बिना कोई कारण बताए चुनाव आयुक्त अरुण गोयल का इस्तीफ़ा इस बात का नवीनतम उदाहरण है कि पिछले पांच वर्षों में चुनाव आयोग की स्वतंत्रता कैसे संदेह के घेरे में आ गई है.
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई वाली समिति ने बीते अक्टूबर में सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों को पत्र लिखकर एक साथ चुनाव कराने पर अपने विचार भेजने को कहा था. पार्टियों के लिए अपना लिखित जवाब भेजने की आखिरी तारीख 18 जनवरी थी, जिसके बाद कई पार्टियों के नेताओं ने कोविंद से मुलाकात की थी.
कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव के निदेशक वेंकटेश नायक द्वारा आरटीआई से प्राप्त दस्तावेज़ दिखाते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनावों से ऐन पहले ईवीएम की बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट में ख़राबी की रिपोर्ट कई राज्य करते रहे थे, जिसके बाद चुनाव आयोग ने ईवीएम निर्माताओं से ख़राबी की उच्च दर के कारण खोजने के लिए संपर्क किया गया था.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि अमेरिका जैसा देश, जो अर्थव्यवस्था में शक्तिशाली है, महीनों तक मतपत्र से मतदान कराता है. जापान जैसा देश, जिसने ईवीएम का आविष्कार किया, मतपत्र से मतदान कराता है और जर्मनी में उनके सुप्रीम कोर्ट ने इससे मतदान कराने को असंवैधानिक ठहराया है.
सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) बनाने के लिए ज़रूरी सेमीकंडक्टर और चिप्स की कमी है, जिसका अर्थ है कि एक साथ मतदान के लिए निर्वाचन आयोग को तैयार होने में तक़रीबन एक साल तक का समय लगेगा.
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख द्वारा दायर याचिका में अनुरोध किया गया है कि प्रथम स्तर की जांच (एफएलसी) पूरी होने से पहले राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को ईवीएम के सीरियल नंबर और निर्माताओं की जानकारी विवरण उपलब्ध कराया जाना चाहिए.
पिछले महीने निर्वाचन आयोग ने रिमोट वोटिंग मशीन (आरवीएम) लाने की बात कही थी, ताकि प्रवासी मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकें. इस संबंध में सोमवार को आयोग 8 राष्ट्रीय और 57 क्षेत्रीय दलों को इसका तकनीकी प्रदर्शन करने के लिए आमंत्रित किया था. इनमें से अधिकांश दलों का कहना था कि आरवीएम का विचार स्वीकार्य नहीं है.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने ईवीएम को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि देश में ईवीएम के ज़रिये चुनाव को लेकर यहां की जनता में किस्म-किस्म की आशंकाएं व्याप्त हैं और उन्हें ख़त्म करने के लिए बेहतर यही होगा कि अब यहां आगे छोटे-बड़े सभी चुनाव पहले की तरह मत-पत्रों से ही कराए जाएं.
महाराष्ट्र के वाशिम शहर में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया कंपनियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि भले ही ईवीएम सुरक्षित है, सोशल मीडिया के माध्यम से भारतीय चुनावों में धांधली हो सकती है.
मध्य प्रदेश जन विकास पार्टी नाम के एक राजनीतिक दल ने एक याचिका में दावा किया था कि ईवीएम पर चुनाव आयोग का नहीं, बल्कि कुछ कंपनियों का नियंत्रण होता है. इसे ख़ारिज करते हुए अदालत ने दल पर 50 हज़ार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि चुनाव आयोग सत्तारूढ़ पार्टी के बड़े नेताओं द्वारा चुनाव संहिता के उल्लंघन पर चुप्पी साधे रहता है जबकि ऐसे मामलों में विपक्षी दलों के ख़िलाफ़ तेज़ी से कार्रवाई करता है. उन्होंने दावा किया कि आयोग सरकार की सुविधा को ध्यान में रखते हुए चुनावों का कार्यक्रम बनाता है.
निर्वाचन आयोग ने कहा कि प्रवासी मतदाताओं के मुद्दों पर गौर करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें राजनीतिक दलों और मतदाताओं सहित सभी हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद दूरस्थ मतदान की संभावनाएं तलाशना शामिल है.
आरोप है कि बिना प्रत्याशी के संज्ञान में लाए कथित तौर पर ईवीएम कहीं ले जाई जा रही थीं. सपा का कहना है कि यह सब भाजपा के इशारे पर चुनाव में धांधली करने के इरादे से किया जा रहा था. वहीं, निर्वाचन आयोग का कहना है कि ईवीएम प्रशिक्षण के लिए ले जाई जा रही थीं, जिन्हें कुछ राजनीतिक लोगों ने रोककर चुनाव में प्रयुक्त ईवीएम कहकर अफ़वाह फैलाई.
वकील सीआर जया सुकिन ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए दावा किया है कि मतपत्रों के ज़रिये मतदान किसी भी देश की चुनाव प्रक्रिया का अधिक भरोसेमंद और पारदर्शी तरीका है. दुनिया के कुछ विकसित देश ईवीएम की प्रौद्योगिकी पर भरोसा नहीं करते हैं.
सीआईसी का यह आदेश आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक की याचिका पर आया है, जिन्होंने ईवीएम और वीवीपैट की फर्मवेयर की जांच से संबंधित सूचना मांगी थी. फर्मवेयर किसी हार्डवेयर उपकरण पर एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है. इन ईवीएम और वीवीपैट इकाइयों का इस्तेमाल 2019 के लोकसभा चुनाव में किया गया था.