डॉलर के मुकाबले रुपया 82.69 के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंचकर 82.34 पर बंद हुआ

सोमवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 39 पैसे टूटकर 82.69 के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया. बाद में, भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से उसकी स्थिति में कुछ सुधार हुआ.

सितंबर में भारत की सेवा क्षेत्र की गतिविधि छह महीने के निचले स्तर पर पहुंची

अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ‘एसएंडपी ग्लोबल’ द्वारा जारी सेवा क्षेत्र के लिए क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) अगस्त में 57.2 से घटकर सितंबर में 54.3 पर आ गया. यह मार्च के बाद सबसे धीमी दर से विस्तार को दर्शाता है. 

आरएसएस महासचिव ने देश में बेरोज़गारी और आय में विषमता पर चिंता जताई

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि हमें इस बात का दुख होना चाहिए कि 20 करोड़ लोग ग़रीबी रेखा से नीचे हैं और 23 करोड़ लोग प्रतिदिन 375 रुपये से भी कम कमा रहे हैं. ग़रीबी हमारे सामने एक राक्षस-जैसी चुनौती है. यह महत्वपूर्ण है कि इस दानव को ख़त्म किया जाए.

रुपये के 81.09 प्रति डॉलर पहुंचने के बाद वित्त मंत्री बोलीं- दूसरी मुद्राओं की तुलना में मज़बूत है

डॉलर के मुकाबले रुपये की क़ीमत के रिकॉर्ड स्तर पर गिरने के बाद भारतीय मुद्रा की स्थिति को लेकर जताई जा रही चिंताओं के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि गिरावट के मौजूदा दौर में डॉलर के मुक़ाबले अन्य मुद्राओं की स्थिति पर भी अध्ययन करने की ज़रूरत है.

भारतीय उद्योगों को ‘हनुमानत्व’ पहचानने के लिए राम के नाम पर सरकार चलाने वालों की ज़रूरत है

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निवेश के लिए प्रोत्साहित करते हुए भारतीय उद्योगों से 'हनुमान' की तरह उनकी ताक़त पहचानने की बात कही है. कारोबार अपनी क्षमता बढ़ा भी लें, पर भारतीय उपभोक्ता की आय नहीं बढ़ रही है और खपत आधारित वृद्धि अब तक के सबसे निचले स्तर पर है.

अब देश की जनता को ही सिकुड़ते लोकतंत्र के विरुद्ध खड़ा होना होगा

मोदी सरकार एक ऐसा राज्य स्थापित करने की कोशिश में है जहां जनता सरकार से जवाबदेही न मांगे. नागरिकों के कर्तव्य की सोच को इंदिरा गांधी सरकार ने आपातकाल के दौरान संविधान में जोड़ा था. मोदी सरकार बिना आपातकाल की औपचारिक घोषणा के ही अधिकारहीन कर्तव्यपालक जनता गढ़ रही है.

देश को बांटना बंद करें, विभाजनकारी गतिविधियों पर रोक का प्रयास करे सरकार: गोदरेज अध्यक्ष

गोदरेज इंडस्ट्रीज के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक नादिर गोदरेज ने कहा, ‘मुझे लगता है कि देश को बांटना बंद कर इसे एकजुट करने की कोशिश करनी चाहिए. मुझे भरोसा है कि सरकार भी आर्थिक वृद्धि के लिए इसे ज़रूरी मानती है, हमें इस पर ध्यान देना चाहिए.’

बेरोज़गारी दर अगस्त में बढ़कर एक साल के उच्च स्तर 8.3 प्रतिशत पर: सीएमआईई

आर्थिक शोध संस्थान सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में रोज़गार पिछले महीने की तुलना में 20 लाख घटकर 39.46 करोड़ रह गया. इस दौरान शहरी बेरोज़गारी दर बढ़कर 9.6 प्रतिशत और ग्रामीण बेरोज़गारी दर बढ़कर 7.7 प्रतिशत हो गई.

