एसबीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष 2019-20 में इससे पिछले वित्त वर्ष 2018-19 की तुलना में 16 लाख कम नौकरियों का सृजन होने का अनुमान है. पिछले वित्त वर्ष में कुल 89.7 लाख रोजगार के अवसर पैदा हुए थे.
केंद्रीय श्रम राज्यमंत्री संतोष गंगवार के इस बयान पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि उत्तर भारतीयों को जिम्मेदार ठहराकर मंत्री रोज़गार दर घटने के सवालों से बचने की कोशिश कर रहे हैं.
भाजपा के आर्थिक मामलों के प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि भारत में नए रोज़गार चाहने वालों की संख्या बहुत अधिक है. इतनी बड़ी संख्या में युवाओं को नई सरकारी नौकरी नहीं दी जा सकती. इसीलिए हमारा ज़ोर उद्यमिता और स्व-रोज़गार पर है.
लोकसभा चुनाव से कुछ ही महीने पहले चुनावों पर नजर रखने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉमर्स द्वारा हाल ही में जारी किये गये राष्ट्रीय सर्वेक्षण में यह खुलासा किया गया है.
मौजूदा वित्त वर्ष (25 मार्च तक) में मनरेगा के तहत 255 करोड़ व्यक्ति कार्य दिवस पैदा किया गया जो कि 2010-11 के बाद से इस योजना के तहत व्यक्ति कार्य दिवस की सबसे अधिक संख्या है.
सैम पित्रोदा ने कहा कि हमनें नई नौकरियों का सृजन नहीं किया है बल्कि पहले से मौजूद रोजगारों को ही खत्म कर दिया है इसलिए आज एक प्रमुख चुनौती यह है कि नई नौकरियों का सृजन कैसे किया जाए.
क्रिसिल की यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी ने सिर्फ 2018 में ही 1.10 करोड़ नौकरियां समाप्त होने की बात कही है.