मध्य प्रदेश के बक्सवाहा में वन विभाग की अनुमति के बिना एक भी पेड़ न काटा जाए: एनजीटी

बुंदेलखंड क्षेत्र में हीरा खनन के लिए छतरपुर ज़िले के बक्सवाहा जंगल के एक बड़े हिस्से में लगे दो लाख से अधिक पेड़ काटे जाने की योजना है. एनजीटी में दायर याचिका में कहा गया है कि इस परियोजना से जैविक पर्यावरण को क्षति पहुंचने की आशंका है. मांग की गई कि बक्सवाहा जंगल में हीरा खनन के लिए पर्यावरण क्लीयरेंस न दिया जाए.

मध्य प्रदेश: पर्यावरण दिवस पर वन बचा रहे शिवराज बक्सवाहा के जंगलों की बर्बादी पर मौन क्यों हैं

बुंदेलखंड क्षेत्र में हीरा खनन के लिए छतरपुर ज़िले के बक्सवाहा जंगल के एक बड़े हिस्से में लगे दो लाख से अधिक पेड़ काटे जाने की योजना है, जिसका व्यापक स्तर पर विरोध हो रहा है. विडंबना यह है कि बीते दिनों पर्यावरण बचाने की कसमें खाने वाले सत्ता और विपक्ष के अधिकांश नेता इसे लेकर चुप्पी साधे हुए हैं.

‘विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस गांव के पानी को दूषित बताती थी, पर सत्ता में आते ही मुकर गई’

विशेष रिपोर्ट: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद ज़िले के सुपेबेड़ा गांव के लोगों के अनुसार बीते डेढ़ दशक में भूजल प्रदूषण के कारण सवा सौ से अधिक लोग गुर्दे की बीमारी के चलते जान गंवा चुके हैं. ग्रामीणों के मुताबिक़ कांग्रेस ने सरकार बनने पर शुद्ध पानी, मुआवज़े और इलाज का वादा किया था पर दो साल बीत जाने के बाद भी ऐसा नहीं हुआ.

क्यों छत्तीसगढ़ के एक गांव के लोग किडनी और लीवर की बीमारियों के शिकार होते जा रहे हैं

राज्य के गरियाबंद ज़िले के दो हज़ार की आबादी वाले सुपेबेड़ा गांव में 235 लोग किडनी रोग ग्रस्त हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि उनके गांव में हीरा खदान होने से सरकार इसे खाली कराना चाहती है. इसलिए उनके स्वास्थ्य की अनदेखी कर रही है.