देशभर के विभिन्न भारतीय प्रबंध संस्थानों के छात्रों को नौकरी मिलने में मुश्किलें आ रही हैं: रिपोर्ट

इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) में इस प्लेसमेंट सीजन में छात्र नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. आईआईएम कोझिकोड के निदेशक ने कहा कि प्लेसमेंट में आ रही मंदी हर किसी को प्रभावित करेगी, लेकिन अलग-अलग अनुपात में. 

युवा बेरोज़गारी बढ़ रही है, इसका मुख्य कारण ग्रामीण बेरोज़गारी है: सीएमआईई

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर-दिसंबर 2023 तिमाही में 20 से 24 आयु वर्ग के लोगों में बेरोज़गारी दर जुलाई से सितंबर 2023 की पिछली तिमाही के 43.65 प्रतिशत से बढ़कर 44.49 प्रतिशत हो गई. वहीं, 25-29 आयु वर्ग के लिए यह 14.33 प्रतिशत रही, जबकि जुलाई-सितंबर तिमाही में यह 13.35 प्रतिशत थी.

दिल्ली में बेरोज़गारी दर राष्ट्रीय स्तर से ऊपर है: रिपोर्ट

दिल्ली सरकार की 'विमेन एंड मेन इन दिल्ली-2023' रिपोर्ट के अनुसार, 2021-22 में दिल्ली में पुरुषों में बेरोज़गारी दर 5.1% और महिलाओं के लिए 6.0% थी. वहीं राष्ट्रीय स्तर पर यह पुरुषों के लिए 4.4 प्रतिशत और महिलाओं के लिए 3.3 प्रतिशत थी.

दिल्ली: एमएसपी, ऋण माफ़ी और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा को हटाने की मांग पर किसानों का धरना जारी

किसानों यूनियनों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और महासंघों के संयुक्त मंच ने 26 नवंबर से देशव्यापी तीन दिवसीय विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है. किसानों का कहना है कि उनके द्वारा तीन विवादास्पद कृषि क़ानूनों को रद्द कराए हुए तीन साल बीत चुके हैं, लेकिन उस समय की उनकी कई मांगें अब तक पूरी नहीं हुई हैं.

नारायण मूर्ति का हफ्ते के 70 घंटे काम करके देश को आगे बढ़ाने का दावा व्यर्थ है

इंफोसिस संस्थापक नारायण मूर्ति जब हफ्ते में सत्तर घंटे काम करने की बात कहते हैं, तब यह भूल जाते हैं कि आंकड़ों के अनुसार, काम के घंटे बढ़ने की वजह से आर्थिक तरक्की होने या वर्क प्रोडक्टिविटी बढ़ने का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है.

मध्य प्रदेश: पिछले पांच सालों में सरकार ने जनता के लिए क्या किया?

मध्य प्रदेश में चौदहवीं विधानसभा (2018-2023) ने भाजपा और कांग्रेस, दो सरकारों को देखा, जहां जनता ने राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं, दल-बदल तो देखे ही, साथ ही बढ़ती कट्टरता और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को पैठ बनाते देखा. इन पांच सालों के घटनाक्रमों से प्रदेश में भविष्य की राजनीति की दिशा समझी जा सकती है. 

नरेंद्र मोदी के अमृत काल में क्या है भूख और बेरोज़गारी का हाल?

क्या प्रधानमंत्री मोदी यह बता सकते हैं कि 'सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, जो 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह' पर है, उसे 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज क्यों बांटना पड़ रहा है?

देश में बिना पगार के बढ़ते रोज़गार का क्या मतलब है?

हाल ही में जारी सरकार के आवधिक श्रम बल सर्वे में 'स्व-रोज़गार' बढ़ने को की बात कही गई है. हालांकि, अर्थशास्त्री संतोष मेहरोत्रा का कहना है कि स्व-रोज़गार की वृद्धि का आंकड़ा 'अवैतनिक पारिवारिक श्रम' से जुड़ा है, जो 2017-18 से 2023 के बीच बेहद तेज़ी से बढ़ा है.

अक्टूबर में बेरोज़गारी दर बढ़कर दो साल के उच्चतम स्तर 10.09 प्रतिशत पर पहुंच गई: रिपोर्ट

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़ों के अनुसार, भारत की बेरोज़गारी दर अक्टूबर में दो साल के उच्चतम स्तर 10.09 प्रतिशत पर पहुंच गई. यह आंकड़ा सितंबर से लगभग तीन प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है, जब यह 7.09 प्रतिशत था. एक अन्य सर्वे में पाया गया कि 15 से 34 वर्ष के 36 प्रतिशत भारतीयों ने माना कि बेरोज़गारी देश के सामने सबसे बड़ी समस्या है.

2022 में भारत में युवा बेरोज़गारी दर पड़ोसी देशों से ज़्यादा रही: वर्ल्ड बैंक रिपोर्ट

2022 में भारत की युवा बेरोज़गारी दर 23.22% थी, जो पाकिस्तान (11.3%), बांग्लादेश (12.9%) और भूटान (14.4%) की तुलना में काफ़ी अधिक थी. उसी वर्ष चीन में बेरोज़गारी दर 13.2% थी.

इंटरव्यू में मूल दस्तावेज़ न पेश कर पाना रोज़गार से इनकार का आधार नहीं हो सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में एक दलित महिला सहित तीन उम्मीदवारों को अधीनस्थ न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने का निर्देश दिया है, जिन्हें इंटरव्यू के दौरान मूल दस्तावेज़ पेश नहीं कर पाने पर नौकरी देने से इनकार कर दिया गया था. अदालत ने 23 मई, 2022 के अपने एक पूर्व फैसले का ज़िक्र करते हुए कहा कि मूल दस्तावेज़ प्रस्तुत करना अनिवार्य नहीं है.

मनरेगा के तहत रोज़गार की मांग में वृद्धि जारी, अगस्त में पिछले साल की तुलना में 25.8 फीसदी का उछाल

मनरेगा प्रत्येक ग्रामीण परिवार के व्यस्क व्यक्तियों को एक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों के अकुशल शारीरिक श्रम के रोजगार की गारंटी देता है. 2020-21 में जब कोविड-19 का प्रकोप और उसके बाद देशव्यापी लॉकडाउन देखा गया तब इस योजना का लाभ उठाने वाले परिवारों का वार्षिक आंकड़ा 7.5 करोड़ के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था.

भारतीय जीडीपी में बढ़ती विसंगतियां विकास की झूठी कहानी की ओर इशारा करती हैं: विशेषज्ञ

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के मुताबिक़, वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.8 फीसदी रही. हालांकि, विशेषज्ञों का दावा है कि भारत के आधिकारिक जीडीपी आंकड़े भ्रामक हैं.