प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक तरफ विपक्ष के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के आरोप लगाते भाषण देते हैं, वहीं दूसरी तरफ विपक्ष के उन्हीं 'भ्रष्टाचारी' नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करके पद, प्रतिष्ठा और सम्मान देते हैं.
क़ानून और न्याय पर संसदीय समिति के अध्यक्ष और भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने उत्तर-पूर्व और देश के अन्य हिस्सों के आदिवासियों को समान नागरिक संहिता के दायरे से बाहर रखने का सुझाव दिया. वहीं जबकि विपक्षी दलों ने इस विवादास्पद मुद्दे पर नए सिरे से विचार-विमर्श के समय पर सवाल उठाए हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में समान नागरिक संहिता की पुरजोर वकालत के बाद मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा और नेशनल पीपुल्स पार्टी प्रमुख ने कहा कि पूर्वोत्तर में अनूठी संस्कृति और समाज है और वह ऐसे ही रहना चाहेंगे. उन्होंने यह भी जोड़ा कि विविधता भारत की ताक़त है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में की गई समान नागरिक संहिता की पैरवी पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि उनका विचार सांप्रदायिक तनाव और क़ानून-व्यवस्था की समस्या पैदा करना है. उन्हें लगता है कि वह इससे अगला चुनाव जीत सकते हैं.
मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने पर भाजपा द्वारा चलाए जा रहे अभियान के तहत वेल्लोर में आयोजित एक जनसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नए संसद में 'सेंगोल' के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करने के लिए राज्य की जनता वहां से आगामी लोकसभा चुनाव में पच्चीस एनडीए सांसद चुने.
नरेंद्र मोदी 28 मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन करेंगे. विपक्षी दलों की मांग है कि उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कराया जाए. 19 विपक्षी दलों ने एक बयान जारी कर कहा है कि जब लोकतंत्र की आत्मा को ही संसद से निकाल दिया गया है, तो उनके लिए नई इमारत का कोई मोल नहीं है.
तमिलनाडु विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र और राष्ट्रपति से सदन द्वारा पारित किए गए विधेयकों को मंज़ूरी देने के लिए राज्यपालों के लिए एक समयसीमा तय करने का आग्रह किया है. सितंबर 2021 में पदभार ग्रहण करने के बाद से राज्यपाल आरएन रवि के पास राज्य मंत्रिमंडल द्वारा पारित लगभग 20 विधेयक उनकी मंज़ूरी के लिए लंबित हैं.
2014 और 2019 में नरेंद्र मोदी ने न केवल यह दिखाया कि भाजपा अपने बलबूते पर चुनाव जीत सकती है बल्कि इस प्रक्रिया में इसने कांग्रेस को बर्बाद कर दिया. अब, बिना किसी केंद्रीय ताकत के हर क्षेत्रीय पार्टी के उसके एजेंडा, महत्वाकांक्षाओं के साथ इकट्ठा कर कोई संयुक्त मोर्चा बनाना लगभग असंभव लगता है.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने दावा किया है कि 2024 के आम चुनावों से पहले एकजुट विपक्ष बनाने के उनके बयानों के कारण राज्य में प्रवासी श्रमिकों पर हमले और धमकी से जुड़ीं फ़र्ज़ी ख़बरें और अफ़वाहें फैलाई गईं. उन्होंने कहा कि उत्तर भारतीय राज्यों के भाजपा सदस्यों ने बुरी नीयत से ऐसा किया.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्य में हिंदी विरोधी आंदोलन के दौरान जान गंवाने वालों के सम्मान में आयोजित ‘भाषा शहीद दिवस’ में केंद्र पर बेशर्मी से हिंदी थोपने का आरोप लगाते हुए कहा कि हम किसी भाषा के दुश्मन नहीं हैं. अपने हित के लिए कोई कितनी भी भाषाएं सीख सकता है, पर हम थोपे जाने के किसी भी क़दम का विरोध करेंगे.
केंद्र और न्यायापालिका के बीच जजों की नियुक्ति को लेकर चल रही खींचतान के बीच क़ानून मंत्री किरेन रिजीजू ने प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों के कॉलेजियम में केंद्र और राज्यों के प्रतिनिधियों को शामिल करने का सुझाव दिया है. उन्होंने यह भी कहा कि सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को लिखे गए पत्र की सामग्री सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ की टिप्पणी और निर्देश के अनुरूप है.
राज्यपाल आरएन रवि और राज्य सरकार के बीच टकराव की शुरुआत रवि द्वारा प्रदेश का नाम बदलने का सुझाव देने के साथ हुई थी. बीते सोमवार को विधानसभा में राज्यपाल ने सरकार द्वारा तैयार अभिभाषण के कुछ अंशों को छोड़ दिया, जिसके बाद मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इस बदलाव को ख़ारिज करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया, जिस पर रवि सदन से वॉकआउट कर गए.
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में बताया कि देश के 19 राज्यों की विधानसभाओं में महिला विधायकों की संख्या 10 प्रतिशत से कम है. पूरे देश में विधानसभाओं में महिला विधायकों का औसत केवल आठ प्रतिशत है. वहीं, लोकसभा में महिला सांसदों की हिस्सेदारी 14.94 प्रतिशत और राज्यसभा में 14.05 प्रतिशत है.
तमिलनाडु के सत्तारूढ़ दल द्रविड़ मुनेत्र कड़गम ने सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत एक हलफ़नामे में कहा है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 मनमाना है क्योंकि धार्मिक अल्पसंख्यकों पर विचार करते हुए भी यह भारतीय मूल के तमिलों को बाहर रखता है, जो उत्पीड़न के कारण श्रीलंका से भागकर भारत में रह रहे हैं.
मद्रास हाईकोर्ट में द्रमुक पार्टी के सदस्य कुन्नूर सीनिवासन द्वारा द्वारा दाखिल याचिका में वित्त अधिनियम, 2022 की पहली अनुसूची, भाग I, पैराग्राफ ए को रद्द करने की मांग की है. अधिनियम का यह हिस्सा आयकर की दर तय करता है. कोर्ट ने इसे लेकर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है.