गुजरात के चार ज़िलों के किसानों को सिंचाई के लिए नहीं मिलेगा नर्मदा का पानी

गुजरात की भाजपा सरकार ने 15 फरवरी से राज्य के चार ज़िलों- सुरेंद्रनगर, बोताड, भावनगर और अहमदाबाद में नर्मदा के पानी पर रोक लगाई. इससे पहले यह समयसीमा 15 मार्च थी.

उत्तर प्रदेश और झारखंड में दो किसानों ने की ख़ुदकुशी

गिरीडीह के मज़दूर बेटे ने पिता को भेजा पैसा, बैंक ने क़र्ज़ में एडजस्ट किया, आहत पिता ने फांसी लगाई. बांदा में क़र्ज़ से परेशान युवक ने ख़ुद को गोली मारी.

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और ओडिशा में तीन किसानों ने की ख़ुदकुशी

कर्ज़ से परेशान किसानों की आत्महत्या के मामले थमते नहीं दिख रहे हैं. विभिन्न राज्यों के किसान लगातार आत्महत्याएं कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री किसानों से ऐसा वादा कर रहे हैं जिसे पूरा करना संभव नहीं

मोदी जी ने मनमोहन सिंह के लिए कहा था, 'जिस देश के किसान ख़ुदकुशी कर रहे हैं वहां के सत्ताधारी लोगों को नींद कैसे आ सकती है?' अब पता नहीं उन्हें नींद कैसे आती होगी.

क्या खेती करने में बुद्धि का इस्तेमाल नहीं होता?

खेती से जुड़े किसी भी काम को अकुशल श्रम माना जाता है. क्या मिट्टी की पहचान के साथ फसल तय करने में बुद्धि का इस्तेमाल नहीं होता? बीज अंकुरित होगा या नहीं, यह जांचना गैर-तकनीकी काम है? कौन से उर्वरक-खाद डालना है, कब डालना है, क्या यह विशेषज्ञता का काम नहीं है?

व्यवस्था ‘नत्था’ से किसानी छुड़ाकर मज़दूरी कराना चाहती है

‘पीपली लाइव’ किसान और मीडिया के चित्रण के जरिये भूमंडलीकरण की प्रक्रिया और उसके दुष्परिणामों की गहरी पड़ताल करता है. सिनेमा का व्यंग्यात्मक रुख राज्य और समाज के रवैये की भी पोल खोलता है.

‘यह कृषि प्रधान देश है, जहां पर किसान मरने के लिए है और बाक़ी सब लूट कर खाने के लिए’

छह जुलाई को मध्य प्रदेश के मंदसौर से किसान मुक्ति यात्रा की शुरुआत होगी जो कई राज्यों से होते हुए 18 जुलाई को दिल्ली पहुंचेगी.

‘किसानों की क़र्ज़ माफ़ी से अर्थव्यवस्था बिगड़ती है, चंद घरानों का अरबों माफ़ करने से संवरती है’

सरकार को इसपर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि अगर हम अपना कृषि क्षेत्र नहीं बचा पाए तो अर्थव्यवस्था भी नहीं बचा पाएंगे.

किसानों को तो मरना ही था, पुलिस न मारती तो आत्महत्या कर लेते

किसान को मारना सबसे आसान है. बल्कि मैं तो कहता हूं कि किसान को मारना दूसरी क्लास में ही सबको सिखा देना चाहिए. उसे न भी मारो तो वह ख़ुद ही मर जाता है. यह इतना फ़नी है कि हमें इस पर चुटकुले बनाने चाहिए और वॉट्सऐप पर फ़ॉरवर्ड करने चाहिए.

अगर हम किसानों के साथ नहीं खड़े हैं तो हमारी इंसानियत शक के दायरे में है

ये लोग नारा लगाते हैं जय जवान जय किसान! ज़्यादातर जवान किसान के ही बच्चे हैं. किसानों पर गोली चलाकर, आप सिर्फ़ सैनिकों के सहारे अपनी देशभक्ति प्रमाणित नहीं कर सकते.

‘फ़सल बीमा के लिए निजी कंपनियों को दिए 17,184 करोड़, किसानों को मिला सिर्फ़ 6808 करोड़’

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर लगाया पूंजीपतियों को भारी मुनाफ़ा पहुंचाने का आरोप, बोले- मोदी ने अपने पूंजीपति दोस्तों का 1,54,000 करोड़ माफ़ किया और देश में 35 किसान रोज़ आत्महत्या कर रहे हैं.

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