यूट्यूब ने स्वतंत्र पत्रकार सोहित मिश्रा और क्रिएटर मेघनाद को ईवीएम और वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) मशीनों से संबंधित उनके कुछ वीडियो को लेकर चेतावनी दी है और इन वीडियो से होने वाली विज्ञापन आय (मॉनेटाइजेशन) पर अंकुश लगाया है.
मत-पत्रों की पूर्ण पारदर्शिता के विपरीत, ईवीएम-वीवीपैट प्रणाली पूरी तरह से अपारदर्शी है. सब कुछ एक मशीन के भीतर एक अपारदर्शी तरीके से घटित होता है. वहां क्या हो रहा है, उसकी कोई जानकारी मतदाता को नहीं होती. न ही उसके पास इस बात को जांचने या संतुष्ट होने का ही कोई मौका होता है कि उसका मत सही उम्मीदवार को ही गया है.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि अमेरिका जैसा देश, जो अर्थव्यवस्था में शक्तिशाली है, महीनों तक मतपत्र से मतदान कराता है. जापान जैसा देश, जिसने ईवीएम का आविष्कार किया, मतपत्र से मतदान कराता है और जर्मनी में उनके सुप्रीम कोर्ट ने इससे मतदान कराने को असंवैधानिक ठहराया है.
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख द्वारा दायर याचिका में अनुरोध किया गया है कि प्रथम स्तर की जांच (एफएलसी) पूरी होने से पहले राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को ईवीएम के सीरियल नंबर और निर्माताओं की जानकारी विवरण उपलब्ध कराया जाना चाहिए.
मध्य प्रदेश जन विकास पार्टी नाम के एक राजनीतिक दल ने एक याचिका में दावा किया था कि ईवीएम पर चुनाव आयोग का नहीं, बल्कि कुछ कंपनियों का नियंत्रण होता है. इसे ख़ारिज करते हुए अदालत ने दल पर 50 हज़ार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
राज्य विधानसभा में चुनावी सुधारों को लेकर विशेष चर्चा के दौरान पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस विधायक एचके पाटिल ने इस मामले पर चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण मांगने के लिए स्पीकर पर दबाव डालने के लिए आरटीआई जवाबों का हवाला दिया है.
वकील सीआर जया सुकिन ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए दावा किया है कि मतपत्रों के ज़रिये मतदान किसी भी देश की चुनाव प्रक्रिया का अधिक भरोसेमंद और पारदर्शी तरीका है. दुनिया के कुछ विकसित देश ईवीएम की प्रौद्योगिकी पर भरोसा नहीं करते हैं.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने भंडारा-गोंदिया उपचुनाव में मिली हार पर कहा कि यदि चुनाव मानसून में होता तो भाजपा ज़रूर जीतती. उधर, एक भाजपा विधायक ने उत्तर प्रदेश में मिली हार के लिए योगी सरकार, उनके मंत्रियों और नौकरशाही को ज़िम्मेदार ठहराया है.
गुजरात में हालिया विधानसभा चुनावों में 5.5 लाख से अधिक मतदाताओं ने नोटा बटन दबाया था. वहां कई विधानसभा क्षेत्रों में जीत का अंतर नोटा मतों की संख्या से कम था.
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएस कृष्णमूर्ति ने कहा, कांग्रेस और भाजपा दोनों ईवीएम पर हमले के दोषी हैं.
झूठे प्रचार और अफवाह सिर्फ संस्थानों को ही नुकसान नहीं पहुंचाते, देश को भी आग में झोंक सकते हैं. चुनाव आयोग की निष्पक्षता, स्वतंत्रता और ईमानदारी की रक्षा किसी भी कीमत पर किये जाने की जरूरत है.