मृतक किसान की पहचान 39 वर्षीय किसान अमरिंदर सिंह के रूप में हुई. वह पंजाब में फतेहगढ़ साहिब के मचराई कलां गांव के रहने वाले थे. केंद्र के तीन कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग पर किसान एक महीने से अधिक समय से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
ग़ाज़ीपुर में उत्तर प्रदेश-दिल्ली सीमा पर बने प्रदर्शन स्थल की घटना. मृतक की पहचान उत्तर प्रदेश के रामपुर ज़िले में बिलासपुर निवासी किसान सरदार कश्मीर सिंह के रूप में हुई. अपने कथित सुसाइड नोट में उन्होंने कहा है कि आंदोलन के दौरान पंजाब के कई लोगों की मौत हुई, जबकि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से किसी ने भी बलिदान नहीं दिया.
कांग्रेस और जेडीएस के नेताओं ने कृषि मंत्री बीसी पाटिल के इस बयान की आलोचना की है. कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि किसान स्वाभिमान और सम्मान के साथ जन्म लेते हैं. जब उन्हें चरम परिस्थितियों की ओर ढकेल दिया जाता है तो वे अपना जीवन ख़त्म करने के लिए बाध्य हो जाते हैं.
एनसीआरबी के मुताबिक, साल 2019 में देश भर के कुल 10,281 किसानों ने आत्महत्या की थी. इसमें से 3,927 किसान आत्महत्या के मामले महाराष्ट्र के हैं. आंकड़ों के अनुसार, पिछले कई वर्षों में राज्य में हर साल 3500 से अधिक किसान अपनी जान दे देते हैं.
साल 2018 के मुकाबले किसानों की आत्महत्या में मामूली गिरावट आई है, जबकि दिहाड़ी कामगारों की आत्महत्या में आठ फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर ज़िले के असोथर क्षेत्र में हुई घटना. ललितपुर ज़िले में हुई एक अन्य घटना में कथित तौर पर पत्नी को 100 रुपये न दे पाने की वजह से एक व्यक्ति ने ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली है.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, साल 2018 में औसतन 35 बेरोज़गारों और स्वरोज़गार से जुड़े 36 लोगों ने हर दिन ख़ुदकुशी की. इस साल 12,936 बेरोज़गारों और स्वरोज़गार से जुड़े 13,149 लोगों ने ख़ुदकुशी की.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, साल 2018 में किसान आत्महत्या के मामले में महाराष्ट्र के बाद तमिलनाडु दूसरे, पश्चिम बंगाल तीसरे, मध्य प्रदेश चौथे और कर्नाटक पांचवें स्थान पर है. इन पांच राज्यों में ही किसान आत्महत्या के करीब 51 फीसदी मामले दर्ज किए गए.
राज्यसभा में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि सरकार की ओर से किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए कई कार्यक्रम अमल में लाए जा रहे हैं लेकिन आत्महत्या करने वाले किसानों को मुआवजा देने का प्रावधान वर्तमान में चलाई जा रही किसी नीति में नहीं है.
महाराष्ट्र सरकार की एक रिपोर्ट में कहा गया कि बेमौसम बरसात से 44,33,549 किसान प्रभावित हुए और आठ जिलों में 41,49,175 हेक्टेयर जमीन पर फसल बर्बाद हुई.
किसान आत्महत्या के मामले में महाराष्ट्र लगातार पहले स्थान पर बना हुआ है. साल 2016 में इस राज्य में सर्वाधिक 3,661 किसानों ने आत्महत्या की. इससे पहले 2014 में यहां 4,004 और 2015 में 4,291 किसानों ने आत्महत्या की थी.
मध्य महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में बेमौसम बारिश के चलते सोयाबीन, ज्वार, मक्का और कपास जैसी खरीफ की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है.
गुजरात का विकास मॉडल एक भ्रम था. गुजरात दंगों के बाद मुस्लिम को अलग-थलग करने का जो प्रयोग शुरू हुआ, मोदी-शाह उसी के सहारे केंद्र में सत्ता में आए. आज यही गुजरात मॉडल सारे देश में अपनाया जा रहा है. 370 का मुद्दा उसी प्रयोग की अगली कड़ी है, जिसे मोदी शाह महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव में भुनाने जा रहे हैं.
महाराष्ट्र के सहकारिता एवं पुनर्वास मंत्री सुभाष देशमुख ने विधानसभा में बताया कि साल 2015 से 2018 के दौरान जिन 12,021 किसानों ने आत्महत्या की, उनमें से 6,888 किसान सरकारी मदद पाने के योग्य थे.
पिछले साल इसी अवधि में 896 किसानों ने आत्महत्या की थी.