सीएए के ज़रिये संविधान में समानता के विचार को ख़त्म किया गया है: पिनाराई विजयन

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में आयोजित एक रैली में कहा कि हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है, लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कभी भी धर्मनिरपेक्षता को स्वीकार नहीं किया. उनकी विचारधारा एडॉल्फ हिटलर और बेनिटो मुसोलिनी के फासीवाद से प्रेरित है.

नई सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक संभावनाओं की तलाश करती है ‘बॉडी ऑन द बैरिकेड्स’

पुस्तक समीक्षा: जेएनयू प्रोफेसर ब्रह्म प्रकाश की किताब 'बॉडी ऑन द बैरिकेड्स- लाइफ, आर्ट एंड रेसिस्टेंस इन कंटेंपररी इंडिया’ पन्ना-दर-पन्ना समझाती है कि फासीवाद के इस दौर में कभी भूमि सुधार की मांग करने वाले लोग अब राज्य द्वारा उनके घरों पर बुलडोजर चलाने के आपराधिक कृत्य का विरोध तक नहीं कर पा रहे हैं.

भारत में लोकतंत्र की गिरावट का असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा

जो लोग यक़ीन करते हैं कि भारत अब भी एक लोकतंत्र है, उनको बीते कुछ महीनों में मणिपुर से लेकर मुज़फ़्फ़रनगर तक हुई घटनाओं पर नज़र डालनी चाहिए. चेतावनियों का वक़्त ख़त्म हो चुका है और हम अपने अवाम के एक हिस्से से उतने ही ख़ौफ़ज़दा हैं जितना अपने नेताओं से.

माई नेम इज़ सेल्मा: यह सिर्फ़ उस यहूदी महिला की कहानी भर नहीं है…

साल 2021 में 98 साल की उम्र में एक यहूदी महिला सेल्मा ने अपने नाम को शीर्षक बनाकर लिखी किताब में जर्मनी व यूरोप में 1933 से 1945 के बीच यहूदियों की स्थिति को दर्ज किया है. हज़ारों किलोमीटर और कई दशकों के फासलों के बावजूद 2023 के भारत में यह किताब किसी अजनबी दुनिया की बात नहीं लगती है.

2023 का भारत 1938 का जर्मनी बन चुका है, यह बार-बार साबित हो रहा है

मुज़फ़्फ़रनगर की अध्यापिका से पूछ सकते हैं कि वे छात्र के लिए ‘मोहम्मडन’ विशेषण क्यों प्रयोग कर रही हैं? वे कह सकती हैं कि उनकी सारी चिंता मुस्लिम बच्चों की पढ़ाई को लेकर थी. मुमकिन है कि इसका इस्तेमाल इस प्रचार के लिए हो कि मुस्लिम शिक्षा के प्रति गंभीर नहीं हैं और उन्हें जब तक दंडित न किया जाए, वे नहीं सुधरेंगे.

‘आउशवित्ज़: एक प्रेम कथा’ दुनिया के सभ्य होने के बाद इंसान के बर्बर इतिहास का लेखाजोखा है

पुस्तक समीक्षा: राजनीति से क्रूर और असभ्य होते लोग हर समय अपने देश के हिटलरों के साथ खड़े रहते हैं, इसलिए आज भी हिटलर अपना काम किए जा रहा है. अपने अंदर छिपी इस हिटलरी क्रूरता को पहचानने और रोकने के लिए भी गरिमा श्रीवास्तव की 'आउशवित्ज़: एक प्रेम कथा' को पढ़ा जाना ज़रूरी है.

मणिपुर हिंसा पर कैथोलिक समूह ने कहा, चर्च चुप या जनविरोधी सरकार का समर्थन नहीं कर सकता

कैथोलिक सदस्यों के एक मंच ‘फोरम ऑफ रिलिजियस फॉर जस्टिस एंड पीस’ ने कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया के अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा है कि वह मणिपुर में हालिया हिंसा से हैरान और व्यथित है. फोरम ने नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद ईसाइयों के ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा के प्रति चर्च की ठंडी प्रतिक्रिया और कुछ बिशपों द्वारा भाजपा सरकार की सराहना को लेकर भी निराशा प्रकट की.

