वन संरक्षण अधिनियम में संशोधन के ख़िलाफ़ पारिस्थितिकीविदों ने पर्यावरण मंत्री को पत्र लिखा

वन संरक्षण अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए 400 से अधिक पारिस्थिकीविदों ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को लिखे पत्र में कहा है कि यह सिर्फ़ संशोधन नहीं है, बल्कि एक पूरी तरह से नया अधिनियम है. इसके तहत कथित तौर पर बुनियादी ढांचे के वि​कास के लिए आवश्यक मंज़ूरियों से छूट दे दी गई है.

एमएसपी, पेंशन जैसी कई मांगों के लिए संयुक्त किसान मोर्चा का देशभर में ‘राजभवन मार्च’ का आह्वान

विवादित कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसान आंदोलन के अगुवा रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन की दूसरी सालगिरह यानी 26 नवंबर को पूरे देश में ‘राजभवन मार्च’ निकालने का आह्वान किया है. इस दौरान बिजली विधेयक के मसौदे को वापस लेना, किसानों और कृषि श्रमिकों को पूर्ण ऋण माफ़ी जैसे मुद्दे उठाए जाएंगे.

क्या वन संरक्षण नियम, 2022 देश के आदिवासियों और वनाधिकार क़ानूनों के लिए ख़तरा है

आदिवासियों ने कई दशकों तक अपने वन अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी थी, जिसके फलस्वरूप वन अधिकार क़ानून, 2006 आया था. अब सालों के उस संघर्ष और वनाधिकारों को केंद्र सरकार के नए वन संरक्षण नियम, 2022 एक झटके में ख़त्म कर देंगे.

वन संरक्षण अधिनियम में बदलाव, केंद्र वनवासियों की सहमति बिना पेड़ काटने की दे सकता है मंज़ूरी

वन संरक्षण अधिनियम-2022 के तहत लागू नए नियम बुनियादी ढांचे और विकास परियोजनाओं के लिए वन भूमि को डाइवर्ट करने की प्रक्रिया को सरल और संक्षिप्त बनाएंगे. इन नियमों के तहत जंगल काटने से पहले अनुसूचित जनजातियों और अन्य वनवासी समुदायों से सहमति प्राप्त करने की ज़िम्मेदारी अब राज्य सरकार की होगी, जो कि पहले केंद्र सरकार के लिए अनिवार्य थी.

मध्य प्रदेश के बक्सवाहा में वन विभाग की अनुमति के बिना एक भी पेड़ न काटा जाए: एनजीटी

बुंदेलखंड क्षेत्र में हीरा खनन के लिए छतरपुर ज़िले के बक्सवाहा जंगल के एक बड़े हिस्से में लगे दो लाख से अधिक पेड़ काटे जाने की योजना है. एनजीटी में दायर याचिका में कहा गया है कि इस परियोजना से जैविक पर्यावरण को क्षति पहुंचने की आशंका है. मांग की गई कि बक्सवाहा जंगल में हीरा खनन के लिए पर्यावरण क्लीयरेंस न दिया जाए.

मध्य प्रदेश: पर्यावरण दिवस पर वन बचा रहे शिवराज बक्सवाहा के जंगलों की बर्बादी पर मौन क्यों हैं

बुंदेलखंड क्षेत्र में हीरा खनन के लिए छतरपुर ज़िले के बक्सवाहा जंगल के एक बड़े हिस्से में लगे दो लाख से अधिक पेड़ काटे जाने की योजना है, जिसका व्यापक स्तर पर विरोध हो रहा है. विडंबना यह है कि बीते दिनों पर्यावरण बचाने की कसमें खाने वाले सत्ता और विपक्ष के अधिकांश नेता इसे लेकर चुप्पी साधे हुए हैं.

आरटीआई में खुलासा, देशभर में 12 लाख हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र पर अवैध क़ब्ज़ा

देश में कुल वन क्षेत्र लगभग 7.08 लाख वर्ग किमी है. यह देश के कुल क्षेत्रफल का 21.54 प्रतिशत है. सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी में बताया गया है कि अनधिकृत क़ब्ज़े के दायरे में सर्वाधिक वन क्षेत्र वाले राज्य मध्य प्रदेश, असम और ओडिशा हैं.

मोदी सरकार ने पिछले पांच सालों में एक करोड़ से ज़्यादा पेड़ काटने की अनुमति दी

लोकसभा में पर्यावरण राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो ने बीते दिनों बताया था कि साल 2014 से 2019 के बीच पर्यावरण मंत्रालय ने विकास कार्यों के लिए 1.09 करोड़ पेड़ काटने की अनुमति दी. कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार पेड़ कटवा कर देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है.