इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को एक महिला पुलिस कॉन्स्टेबल के आवेदन पर निर्णय लेने का आदेश दिया, जिसने लिंग परिवर्तन सर्जरी (एसआरएस) की अनुमति मांगी थी. याचिका के अनुसार, बीते 11 मार्च को उन्होंने सर्जरी के लिए आवश्यक मंज़ूरी के लिए डीजीपी को आवेदन दिया था.
एक संसदीय समिति ने कहा है कि गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक लिंग चयन निषेध अधिनियम (पीसीएंडपीएनडीटी) के तहत पिछले 25 वर्षों से दर्ज 3,158 न्यायिक मामलों में से केवल 617 मामलों में दोषसिद्धि हुई. समिति ने सिफ़ारिश की कि मामलों की सुनवाई में तेज़ी लाई जाए और निर्णय लेने में छह महीने से अधिक समय नहीं लगना चाहिए.
आईपीसी की धारा 377 कहती है कि जो कोई भी किसी पुरुष, महिला या पशु के साथ अप्राकृतिक यौनाचार करता है तो इस अपराध के लिए उसे उम्रक़ैद की सज़ा होगी.