वरवरा राव: कवि जीता है अपने गीतों में, और गीत जीता है जनता के हृदय में…

विशेष: मुक्तिबोध ने कहा था ‘तय करो किस ओर हो तुम?’ और ‘पार्टनर, तुम्हारी पॉलिटिक्स क्या है?’ वरवरा राव इस सवाल से आगे के कवि हैं. वे तय करने के बाद के तथा पॉलिटिक्स को लेकर वैज्ञानिक दृष्टि रखने वाले कवि हैं. उनके लिए कविता स्वांतः सुखाय या मनोरंजन की वस्तु न होकर सामाजिक बदलाव का माध्यम है.

फासीवाद पर सेमिनार के लिए अनुमति न देने को लेकर हाईकोर्ट की दिल्ली पुलिस को फटकार

आयोजकों ने दिल्ली हाईकोर्ट में तर्क प्रस्तुत किया कि ‘वर्तमान भारत के संदर्भ में फासीवाद को समझना’ विषय पर होने वाले सेमिनार के लिए उन्होंने दिल्ली पुलिस को क़रीब डेढ़ महीने पहले आवेदन दिया था, लेकिन उसने उसे लटकाए रखा और आयोजन के महज 36 घंटे पहले अनुमति देने से इनकार कर दिया था.

सवाल कविता कृष्णन पर नहीं, सीपीआई माले पर है

कविता कृष्णन के सवालों पर चुप्पी साधते हुए सीपीआई माले के उन्हें विदा करने के बाद बहुत सारे पुराने, निष्क्रिय ‘मार्क्सवादियों’ ने इस बात के लिए दोनों की तारीफ़ की कि उन्होंने अलग होने में ‘शालीनता दिखाई.’ ज़रूरी सवालों पर चुप रह जाना शालीनता नहीं होती, बल्कि उठाए गए सवालों पर सहमति होती है.

फ़ासीवादियों की देशभक्ति नहीं, उनकी दूसरों से घृणा उन्हें परिभाषित करती है

आरएसएस को फ़ासीवादी संगठन कहने पर कुछ लोग नाराज़ हो उठते हैं. उनका तर्क है कि वह देशभक्त संगठन है. क्या देश में रहने वाली आबादियों के ख़िलाफ़ घृणा पैदा करते हुए, उनके ख़िलाफ़ हिंसा करते हुए देशभक्ति की जा सकती है?

बुलडोज़र पर सवार भारत तेज़ी से हिंदू फासीवाद की राह पर है

अतीत में मुसलमानों को सज़ा देने के लिए क़त्लेआम किया जाता था, भीड़ उन्हें पीट-पीटकर मार डालती थी, उनको निशाना बनाकर हत्याएं होती थीं, वे हिरासतों, फ़र्ज़ी पुलिस मुठभेड़ों में मारे जाते या झूठे आरोपों में क़ैद किए जाते थे. अब उनकी संपत्तियों को बुलडोज़र से ढहा देना इस फेहरिस्त में जुड़ा एक नया हथियार है.

भारत के लोकतंत्र और मीडिया को बचाने की एक गुहार…

आज जब हम एक ऐसे ख़तरे से रूबरू हैं जहां सचमुच अपने लोकतंत्र को खो सकते हैं, हमारे लिए यह बहुत ज़रूरी है कि इस बात पर यक़ीन रखें कि हम इस तबाही से ख़ुद को बचा सकते हैं.

शारदा यूनिवर्सिटी: हिंदुत्व और फांसीवाद में समानता से जुड़े सवाल पर यूजीसी ने जवाब मांगा

नोएडा स्थित शारदा यूनिवर्सिटी के बीए प्रथम वर्ष की परीक्षा में राजनीति विज्ञान (ऑनर्स) के प्रश्न-पत्र में छात्रों से पूछा गया था, ‘क्या आप फासीवाद/नाजीवाद और हिंदू दक्षिणपंथी (हिंदुत्व) के बीच कोई समानता पाते हैं? तर्कों के साथ बताएं.’ इस सवाल पर विवाद होने के बाद यूनिवर्सिटी ने प्रश्न-पत्र तैयार करने वाले सहायक प्रोफेसर वकास फ़ारुक़ को निलंबित कर दिया था.

क्यों भाजपा के लिए मुस्लिम ही एकमात्र मसला हैं

गुजरात भाजपा द्वारा साझा किए गए कार्टून से डरने की वजह है कि हम पहले भी एक धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने वाली इस तरह की सनक भरी नफ़रत देख चुके हैं और यह जानते हैं कि इसका अंजाम क्या होता है.