अदालत ने पूछा- क्या तारीख़ बरक़रार रखते हुए संविधान की प्रस्तावना में संशोधन किया जा​ सकता है?

पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी और वकील विष्णु शंकर जैन ने संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल की है. 1976 में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा पेश किए गए 42वें संवैधानिक संशोधन के तहत संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द शामिल किए गए थे.

इंदिरा गांधी को हिंदुत्व से जोड़ने की कोशिशों का अयोध्या से क्या नाता रहा है?

अपने स्वर्णकाल में भी ‘असुरक्षा’ की शिकार हिंदुत्ववादी जमातों ने डॉ. मनमोहन सिंह को छोड़कर हर कांग्रेसी प्रधानमंत्री को हिंदुत्ववादी क़रार देने या खींच-खांचकर हिंदुत्व के पाले में लाने के प्रयास किया है. इंदिरा गांधी भी इससे अछूती नहीं रही हैं.

मोदी सरकार के सरकारी अधिकारियों को ‘रथ प्रभारी’ बनाने के क़दम की आलोचना

17 अक्टूबर को केंद्र सरकार द्वारा सभी मंत्रालयों को जारी एक सर्कुलर में कहा गया है कि वे देश के सभी ज़िलों से ऐसे सरकारी अधिकारियों के नाम दें, जिन्हें मोदी सरकार की 'पिछले नौ वर्षों की उपलब्धियों को दिखाने/जश्न मनाने' के एक अभियान के लिए 'जिला रथ प्रभारी (विशेष अधिकारी)' के तौर पर तैनात किया जाए.

पत्रकारों के यहां छापों पर अरुंधति रॉय ने कहा- आपातकाल से भी ज़्यादा ख़तरनाक हालात

लेखक-कार्यकर्ता अरुंधति रॉय ने न्यूज़क्लिक से जुड़े पत्रकारों पर छापेमारी को लेकर विरोध जताते हुए कहा कि अगर भारतीय जनता पार्टी 2024 में वापस सरकार में आती है तो देश लोकतंत्र नहीं रहेगा.

‘आज़ादी के सात दशकों में उन सिद्धांतों पर काम नहीं किया गया जिनके बल पर देश आज़ाद हुआ था’

साक्षात्कार: इतिहासकार, शिक्षाविद और नारीवादी उमा चक्रवर्ती देश की आज़ादी के समय छह साल की थीं. शिक्षा, समाज सेवा, फिल्म निर्माण जैसे क्षेत्रों में व्यापक काम कर चुकीं उमा का कहना है कि आज धर्म के आधार पर हो रही लिंचिंग, दंगे आदि स्वतंत्रता आंदोलन और उससे जुड़े वादों के साथ धोखा हैं.

इंदिरा गांधी नरेंद्र मोदी जितनी ‘भाग्यशाली’ होतीं, तो उन्हें इमरजेंसी की ज़रूरत नहीं पड़ती!

इंदिरा गांधी यदि नरेंद्र मोदी की तरह बिना आपातकाल वैसे हालात पैदाकर लोकतांत्रिक व संवैधानिक संस्थाओं के क्षरण को अंजाम दे सकतीं, तो भला आपातकाल का ऐलान क्यों करातीं?

मधु लिमये याद दिलाते हैं कि लोकतंत्र बिना बुद्धि के सशक्त नहीं हो सकता

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: अमृतकाल में बुद्धि अभद्र शब्द बन गया है. बुद्धिजीवियों का लगभग रोज़ अपमान किया जाता है. अपनी बुद्धिहीनता को नेता आभूषण की तरह पहनकर रौब जमाते हैं. राजनीति में बुद्धि नहीं तिकड़म और हिकमत से सब काम चल रहा है. मधु लिमये इसके बरक़स, एक बुद्धिशील राजनीतिज्ञ थे. 

‘कॉफी हाउस के टूटने की ख़बर जानकर ऐसे लगा कि मानो हमारा घर गिरा दिया गया’

पुस्तक अंश: कनॉट प्लेस का मशहूर कॉफी हाउस 27 दिसंबर 1957 को पुराने कॉफी हाउस के हड़ताल पर बैठे कामगारों को राममनोहर लोहिया द्वारा प्रेरित किए जाने के बाद टेंट में शुरू हुआ था. तब यह दिल्ली का सबसे बड़ा राजनीतिक वैचारिक मुठभेड़ों का अड्डा हुआ करता था.

