वीडियो: दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर व नेशनल फेडरेशन ऑफ ब्लाइंड की उपाध्यक्ष कुसुमलता मलिक ने डीयू की ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा पर सवाल उठाए हैं. सृष्टि श्रीवास्तव के साथ बातचीत में उन्होंने दृष्टिबाधित छात्रों की चिंताओं को साझा किया.
राष्ट्रीय दृष्टिहीन महासंघ ने कहा कि ओपन बुक परीक्षा के लिए दृष्टिहीन छात्रों के पास इंटरनेट या कंप्यूटर की सुविधाएं नहीं हैं, न ही वे ऑनलाइन परीक्षा के तकनीकी पहलुओं से परिचित हैं. महामारी के दौरान परीक्षा में लिखने के लिए उन्हें कोई राइटर भी नहीं मिल पाएगा.
दिल्ली विश्वविद्यालय ने घरेलू परीक्षाओं को 'ओपन बुक एग्जाम' मोड में लेने के निर्देश दिए हैं, जिसके लिए तकनीकी संसाधन अनिवार्य हैं. लेकिन असमान वर्गों से आने वाले छात्रों के पास ये संसाधन हैं, यह कैसे सुनिश्चित किया गया? अगर विश्वविद्यालय ने उन्हें दाखिले के समय लैपटॉप या स्मार्ट फोन मुहैया नहीं करवाया तो वह इनके आधार पर परीक्षा लेने की बात कैसे कर सकता है?
दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन का कहना है कि कुलपति योगेश त्यागी ने यूनिवर्सिटी के स्टाफ द्वारा प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के लिए दिए गए करीब चार करोड़ रुपये बिना किसी की सलाह के पीएम केयर्स फंड में ट्रांसफर किए हैं.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष ओईशी घोष ने कहा कि यह जेएनयू की विरासत के लिए शर्मनाक है कि इस विश्वविद्यालय में इस आदमी का नाम डाल दिया गया है.
यह प्रोजेक्ट क्षेत्र दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन द्वारा रक्षा मंत्रालय से अधिग्रहीत की गई 3.05 हेक्टेयर भूमि का हिस्सा था. मेट्रो स्टेशन एक हेक्टेयर भूमि पर बनाया गया था और बाकी एक कंपनी को दिया गया था, जो आवासीय फ्लैट बनाने की योजना बना रही है.
शुक्रवार को सोशल मीडिया जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष ओईशी घोष की दो तस्वीरों को यह कहकर साझा किया गया कि अलग-अलग समय पर उनके हाथ में बंधी पट्टी एक बार दाहिनी तरफ और एक समय बायीं ओर बंधी है और उनकी चोट फ़र्ज़ी है. ऑल्ट न्यूज़ की पड़ताल में यह दावा झूठा पाया गया है.
शिक्षण संस्थानों का जब-जब राजनीतिकरण होगा, उसकी परिणति अक्सर हिंसा के रूप में ही होती है. जेएनयू को लेकर हुए विवाद में आज देश दो धड़े में विभाजित है और यह विभाजन धार्मिक या जातीय नहीं बल्कि वैचारिक है.
वीडियो: नई दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पांच जनवरी की रात हिंसा के शिकार छात्रों, प्रोफेसरों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से विशाल जायसवाल की बातचीत.
जो लोग जेएनयू गेट पर लाठियां लेकर खड़े थे और भीतर जो लोग लाठियां लेकर शिक्षकों और छात्र-छात्राओं की लिंचिंग पर उतारू थे, उनकी मंशा को समझना क्या इतना मुश्किल है?
सूत्रों ने कहा कि रिपोर्ट में सुबह 8 बजे जेएनयू प्रशासनिक ब्लॉक में महिला पुलिसकर्मियों के साथ कुल 27 पुलिसकर्मियों के सादे कपड़ों में ड्यूटी पर तैनात होने और रात की पाली के बाद हटने तक की घटनाओं का जिक्र है. दिल्ली पुलिस कमिश्ननर अमूल्य पटनायक को सौंपी गई यह रिपोर्ट संभवतया केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी जाएगी.
वीडियो: बीते पांच जनवरी को देर शाम जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में हुई हिंसा के संबंध में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद का नज़रिया.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलाधिपति और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कर्ण सिंह ने जेएनयू में हुए हमले पर कुलपति जगदीश कुमार की आलोचना की और आरोप लगाया कि ऐसे कठिन समय में वह अनुपस्थित थे और पूरी तरह विफल रहे.
बीते रविवार शाम करीब तीन साढ़े घंटे तक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हिंसा हुई, जिसमें छात्रों समेत कई शिक्षक भी घायल हुए. मीडिया बोल की इस कड़ी में उर्मिलेश इस बारे में जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष गीता कुमारी, जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर पुरुषोतम अग्रवाल, स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव और वरिष्ठ पत्रकार शीतल सिंह के साथ चर्चा कर रहे हैं.
वीडियो: बीते पांच जनवरी की रात कुछ नकाबपोश लोग जेएनयू कैंपस में घुस आए और विभिन्न हॉस्टलों में तोड़फोड़ की. साथ ही उपद्रवियों ने छात्रों को बर्बर तरीके से पीटा. इस हिंसा में जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आईशी घोष समेत कुल 30 से अधिक लोग घायल हुए हैं. पूरे घटनाक्रम पर शेखर तिवारी, धीरज मिश्रा, विशाल जायसवाल और अविचल दुबे की रिपोर्ट.