मोदी सरकार के ‘विकास’ मॉडल में ग़रीब रोटी को तरस रहा है और पूंजीपति रईस हो रहे हैं

2023 में भारतीय अर्थव्यवस्था बेतहाशा महंगाई और आय असमानता का सामना कर रही है. बढ़ती महंगाई अकेले बाज़ार ताक़तों के चलते नहीं है, बल्कि यह उस सरकारी रवैये का नतीजा है जहां एक वर्ग को दूसरे पर प्राथमिकता दी जाती है.

भारतीय जीडीपी में बढ़ती विसंगतियां विकास की झूठी कहानी की ओर इशारा करती हैं: विशेषज्ञ

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के मुताबिक़, वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.8 फीसदी रही. हालांकि, विशेषज्ञों का दावा है कि भारत के आधिकारिक जीडीपी आंकड़े भ्रामक हैं.

मोदी के तीसरे कार्यकाल में टॉप-3 में होगी भारत की अर्थव्यवस्था, इस खोखली गारंटी का पूरा सच

वीडियो: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की अर्थव्यवस्था को हमेशा आकार के लिहाज़ से पेश करते हैं, प्रति व्यक्ति आमदनी के लिहाज़ से नहीं. हाल ही में उन्होंने कहा कि उनके पहले कार्यकाल में देश की अर्थव्यवस्था दुनिया में ‘10 नंबरी’ (10वें स्थान पर) थी. दूसरे कार्यकाल में 5वें नंबर पर थी. अब उन्होंने गारंटी दी है कि उनके तीसरे कार्यकाल में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा.

मोदी सरकार के नौ साल में भारत पर क़र्ज़ कितना बढ़ा है?

वीडियो: बीते 9 साल में भारत का क़र्ज़ा अगर 100 लाख करोड़ बढ़ा है, तो यह गया कहां? क़र्ज़ बढ़ने का भारत के लोगों को क्या फायदा हुआ? बीते 9 साल में टैक्स कलेक्शन में 3 गुना की बढ़ोतरी हुई है? इसे किस तरह देखा जाना चाहिए?

कांग्रेस का दावा- भारत पर 155 लाख करोड़ रुपये का क़र्ज़, श्वेत-पत्र लाने की मांग की

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि मई 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से क़र्ज़ का बोझ 100 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ गया है. 67 वर्षों में 14 प्रधानमंत्रियों के रहते क़र्ज़ 55 लाख करोड़ रुपये था, जबकि मोदी कार्यकाल में इसमें 100 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि देखी गई है.

2,000 रुपये को नोटों की वापसी की जटिल प्रक्रिया का असली निशाना कौन है?

2,000 रुपये के नोट रखने वालों के लिए अब एक स्पष्ट प्रोत्साहन है कि वे बैंक में पैसे जमा करने के बजाय सिर्फ एक्सचेंज के लिए जाएं और आयकर उद्देश्यों के लिए जांच की जाए. हालांकि, नोट एक्सचेंज करने को काफी मुश्किल बना दिया गया है क्योंकि एक बार में सिर्फ 20,000 रुपये ही बदले जा सकते हैं.

क्या दो हज़ार रुपये के नोट की वापसी मोदी की नोटबंदी की विफलता का सबूत है?

वीडियो: 2,000 रुपये का नोट क्यों जारी किया गया था और इसकी वापसी क्यों हुई? क्या काला धन ख़त्म हो गया है? क्या भारत में इस नोट की ज़रूरत है?

दो हज़ार रुपये के नोट और आंशिक नोटबंदी के पीछे का रहस्य

भारतीय रिज़र्व बैंक की तरफ से दो हज़ार रुपये मूल्यवर्ग के नोट को वापस लेने के निर्णय को सही ठहराने के लिए जो भी तर्क दिए गए हैं, उनमें से कोई भी मान्य नहीं है.

न्यू इंडिया में सामाजिक दरारें चौड़ी होती जा रही हैं

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: इस समय भारतीय समाज में कई भीषण और गहरी दरारें पड़ चुकी हैं- जो पहले से थीं उन्हें और चौड़ा किया जा रहा है. सत्तारूढ़ राजनीति खुल्लमखुल्ला अभद्रता, गाली-गलौज, कीचड़फेंकू वृत्ति आदि से राजनीति, व्यापक ज़रूरी मुद्दों पर बहस को लगभग असंभव बना रही है.

भारत की इंटरनेट शटडाउन नीति की समीक्षा के लिए 300 से अधिक वैश्विक संगठनों ने सरकार को पत्र लिखा

105 देशों के 300 से अधिक संगठनों ने इंटरनेट शटडाउन को समाप्त करने की वकालत करने वाले #KeepItOn गठबंधन के बैनर तले केंद्रीय संचार एवं इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव को लिखे खुले पत्र में बताया है कि भारत ने 2022 में 84 बार ‘इंटरनेट शटडाउन’ किया. विश्व में लगातार पांचवें वर्ष भारत में यह संख्या सबसे अधिक रही.

क्या दुनियाभर में बैंकों के डूबने का ख़तरा मंडरा रहा है?

वीडियो: महज 10 दिनों के भीतर अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा बैंक सिलिकॉन वैली बैंक डूबा, फिर तीसरा सबसे बड़ा सिग्नेचर बैंक. इसके बाद यूरोप में 166 साल पुराने स्विट्जरलैंड के दूसरे सबसे बड़े बैंक क्रेडिट सुईस की भी नैया डूब गई. दुनिया की अर्थव्यवस्था के साथ भारत पर इसका क्या असर पड़ेगा?

देश की बड़ी आबादी ‘अमृतकाल’ के अमृत से वंचित क्यों है

भारतीय मिथकीय संदर्भों में अमृत-विष की अवधारणा समुद्र मंथन से जुड़ती है, जहां मोहिनीरूपधारी विष्णु ने चालाकी से सारा अमृत देवताओं को पिला दिया था. आज मोदी सरकार ने आर्थिक संपदा व संसाधनों को प्रभुत्व वर्ग के हाथों में केंद्रित करते हुए मोहिनी की तरह अमृत का पूरा घड़ा ही उनके हाथ में दे दिया है.

क्या मोदी का 2004 से 2014 की अवधि को ‘बर्बाद दशक’ कहने का दावा सही है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में 2004 से 2014 के दशक को 'लॉस्ट डेकेड' कहा था. यह पद अर्थव्यवस्थाओं में प्रति व्यक्ति आय में न के बराबर बढ़ोतरी को लेकर चलन में रहा है. हालांकि प्रधानमंत्री ने भारत में जिस दशक के लिए इसे इस्तेमाल किया, उससे जुड़े आंकड़े इस अर्थ के विपरीत तस्वीर दिखाते हैं.

संसदीय समिति ने इंटरनेट शटडाउन का रिकॉर्ड नहीं रखने पर दूरसंचार विभाग की खिंचाई की

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जून 2012 से मार्च 2021 के बीच देशभर में सरकार द्वारा 518 बार इंटरनेट को बंद किया गया. यह दुनिया में इंटरनेट ब्लॉक करने का सबसे ऊंचा आंकड़ा है. हालांकि, दूरसंचार विभाग और गृह मंत्रालय के पास इन आंकड़ों की पुष्टि का कोई तंत्र नहीं है. उनके पास राज्यों द्वारा इंटरनेट को बंद करने आदेशों का कोई ब्योरा नहीं है.

आरएसएस से संबद्ध संस्थाओं ने बजट पर चिंता जताई

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध संस्था स्वदेशी जागरण मंच ने कहा है कि नई कर व्यवस्था का करदाताओं की बचत पर बुरा असर पड़ेगा. संस्था ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि नई कर व्यवस्था में कुछ इस तरह का बदलाव किया जाए, जिससे मध्य वर्ग बचत करने को प्रेरित हो. आरएसएस से ही जुड़े भारतीय मज़दूर संघ ने भी बजट पर निराशा जताई है.