कोरोना वायरस: निर्मला सीतारमण के राहत पैकेज में किसानों के हाथ कुछ नहीं आया

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मनरेगा मज़दूरों की रोज़ाना मज़दूरी में 20 रुपये की बढ़ोतरी कर इसे 182 से बढ़ाकर औसतन 202 रुपये करने की मांग की. लेकिन 23 मार्च को ग्राणीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के मुताबिक अधिकतर राज्यों की मज़दूरी पहले ही 202 रुपये से काफी ज़्यादा कर दी गई है.

कोरोना: रिज़र्व बैंक ने रेपो दर 0.75 फीसदी घटाई, लोन की किस्त भरने में तीन महीने की मोहलत

इसके अलावा रिवर्स रेपो दर को में 90 बेसिक प्वाइंट यानी कि 0.90 फीसदी की कटौती करते हुए इसे घटाकर चार फीसदी कर दिया गया है. पहले ये 4.90 फीसदी पर थी.

कोरोना: निर्मला सीतारमण ने 1.75 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित राहत पैकेज में उन योजनाओं की भी राशि शामिल है जो पहले से ही चली आ रही हैं और तय समय पर उन्हें जारी किया जाना था.

कोरोना लॉकडाउन: रामायण और महाभारत का दोबारा प्रसारण कर सकता है दूरदर्शन

प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शशि शेखर ने बीते 25 मार्च को ट्वीट कर कहा कि उनका विभाग धारावाहिक के निर्माताओं से महाभारत और रामायण का प्रसारण अधिकार मांग रहा है.

कोरोना लॉकडाउन: रियायतों पर नए दिशा-निर्देश जारी, कई सेवाओं को मिली बंद से छूट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश भर में 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा के बाद जारी नए दिशा-निर्देशों में वन कार्यालयों के कर्मचारियों, चिड़ियाघरों, नर्सरी, वन्यजीव और पौधों को पानी देने की सेवा से जुड़े लोगों को छूट दी गई है. साथ ही विधवाओं, बच्चों, दिव्यांगों, वरिष्ठ नागरिकों और निराश्रित महिलाओं के आश्रय गृहों के संचालन से जुड़े कर्मियों को भी इस बंद से छूट मिलेगी.

हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा, सिनेमाघरों में खाना ले जाने से सुरक्षा को खतरा कैसे?

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मल्टीप्लेक्स में खाद्य पदार्थों के मूल्य नियंत्रण के संबंध में सरकार से हस्तक्षेप करने को कहा था. सरकार ने तर्क दिया कि इससे अव्यवस्था या सुरक्षा संबंधी मसले पैदा हो सकते हैं. दिल्ली हाईकोर्ट में भी ऐसे ही एक मामले पर सुनवाई हो रही है.

मल्टीप्लेक्स में खाद्य पदार्थ महंगे, सरकार कीमतें नियमित क्यों नहीं कर सकती: बॉम्बे हाईकोर्ट

मल्टीप्लेक्स में खाद्य पदार्थ ले जाने पर प्रतिबंध के ख़िलाफ़ लगाई जनहित याचिका में दावा किया गया है कि ऐसा कोई क़ानूनी या संवैधानिक प्रावधान नहीं है जो थिएटर के अंदर अपनी भोजन सामग्री या पानी ले जाने से रोकता है.