहा होने की संभावना है.

हितोपदेश के एक श्लोक से वस्त्र की तरह गिरी एक पंक्ति और डर कर जमी हुई कविता में प्रतिध्वनियां

अनामिका की एक सामान्य-सी कविता के एक संदर्भ को लेकर चल रही बहस के भीतर चिंगारियां या अदावत का आह्लाद तलाश करने के बजाय यह देखना ज़रूरी है कि हम शब्दों के प्रति कितने सचेतन हैं कि कविता के शब्द कभी हमारी स्मृतियों के भीतर भी कभी नहीं गिरें. भले ही वे नारायण पंडित के हितोपदेश के किसी श्लोक के शब्द हों या फिर अनामिका की किसी स्मृति के बिंब से जुड़े.

दिल्ली विश्वविद्यालय: एक संभावनाशील प्रोफ़ेसर की बेदख़ली

पुस्तक समीक्षा: दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कॉलेज में पिछले 14 सालों से एडहॉक कोटे से पढ़ा रहे और अब बेदख़ल कर दिए गए डॉ. लक्ष्मण यादव की हाल ही में प्रकाशित किताब ‘प्रोफ़ेसर की डायरी’ एडहॉक व्यवस्था की क्रूरता का पर्दाफ़ाश करती है. इन व्यवस्था ने ऐसा वर्ग विभाजन पैदा किया है, जहां संभावनाशील और मेहनतकश प्रोफ़ेसरों को शोषण की अंतहीन चक्की में झोंक दिया जाता है.

दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज में भगवद गीता पर सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया गया

डीयू के रामानुजन कॉलेज ने फैकल्टी सदस्यों और शोधार्थियों के लिए भगवद गीता पर आधारित सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया है. कॉलेज द्वारा जारी कॉन्सेप्ट नोट में कहा गया है कि इससे जुड़कर, प्रतिभागी न केवल आध्यात्मिक समझ को समृद्ध करेंगे बल्कि देश की सांस्कृतिक और दार्शनिक विरासत से भी परिचित होंगे.

अस्थायी शिक्षकों को बर्ख़ास्त किए जाने पर क्या सोचते हैं दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र

बीते दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय के कई कॉलेजों से विभिन्न विभागों के ऐसे एडहॉक शिक्षकों को हटाने की घटनाएं सामने आई हैं, जो एक दशक से अधिक समय से सेवाएं दे रहे थे.

दिल्ली विश्वविद्यालय में आरएसएस के पथ संचलन को लेकर क्या बोले विद्यार्थी

वीडियो: दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में कुछ दिन पहले आरएसएस ने पथ संचलन का कार्यक्रम किया था. इस आयोजन पर कई विद्यार्थी संगठनों ने नाराज़गी जताते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन से कार्रवाई की मांग की थी. जेएनयू के बाद अब दिल्ली विश्वविद्यालय के नार्थ कैंपस में भी आरएसएस ने मार्च निकाला है.

भारत में विश्वविद्यालय मर रहे हैं

वीडियो: क्या भारत के विश्वविद्यालयों के अंदर शैक्षणिक स्वतंत्रता नाम की कोई चीज़ बची है? यूनिवर्सिटी की परिभाषा विचारों के आदान-प्रदान की जगह की है, लेकिन क्या आज हिंदुस्तान में ऐसी कोई जगह बच पाई है? चर्चा कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और डीयू के प्रोफेसर अपूर्वानंद.

क्यों सीयूईटी आंसर-की ही सवालों के घेरे में हैं

केंद्र सरकार के लिए उच्च शिक्षा और विश्वविद्यालय आज प्रयोगशाला में बदल चुका है, जहां मनमाने निर्णय लिए जा रहे हैं, जिन्हें जल्दबाज़ी में और बिना किसी गहन विचार-विमर्श के लागू किया जा रहा है.

डीयू: प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में काली पोशाक नहीं पहनने और अनिवार्य उपस्थिति का निर्देश

दिल्ली विश्वविद्यालय के कुछ कॉलेजों ने अपने शताब्दी समारोह की लाइव स्ट्रीमिंग में भाग लेने के लिए छात्रों के लिए निर्देशों की एक सूची जारी की है. इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि होंगे. कुछ छात्र संगठनों ने इन निर्देशों को निंदनीय बताया है.

डीयू ने ईद के अवकाश को ‘वर्किंग डे’ घोषित किया, शिक्षक संघ ने कहा- सांप्रदायिक निर्णय

दिल्ली विश्वविद्यालय ने 29 जून (ईद-उल-जुहा) को कार्य दिवस के रूप में चिह्नित किया है क्योंकि डीयू के शताब्दी समारोह का समापन कार्यक्रम 30 जून को होना है, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि हैं.  डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट ने इस क़दम को ‘बेहद सांप्रदायिक’ बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है.

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