शुक्रवार आधी रात को नेपाल में आए 6.4 तीव्रता के भूकंप में कम से कम 132 लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक लोग घायल हो गए. बताया जा रहा है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है. भूकंप का असर भारत में दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार तक महसूस किया गया.
पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान में पाकिस्तान की सीमा के पास एक ग्रामीण पर्वतीय क्षेत्र में आए 6.1 तीव्रता वाले भूकंप से हुए विनाश का दायरा बढ़ सकता है. फिलहाल भूकंप से 1,500 से अधिक लोगों के घायल होने की सूचना है. भूकंप का केंद्र अफ़गानिस्तान के पक्तिका प्रांत में खोस्त शहर से क़रीब 50 किमी. दक्षिण-पश्चिम में था. भारत ने अफ़ग़ानिस्तान के लोगों को सहायता एवं समर्थन देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है.
हैती में 14 अगस्त को 7.2 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप में लगभग 5,700 लोग घायल हुए हैं, जबकि हज़ारों की संख्या में लोग बेघर हो गए हैं. भूकंप से देश के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में कई शहर लगभग पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं और भूस्खलन होने से बचाव अभियान प्रभावित हो रहा है. सोमवार देर रात तक तूफान ‘ग्रेस’ के हैती पहुंचने से हालात और ख़राब होने की आशंका जताई जा रही है.
ईरान में भूकंप से 7,156 लोग घायल हुए. इराक में सात लोगों की मौत हुई. भूकंप के कारण दुबई की गगनचुंबी इमारतें भी हिल गईं.
प्रकृति विरोधी विकास हमें विनाश की और ले जा रहा है. पहाड़ों को काटने, नदियों को बांधने और जंगलों को मिटाने का मतलब विकास नहीं है, यह ख़ुद को मिटाने की भौतिक तैयारी है. हमारी शिक्षा ने हमें अपने परिवेश और पर्यावरण से बहुत दूर कर दिया है. ये जंगल, पर्वत और झरने हमें अध्यात्म का विषय लगते हैं, पर इससे पहले ये भूगोल का विषय हैं.
भू-स्खलन ख़तरनाक है ही पर यदि बाढ़, भूकंप आदि अन्य आपदाओं को साथ मिलाकर देख जाए तो यह और भी जानलेवा हो जाते हैं, तिस पर अपनी लापरवाहियों से हमने इस संभावना को और बढ़ा दिया तो इसकी बहुत महंगी कीमत चुकानी पड़ेगी.