नरेंद्र मोदी के पास विपक्ष पर भ्रष्टाचार के मामले चलाने लायक विश्वसनीयता नहीं बची है
मोदी सरकार द्वारा किसी भी तरह की फास्ट ट्रैक कार्यवाही के इरादे के बिना जांच एजेंसियों के कथित पक्षपातपूर्ण इस्तेमाल को संगठित विपक्ष द्वारा बखूबी भुनाया जाएगा.
मोदी सरकार द्वारा किसी भी तरह की फास्ट ट्रैक कार्यवाही के इरादे के बिना जांच एजेंसियों के कथित पक्षपातपूर्ण इस्तेमाल को संगठित विपक्ष द्वारा बखूबी भुनाया जाएगा.
दिल्ली की एक अदालत ने रॉबर्ट वाड्रा को अंतरिम ज़मानत दे दी. मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला लंदन की एक संपत्ति का है.
सूत्रों के मुताबिक सीबीआई एसपी टी. राजा बालाजी ने अपने ट्रांसफर को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. बालाजी ने यह भी दावा किया है कि उनके खिलाफ अंतरिम निदेशक एम. नागेश्वर राव के ख़िलाफ़ सबूत हैं.
11 फरवरी को होगी मामले की अगली सुनवाई. फैसले का स्वागत करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि हम आश्वस्त हैं कि न्याय मिलेगा. हमें न्यायपालिका पर भरोसा है.
जांच एजेंसी के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में दर्ज प्राथमिकी की जांच करने वाले एके बस्सी ने आरोप लगाया है कि वह जांच एजेंसी के अंतरिम निदेशक एम. नागेश्वर राव के शोषण का शिकार हैं.
1887 में ब्रिटिश राज द्वारा बनाए गए इंटेलीजेंस ब्यूरो को भारतीय क़ानून के तहत कोई अधिकार प्राप्त नहीं है. इसे आधिकारिक रूप से ‘एक नागरिक संगठन बताया जाता है, जिसके पास पुलिस जैसी शक्तियां नहीं हैं.’
शनिवार को सीबीआई ने 26 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया, जिसमें मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा को क्लीन चिट दे दिया गया है. आरोपपत्र में व्यापमं के प्रमुख अधिकारी रहे पूर्व परीक्षा नियंत्रक पंकज त्रिवेदी और तीन अन्य बिचौलिओं के नाम शामिल हैं.
अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज एक अलग मामले में राजद प्रमुख लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेट तेजस्वी और अन्य की अंतरिम जमानत अवधि 28 जनवरी तक के लिए बढ़ा दी.
लोकसभा में कांग्रेस के नेता 10 जनवरी को हुई उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति की बैठक में आलोक वर्मा को हटना का कड़ा विरोध जाहिर करने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि जांच रिपोर्ट और बैठक के मिनट्स सार्वजनिक किए जाएं ताकि जनता अपने निष्कर्ष निकाल सके.
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई छह हफ्ते बाद की जाएगी. उसी समय इस याचिका पर विचार किया जाएगा कि क्या गृह मंत्रालय के इस आदेश पर रोक लगाया जा सकता है या नहीं.
नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले साल दिसंबर महीने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश एके सीकरी को लंदन स्थित राष्ट्रमंडल सचिवालय पंचायती ट्रिब्यूनल में नामित करने का फैसला किया था. इसी समय आलोक वर्मा मामले की सुनवाई चल रही थी.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट जज एके सीकरी को लंदन स्थित राष्ट्रमंडल सचिवालय पंचायती ट्रिब्यूनल में नामित करने का फैसला पिछले महीने लिया जब आलोक वर्मा मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही थी. सीकरी आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटाने वाली उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति के सदस्य थे.
आलोक वर्मा मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई चयन समिति का हिस्सा रहे कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि उनके द्वारा मांग करने के बावजूद सरकार ने जस्टिस एके पटनायक की रिपोर्ट को साझा नहीं किया.
केंद्रीय सतर्कता आयुक्त केवी चौधरी ने पूर्व सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा से विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट में रिकॉर्ड की गई प्रतिकूल टिप्पणियों को वापस लेने के लिए कहा था.
पूर्व मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति को आलोक वर्मा को उनका पक्ष रखने का मौका देना चाहिए था और इसके बाद फैसला लेना चाहिए था.
जब प्रधानमंत्री कार्यालय पर ही सवाल हों, तब प्रधानमंत्री उससे जुड़े किसी मामले में फ़ैसला कैसे कर सकते हैं?
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एके पटनायक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली समिति ने आलोक वर्मा को हटाने के लिए बहुत जल्दबाजी में फैसला लिया. सीवीसी जो कहता है वह अंतिम शब्द नहीं हो सकता है.
सीबीआई निदेशक के पद से हटाए जाने के बाद आलोक वर्मा को अग्निशमन विभाग, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड्स का निदेशक नियुक्त किया गया था.
आलोक वर्मा के तबादले के बाद सीबीआई निदेशक का प्रभार फिलहाल अतिरिक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव के पास है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति की बैठक में लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सीबीआई निदेशक को पद से हटाने के कदम का विरोध किया.
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि एक स्वतंत्र प्रक्रिया को देखते हुए आलोक वर्मा को सीवीसी रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देने का मौका दिया जाना चाहिए था. अगर ऐसा किया जाता तो हम सभी फैसले का स्वागत करते.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति की एक लंबी बैठक के बाद आलोक वर्मा को गुरुवार को सीबीआई निदेशक पद से हटा दिया गया.