भारतीय कृषि आर्थिकी के विशेषज्ञ और प्रख्यात अर्थशास्त्री अभिजीत सेन का निधन

देश में ग्रामीण अर्थव्यवस्था के प्रमुख विशेषज्ञों में से एक 72 वर्षीय अभिजीत सेन जेएनयू में अर्थशास्त्र पढ़ाया करते थे. सेन ने शिक्षण के अलावा कई महत्वपूर्ण सरकारी पदों पर भी अपनी सेवाएं दीं. वे कृषि लागत और मूल्य आयोग के अध्यक्ष और योजना आयोग के सदस्य भी रहे. 

सरकार के कुछ दोस्तों को थाली में सजाकर क़र्ज़ दिया जा रहा है: कांग्रेस

कांग्रेस ने अडानी समूह की ऋण स्थिति पर न्यूयॉर्क स्थित क्रेडिट रिसर्च फर्म ‘क्रेडिटसाइट्स’ के विश्लेषण का हवाला देते हुए दावा किया कि सभी प्रमुख अडानी संस्थाओं का कुल ऋण 2,30,000 करोड़ रुपये के क़रीब है. कांग्रेस ने यह जानना चाहा कि कौन बैंकों पर इस तरह के क़र्ज़ देने के लिए दबाव डाल रहा है, जिससे अर्थव्यवस्था भारी ख़तरे में पड़ गई है.

भारतीयों को ‘तानाशाही ग़ुरूर’ के चलते एकता को कमज़ोर नहीं होने देना चाहिए: मनमोहन सिंह

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लिखे एक आलेख में कहा कि विभाजनकारी राजनीति तात्कालिक फ़ायदा भले पहुंचाए लेकिन यह देश की प्रगति में बाधा खड़ी करती है.

संसद में महंगाई पर बहस: विपक्ष और वित्त मंत्री सेब की तुलना संतरे से कर रहे हैं

संगठित क्षेत्र के प्रदर्शन के आधार पर अर्थव्यवस्था के सार्वभौमिक और व्यापक पुनरुद्धार का दावा करना बेहद भ्रामक है.

संसद निष्क्रिय हो गई है, लोकतंत्र सांस लेने के लिए संघर्ष कर रहा है: पी. चिदंबरम

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने एक साक्षात्कार में कहा कि संस्थानों को नियंत्रित, कमज़ोर किया जा रहा है या उन पर कब्ज़ा कर लिया गया है. भले ही हमारे पास लोकतंत्र का कवच है, लेकिन भीतर से यह कवच खोखला हो चुका है.

पिछले पांच साल में बैंकों ने 10 लाख करोड़ रुपये के ऋण बट्टे खाते में डाले

वित्त राज्यमंत्री भागवत के. कराड ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान बैंकों द्वारा 1,57,096 करोड़ रुपये के क़र्ज़ बट्टे खाते में डाले गए. मंत्री ने यह भी बताया कि जानबूझकर ऋण न चुकाने वालों की सूची में मेहुल चोकसी की गीतांजलि जेम्स लिमिटेड सबसे ऊपर है. इसके बाद एरा इंफ्रा इंजीनियरिंग, कॉनकास्ट स्टील एंड पावर, आरईआई एग्रो लिमिटेड और एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड का स्थान है.

पीएम मोदी 80 करोड़ ग़रीबों को फ्री-फंड का खाना दे रहे हैं, उन्हें बधाई देनी चाहिए: निशिकांत दुबे

लोकसभा में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने जीडीपी को नकारते हुए कहा कि जीडीपी का इस देश के लिए कोई मतलब नहीं. भविष्य में इसका कोई बहुत ज़्यादा उपयोग नहीं होगा. उन्होंने देश में किसान आत्महत्या से भी इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि किसान आत्महत्या नहीं कर रहे हैं. हमने किसानों को इतनी ताकत दी है कि आज वे सरकार के ख़िलाफ़ भी दो-दो हाथ करने के लिए तैयार हैं.

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