पत्रकार और आरटीआई कार्यकर्ता सौरव दास ने बीते 7 अप्रैल को एक स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए कहा कि उनके इस ट्वीट पर केवल भारत में ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर रोक लगा दी गई है. इस स्क्रीनशॉट में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का एक बयान है. उन्होंने कहा कि इस पर रोक लगाने के संबंध में ट्विटर ने उन्हें कोई जानकारी नहीं दी है.
अमेरिकी सरकार द्वारा वित्तपोषित थिंक-टैंक 'फ्रीडम हाउस' ने 'फ्रीडम इन द वर्ल्ड' 2023 संस्करण में भारत को सौ में से 66 अंकों के साथ 'आंशिक रूप से स्वतंत्र' देश मानते हुए कहा है कि भारतीय मुसलमानों के राजनीतिक अधिकारों को ख़तरा बना हुआ है, आरटीआई क़ानून कमज़ोर हुआ है, लोकायुक्त संस्थाएं निष्क्रिय हैं और प्रेस की स्वतंत्रता पर हमले हो रहे हैं.
क्या किसी मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और सरकार की आलोचना समाज की आलोचना है? क्या भाजपा को यह अहंकार हो गया है कि वही समाज है और जिसे उसने अपना भगवान मान लिया है, वह पूरे समाज का ईश्वर है? उसकी आलोचना, उस पर मज़ाक़ ईशनिंदा है?
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा को गुरुवार को दिल्ली हवाई अड्डे पर असम पुलिस ने उस समय हिरासत में ले लिया गया, जब वे कांग्रेस अधिवेशन में शामिल होने के लिए छत्तीसगढ़ जा रहे थे. उन पर आरोप है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिता के संबंध में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी.
अहमदाबाद में 25वें अखिल भारतीय फॉरेंसिक साइंस सम्मेलन में एनएचआरसी के अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और साइबरस्पेस में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत दी गई स्वतंत्रता से 'बड़ी नहीं' है.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: स्वतंत्रता-संघर्ष का एक ऐसा उपक्रम है जो कभी समाप्त नहीं होता. सामान्य रूप से देखें, तो इस समय हमारी राजनीतिक स्वतंत्रता को कोई गंभीर ख़तरा नहीं है. ख़तरा बौद्धिक-सर्जनात्मक-वैचारिक और नागरिक स्वतंत्रता को है और हर दिन बढ़ता ही जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ में शामिल जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कर्नाटक हाईकोर्ट के हिजाब पर बैन लगाने के निर्णय के ख़िलाफ़ दायर याचिकाएं ख़ारिज कर दीं, जबकि जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कहा कि हाईकोर्ट ने ग़लत रास्ता अपनाया और हिजाब पहनना अंतत: पसंद का मामला है, इससे कम या ज़्यादा कुछ और नहीं.
सीजेआई उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्यों के पुलिस महानिदेशकों, गृह सचिवों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के सक्षम अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे अपने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस बल को धारा 66ए के प्रावधानों के कथित उल्लंघन के मामले में कोई आपराधिक शिकायत दर्ज न करने दें.
मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की पीठ में शामिल जस्टिस हेमंत गुप्ता के इस सवाल पर कर्नाटक के स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब प्रतिबंध को चुनौती देने वाली मुस्लिम छात्राओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने कहा कि कोई भी स्कूल में कपड़े नहीं उतार रहा है.
मार्च 2015 में आईटी एक्ट की धारा 66ए रद्द कर दी थी, जिसके तहत आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने पर तीन साल तक की क़ैद और जुर्माने का प्रावधान था. सुप्रीम कोर्ट पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ की उस याचिका को सुन रहा है, जिसमें बताया गया है कि अब भी राज्यों द्वारा इस धारा के तहत केस दर्ज किए जा रहे हैं.
5 अक्टूबर 2020 को केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन और तीन अन्य को हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले की रिपोर्टिंग के लिए जाते समय गिरफ़्तार किया गया था. पुलिस का आरोप है कि आरोपी क़ानून-व्यवस्था ख़राब करने के लिए हाथरस जा रहा था. कप्पन पर पीएफआई से जुड़े होने का भी आरोप है.
यूपी में बीते दिनों हुई दो गिरफ़्तारियां स्पष्ट करती हैं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अब मौजूद नहीं है. या फिर जैसा कि ईदी अमीन ने एक बार कहा था कि 'बोलने की आज़ादी तो है, लेकिन हम बोलने के बाद की आज़ादी की गारंटी नहीं दे सकते.'
ब्रिटेन के गृह मंत्रालय ने कहा कि गृह मंत्री प्रीति पटेल ने 50 वर्षीय ऑस्ट्रेलियाई नागरिक असांजे के प्रत्यर्पण आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. हालांकि असांजे के पास इसके ख़िलाफ़ अपील करने के लिए 14 दिन का समय है. असांजे 2010 और 2011 में हज़ारों गोपनीय सैन्य तथा राजनयिक दस्तावेज़ों के प्रकाशन के मामले में अमेरिका में वांछित हैं.
राजद सांसद मनोज झा ने कहा कि वे संसद सत्र के दौरान भी विश्वविद्यालय में नियमित कक्षाएं लेते हैं. उनकी आवाज़ उन कॉलेजों के लिए कैसे ख़तरा हो सकती है जब यह संसद में ख़तरा नहीं है. उन्होंने कॉलेजों का नाम लिए बिना कहा कि निमंत्रण रद्द करने के लिए कार्यक्रम की प्रकृति में बदलाव का हवाला दिया गया है.
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की फैक्ट फाइंडिंग समिति द्वारा जारी रिपोर्ट बताती है कि अख़बारों की कवरेज की प्रकृति के आधार पर सरकारी विज्ञापन जारी किए जाते हैं. साथ ही केंद्रशासित प्रदेश के पत्रकारों को काम के दौरान सुरक्षाबलों के लगातार उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है.