अक्टूबर 2018 में छुट्टी पर भेजे जाने से पहले आलोक वर्मा राफेल सौदे से लेकर स्टर्लिंग बायोटेक जैसे कई हाई-प्रोफाइल मामले देख रहे थे. इनमें से एक मामला ऐसा है जिसमें प्रधानमंत्री के सचिव आरोपी हैं.
नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और जस्टिस एके सीकरी भी थे. वर्मा को पद से हटाने का फ़ैसला बहुमत से किया गया, जहां खड़गे ने इसका विरोध किया.
बीते मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई निदेशक आलोक कुमार वर्मा को उनके अधिकारों से वंचित कर छुट्टी पर भेजने के सरकार के फैसले को ख़ारिज कर दिया और वर्मा पर लगे आरोपों को लेकर चयन समिति द्वारा एक हफ्ते के भीतर फैसला लेने को कहा था.
सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा की बहाली पर सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि जब कोर्ट यह मानता है कि आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजना क़ानून के ख़िलाफ़ था, तो उन्हें बहाल करने के साथ उनकी सारी शक्तियां भी देनी चाहिए थीं. उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी के निर्णय तक उन्हें नीतिगत फ़ैसले से रोकने का कोई प्रावधान नहीं है.
डीओपीटी और सीवीसी द्वारा वर्मा को उनकी शक्तियों से वंचित कर छुट्टी पर भेजने के आदेश को ख़ारिज करते हुए अदालत ने सीवीसी की उच्चाधिकार प्राप्त समिति से एक हफ़्ते के भीतर निर्णय लेने को कहा है.
बीते 20 दिसंबर को गृह मंत्रालय ने आदेश जारी कर दिल्ली पुलिस कमिश्नर, सीबीडीटी, डीआरआई, ईडी, रॉ, एनआई जैसी 10 एजेंसियों को देश में चलने वाले सभी कंप्यूटर की निगरानी करने का अधिकार दिया.
आरोप है कि लालू प्रसाद यादव ने बतौर रेल मंत्री रहते हुए अपने पद का दुरुपयोग करते हुए आईआरसीटीसी के दो होटलों का ठेका सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक निजी कंपनी को दिया था.
सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच टकराव सामने आने के बाद 24 अक्टूबर को एम. नागेश्वर राव को सीबीआई के अंतरिम निदेशक की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी.
कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं है कि आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच झगड़ा रातोंरात सामने आया, जिसकी वजह से सरकार को चयन समिति से परामर्श के बगैर ही निदेशक के अधिकार वापस लेने को विवश होना पड़ा हो. सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा मामले की सुनवाई पूरी. फैसला बाद में सुनाया जाएगा.
सीबीआई विवाद: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को कहा कि सीबीआई के दो शीर्ष अधिकारियों के बीच लड़ाई से जांच एजेंसी की स्थिति हास्यास्पद हो गई थी.
इनकम टैक्स जांच रिपोर्ट में नीरव मोदी द्वारा बोगस खरीद, शेयरों का भारी मूल्यांकन, रिश्तेदारों को संदिग्ध भुगतान, संदिग्ध ऋण जैसे कई मामले उठाए गए थे. हालांकि इस रिपोर्ट को सीबीआई, ईडी जैसी महत्वपूर्ण जांच एजेंसियों से साझा नहीं किया गया था.
दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई को विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के ख़िलाफ़ कार्रवाई के संबंध में सात दिसंबर तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, ‘हम आज सुनवाई नहीं कर रहे हैं. हमें नहीं लगता कि आप में से कोई भी सुनवाई के लायक है.’ अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी.
बीते 16 नवंबर को उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि सीवीसी ने अपनी जांच रिपोर्ट में आलोक वर्मा पर कुछ ‘बहुत ही प्रतिकूल’ टिप्पणियां की हैं और वह कुछ आरोपों की आगे जांच करना चाहता है, जिसके लिए उसे और समय चाहिए.
विशेष रिपोर्ट: किसी ज़माने में वड़ोदरा के कारोबारी समुदाय के बीच चर्चा के केंद्र रहे संदेसरा भाइयों को करीब 5,000 करोड़ रुपये के क़र्ज़ का विलफुल डिफॉल्टर माना जा रहा है, साथ ही उन्हें सरकार द्वारा आर्थिक भगोड़ा भी घोषित कर दिया गया है. हालिया सीबीआई विवाद में एजेंसी के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के स्टर्लिंग बायोटेक के मालिकों से नज़दीकी की बात सामने आई है.
बेस्ट ऑफ 2018: सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने सीवीसी को भेजे अपने जवाब में आरोप लगाया है कि आईआरसीटीसी घोटाले की जांच के समय राकेश अस्थाना, बिहार के उप मुख्यमंत्री व भाजपा नेता सुशील मोदी और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के एक वरिष्ठ अधिकारी के लगातार संपर्क में थे और पर्याप्त साक्ष्य न होने के बावजूद लालू यादव के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कराने की जल्दबाज़ी में थे.
द वायर एक्सक्लूसिव: सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने कहा है कि प्रधानमंत्री कार्यालय के एक बड़े अधिकारी के इशारे पर उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने केंद्रीय सतर्कता आयुक्त केवी चौधरी पर पक्षपात और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने का आरोप भी लगाया है.
सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर लगे आरोपों को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में सीवीसी द्वारा कोर्ट को दी गई जांच रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा को सौंप दिया और उनसे इस पर जवाब मांगा है. अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी.