क्या वन संरक्षण नियम, 2022 देश के आदिवासियों और वनाधिकार क़ानूनों के लिए ख़तरा है

आदिवासियों ने कई दशकों तक अपने वन अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी थी, जिसके फलस्वरूप वन अधिकार क़ानून, 2006 आया था. अब सालों के उस संघर्ष और वनाधिकारों को केंद्र सरकार के नए वन संरक्षण नियम, 2022 एक झटके में ख़त्म कर देंगे.

हिमाचल प्रदेश में वन अधिकार क़ानून का हाल बेहाल क्यों है

दिसंबर, 2021 में वन अधिकार क़ानून को पारित हुए 15 साल पूरे हुए हैं, हालांकि अब भी वन निवासियों को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. आज जहां पूरे भारत में 20 लाख से अधिक वन अधिकार दावे मंज़ूर किए गए, उनमें हिमाचल प्रदेश का योगदान केवल 169 है, जो प्रदेश को इस क़ानून के क्रियान्वयन में सबसे पिछड़ा राज्य बनाता है.

वन भूमि से आदिवासियों को बेदखल करने पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को फटकारा

लगभग 11.8 लाख आदिवासियों और वनवासियों को वन भूमि से बेदखल करने के मामले की सुनवाई करते समय सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नौ राज्यों ने आदिवासियों के दावे ख़ारिज करते समय तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया है.