चुनावी इतिहास में ऐसी शिकस्तें भी रहीं, जो नेताओं के गले पड़कर भी उन्हें रोक नहीं पाईं

पहले ‘तुम मुझे वोट दो मैं तुम्हें ये दूंगा’ जैसी सौदेबाज़ी और नैतिकताओं व सरोकारों को तिलांजलि देने का रिवाज इतना आम नहीं था. ठीक है कि जिताने-हराने की अच्छी-बुरी कवायदें तब भी कुछ कम नहीं होती थीं, लेकिन हारने वाले नेताओं की आज जितनी खिल्ली नहीं ही उड़ाई जाती थी.

छत्तीसगढ़ सरकार ने मीसा बंदियों को मिलने वाली सम्मान निधि बंद की

भाजपा की रमन सिंह सरकार ने 2008 में आपातकाल के दौरान जेल में बंद रहे मीसा बंदियों के लिए लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि योजना बनाया था, जिसके तहत छत्तीसगढ़ में करीब 300 लोगों को पेंशन मिल रहा था.

जब दिलीप कुमार ने नेहरू के रक्षा मंत्री को हारता हुआ चुनाव जिताया

चुनावी बातें: 1980 के चुनाव में वामपंथियों के नारे- 'चलेगा मजदूर उड़ेगी धूल, न बचेगा हाथ, न रहेगा फूल' के जवाब में कांग्रेस ने ‘न जात पर, न पात पर, इंदिरा जी की बात पर, मुहर लगेगी हाथ पर’ का नारा दिया था.

मध्य प्रदेश सरकार ने मीसाबंदी पेंशन योजना अस्थाई तौर पर बंद की, भाजपा ने की आलोचना

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान वर्ष 1975 से 1977 के बीच लगे आपातकाल के दौरान जेल में डाले गए लोगों को मीसाबंदी पेंशन योजना के तहत करीब 4000 लोगों को 25,000 रुपये मासिक पेंशन दी जाती है.