केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने ग्रेट निकोबार द्वीप की करीब 130.75 वर्ग किलोमीटर वन भूमि को एक विकास परियोजना के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति दी है, जबकि स्वयं मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक़, प्रस्तावित वनों की कटाई से सदाबहार उष्णकटिबंधीय वन प्रभावित होंगे.
परसा पूर्व व केटे बेसन कोयला ब्लॉक पर राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड का स्वामित्व है और इसका संचालन अडानी एंटरप्राइजेज द्वारा किया जाता है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की वन सलाहकार समिति की 28 अक्टूबर की बैठक में राज्य सरकार ने समिति के समक्ष इसे तत्काल मंज़ूरी देने का अनुरोध किया था.
इस नई योजना के ज़रिये व्यक्तियों या निजी कंपनियों को ये अनुमति मिल जाएगी कि वे भूमि की पहचान कर वनीकरण करें और वन भूमि की क्षतिपूर्ति के लिए उद्योगों को इसे बेच सकें.
पिछली तीन बैठकों में दी गई वन मंजूरी की संख्या 2018 के पूरे साल में दी गई कुल मंजूरी से अधिक है. साल 2018 में वन सलाहकार समिति की कुल आठ बैठकें हुईं थीं और कुल 97 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी.