गांधी को एक व्यक्ति ने नहीं, एक विचारधारा ने मारा था…

पुस्तक समीक्षा: गांधी के विचारों से प्रतिक्रियावादी पीछा नहीं छुड़ा सकते इसलिए गांधी पर हमले जारी रहेंगे. ऐसे में 'उसने गांधी को क्यों मारा' की शक्ल में उनकी हत्या के इतिहास को उसके पूरे यथार्थ से बचाए रखना आने वाली पीढ़ियों की चेतना को कुंद किए जाने के ख़िलाफ़ एक मुनासिब कार्रवाई है.

कंगना ने जो कहा वो उनका विचार है या वो महज़ ज़रिया हैं

कहते हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की हज़ार भुजाएं और हज़ार-हज़ार मुंह हैं. इन 'हज़ार-हज़ार मुंहों' में भाजपा सांसद वरुण गांधी को छोड़ दें तो कंगना के मामले पर चुप्पी को लेकर गज़ब की सर्वानुमति है. फिर इस नतीजे तक क्यों नहीं पहुंचा जा सकता कि कंगना का मुंह भी उन हज़ार मुंहों में ही शामिल है?

जिन्ना के ‘महिमामंडन’ के सवाल पर भाजपा के खाने के दांत और हैं, दिखाने के और

अगर जिन्ना, जो कम से कम 1937 तक देश के साझा स्वतंत्रता संघर्ष का हिस्सा थे, की प्रशंसा करना अपराध है तो हमारे निकटवर्ती अतीत में भाजपा के कई बड़े नेता ऐसे अपराध कर चुके हैं.

किसानों के जैसी चुनौती इतिहास में भाजपा को किसी ने नहीं दी है

नाइंसाफी के ख़िलाफ़ किसानों ने इतिहास में हमेशा प्रतिरोध किया है, बार-बार किया है. मौजूदा किसान आंदोलन भी उसी गौरवशाली परंपरा का अनुसरण कर रहा है.

मोदी को प्रधान सेवक के साथ भारत का प्रधान इतिहासकार भी घोषित कर देना चाहिए

प्रधानमंत्री इसीलिए आज के ज्वलंत सवालों के जवाब देना भूल जा रहे हैं क्योंकि वे इन दिनों नायकों के नाम, जन्मदिन और उनके दो-चार काम याद करने में लगे हैं. मेरी राय में उन्हें एक मनोहर पोथी लिखनी चाहिए, जो बस अड्डे से लेकर हवाई अड्डे पर बिके. इस किताब का नाम मोदी-मनोहर पोथी हो.

जब बंगाल में ऐसी धोतियां फैशन में थीं जिनके किनारों पर ‘खुदीराम बोस’ लिखा रहता था

शहादत दिवस पर विशेष: सामान्य युवा इतना भले ही जानते हैं कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन ने देश को सरदार भगत सिंह जैसा शहीद-ए-आज़म दिया, लेकिन सबसे कम उम्र के शहीद के बारे में कम ही लोग जानते हैं.

अंग्रेज़ों से माफ़ी मांगने वाले सावरकर ‘वीर’ कैसे हो गए?

सावरकर ने अंग्रेज़ों को सौंपे अपने माफ़ीनामे में लिखा था, ‘अगर सरकार अपनी असीम भलमनसाहत और दयालुता में मुझे रिहा करती है, मैं यक़ीन दिलाता हूं कि मैं संविधानवादी विकास का सबसे कट्टर समर्थक रहूंगा और अंग्रेज़ी सरकार के प्रति वफ़ादार रहूंगा.’

सरदार पटेल ने ‘हिंदू राज’ के विचार को ‘पागलपन’ कहा था

मोदी अगर सरदार पटेल को अपना नेता मानते हैं तो फिर उन्हें पटेल की धर्मनिरपेक्ष प्रतिबद्धता पर अमल करते हुए हिंदू राष्ट्र के लिए हथियार उठाने का आह्वान करने वाले सिरफिरे पर कार्रवाई करनी चाहिए.

जिन क्रांतिकारियों के सहारे संघ गांधी पर निशाना साधता है, वे आरएसएस कैंप से नहीं आये थे

आरएसएस अगर आज़ादी की लड़ाई के बारे में बात करे तो वो क्या बताएगा? अगर वो सावरकर के बारे में बताएगा तो अंग्रेजों को लिखे गए सावरकर के माफ़ीनामे सामने आ जाते हैं.

‘साबरमती के संत’ पर सियासत, कवि प्रदीप की बेटी और बापू के परपोते आहत

'नेता साबरमती के संत गीत की आलोचना कर बापू और अहिंसक आंदोलन के प्रति अपनी नफ़रत दिखा रहे हैं. अगर दिक्कत है तो इस गीत को प्रतिबंधित क्यों नहीं करा देते.'

‘भाजपा पटेल जैसे नेताओं को अपना रही क्योंकि आज़ादी आंदोलन में उसकी अपनी कोई भागीदारी नहीं थी’

कांग्रेस ने भाजपा पर लगाया इतिहास के पुनर्लेखन का आरोप, सोनिया गांधी ने कहा, हम पर थोपी जा रही एकपक्षीय, भेदभावकारी भारतीयता.