… मुल्क को आगे बढ़ना है और उसके लिए ज़रूरी है कि जो जहां है, वहीं ठप कर दिया जाए!

धर्मवीर भारती की ‘मुनादी’ कविता जब भी याद आती है तो याद आता है कि इस बीच उक्त इतिहास की ऐसी पुनरावृत्ति हो गई है कि इमरजेंसी की मुनादी बिना ही देश में इमरजेंसी से भी विकट हालात पैदा कर दिए गए हैं, मौलिक अधिकारों को छीनने की घोषणा किए बिना उन्हें सरकार की अनुकंपा का मोहताज बना दिया गया है.

प्रख्यात न्यायविद् और पूर्व क़ानून मंत्री शांति भूषण का 97 साल की आयु में निधन

प्रख्यात न्यायविद् और पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री शांति भूषण ने वर्ष 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निर्वाचन को रद्द कराने वाले ऐतिहासिक मामले में शामिल थे. वे सार्वजनिक महत्व के कई मामलों में पेश हुए, जिसमें रफाल लड़ाकू विमान सौदा भी शामिल है.

आज भी ‘ज़ह्हाक’ की सल्तनत में सवाल जुर्म हैं…

मोहम्मद हसन के नाटक ‘ज़ह्हाक’ में सत्ता के उस स्वरूप का खुला विरोध है जिसमें सेना, कलाकार, लेखक, पत्रकार, अदालतें और तमाम लोकतांत्रिक संस्थाएं सरकार की हिमायती हो जाया करती हैं. नाटक का सबसे बड़ा सवाल यही है कि मुल्क की मौजूदा सत्ता में ‘ज़ह्हाक’ कौन है? क्या हमें आज भी जवाब मालूम है?

श्रीलंका: राष्ट्रपति राजपक्षे इस्तीफ़ा देने से पहले ही मालदीव भागे, देश में आपातकाल लगाया गया

श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने शनिवार को घोषणा की थी कि वे 13 जुलाई को अपने पद से इस्तीफ़ा देंगे, लेकिन उससे पहले ही वे आधी रात को सेना के विमान से अपने परिजनों संग मालदीव चले गए. बताया जा रहा है कि वे नई सरकार द्वारा गिरफ्तार किए जाने की आशंका के चलते इस्तीफ़ा देने से पहले विदेश जाना चाहते थे. इस बीच, भारत पर आरोप लगे हैं कि उसने राजपक्षे की देश छोड़ने में मदद की. श्रीलंका

देश की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो चुकी है, हम तेल खरीदने में असमर्थ: श्रीलंकाई प्रधानमंत्री

श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने संसद में यह भी कहा कि भारत द्वारा उन्हें दी जाने वाली वित्तीय सहायता 'दान’ नहीं बल्कि क़र्ज़ है और इन ऋणों को चुकाने की योजना होनी चाहिए.

श्रीलंका: नौ मई को सरकार विरोधी और समर्थकों के बीच हिंसा मामले में 1,500 लोग गिरफ़्तार

श्रीलंकाई पुलिस ने नौ मई को सरकार विरोधी और सरकार समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच हुई हिंसक झड़पों के संबंध में अब तक कम से कम 1,500 लोगों को गिरफ़्तार किया है. इन झड़पों में कम से कम 10 लोगों की मौत हुई है. श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए सोमवार को आठ और मंत्रियों को इसमें शामिल किया है.

श्रीलंका: पीएम पद संभालने के बाद विक्रमसिंघे बोले, भारत से क़रीबी संबंधों को लेकर आशान्वित

आर्थिक संकट के बुरे दौर से गुज़र रहे श्रीलंका में विपक्ष के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री 73 वर्षीय रानिल विक्रमसिंघे को देश के 26वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई है. कोलंबो में भारत के उच्चायोग कहा कि वह नई सरकार के साथ काम करने के लिए आशान्वित हैं. इस बीच एक अदालत ने बीते नौ मई को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने वाले महिंदा राजपक्षे, उनके सांसद बेटे नमल राजपक्षे और 15 अन्य लोगों के देश छोड़ने पर

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