मामला बुलंदशहर ज़िले का है. पुलिस में दर्ज शिकायत के मुताबिक, स्कूल प्रिंसिपल ने छात्राओं को गलत तरीके से छुआ. शिकायतकर्ता का कहना है कि 9 से 12 साल की उम्र की सभी छात्राओं ने इसके कारण स्कूल जाना बंद कर दिया.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्य में 23 दिसंबर से हिजाब पर प्रतिबंध के आदेश को वापस लेने का निर्देश देते हुए कहा कि भाजपा लोगों और समाज को कपड़े, वेशभूषा और जाति के आधार पर विभाजित करने का काम कर रही है. हिजाब पर बैन बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली पिछली भाजपा सरकार ने लगाया था.
हरियाणा के जींद स्थित एक सरकारी स्कूल का मामला. बीते 13 सितंबर को हरियाणा महिला आयोग ने इस मामले में कार्रवाई के लिए जींद पुलिस से कहा था. हालांकि आरोप है कि पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में देरी की. इस बीच आरोपी प्रिंसिपल को बीते 4 नवंबर को गिरफ़्तार करने के बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.
हरियाणा राज्य महिला आयोग ने कहा कि जींद ज़िले के एक सरकारी स्कूल की 50 से अधिक नाबालिग छात्राओं ने वहां के प्रिंसिपल पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. आयोग ने कहा कि उन्होंने छात्राओं की शिकायतें 14 सितंबर को पुलिस को भेजी थीं लेकिन कार्रवाई 30 अक्टूबर को हुई.
अबाया मुस्लिम लड़कियों और महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला एक ढीला-ढाला लबादा होता है. श्रीनगर स्थित विश्व भारती हायर सेकेंडरी स्कूल के अबाया पहनने पर कथित तौर पर आपत्ति जताने पर राजनीतिक दलों और धार्मिक नेताओं ने नाराज़गी जताई थी और छात्राओं ने प्रदर्शन किया था. बाद में स्कूल ने स्पष्ट किया कि अबाया पर प्रतिबंध नहीं है.
असम के शिक्षा मंत्री ने विधानसभा में बताया कि 1,100 से अधिक स्कूलों में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है और बिजली का कनेक्शन भी तक़रीबन इतने ही स्कूलों में नहीं है. इसके अलावा 2,900 स्कूल एक शिक्षक के भरोसे चलाए जा रहे हैं, जबकि लगभग 4,800 शैक्षणिक संस्थान एक कमरे में संचालित होते हैं.
सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल याचिका में कहा गया कि ग़रीब पृष्ठिभूमि की 11 से 18 साल की छात्राओं को शिक्षा हासिल करने में गंभीर समस्या का सामना करना पड़ता है. मासिक धर्म के बारे में व्याप्त मिथक के कारण लाखों लड़कियों को या तो जल्द ही स्कूल छोड़ना पड़ता है या फिर इस अवधि के दौरान उन्हें अलग-थलग रहना पड़ता है.
कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का खंडित फैसला आने के बाद राज्य के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश मान्य रहेगा. ऐसे में राज्य के सभी स्कूलों और कॉलेजों में कर्नाटक शिक्षा अधिनियम और नियम में किसी भी धार्मिक प्रतीकों के लिए कोई गुंजाइश नहीं होगी.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ में शामिल जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कर्नाटक हाईकोर्ट के हिजाब पर बैन लगाने के निर्णय के ख़िलाफ़ दायर याचिकाएं ख़ारिज कर दीं, जबकि जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कहा कि हाईकोर्ट ने ग़लत रास्ता अपनाया और हिजाब पहनना अंतत: पसंद का मामला है, इससे कम या ज़्यादा कुछ और नहीं.
मामला पश्चिमी सिंहभूम ज़िले का है. पुलिस ने बताया कि कम से कम छह नाबालिग छात्राओं ने अपने घर में बताया था कि एक शिक्षक ने उन्हें अश्लील वीडियो दिखाए और ग़लत तरीके से छुआ था. आरोपी के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर ग्रामीण नाराज़ थे.
मध्य प्रदेश में गुना ज़िले के चकदेवपुर गांव के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय में छात्राओं द्वारा कथित तौर पर शौचालय की सफाई करने की तस्वीरें सामने आई हैं. बताया जा रहा है कि सफाई करने वाली लड़कियां कक्षा 5 और 6 की छात्राएं हैं.
वीडियो: बीते हफ्ते मोहाली के चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में कई छात्राओं के आपत्तिजनक वीडियो रिकॉर्ड किए जाने के आरोप लगाते हुए विद्यर्थियों ने प्रदर्शन किया था. पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ़्तार करते हुए मामले की जांच के लिए एक एसआईटी गठित की है. इस पूरे मामले के बारे में बता रहे हैं याक़ूत अली.
पंजाब के मोहाली स्थित चंडीगढ़ विश्वविद्यालय की कई छात्राओं के आपत्तिजनक वीडियो रिकॉर्ड किए जाने के आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय एसआईटी गठन किया गया है. वहीं, विश्वविद्यालय ने लापरवाही के आरोप में दो वॉर्डन को निलंबित कर दिया और 24 सितंबर तक अवकाश की घोषणा की है.
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की छात्राओं का आरोप है कि एक अन्य छात्रा द्वारा कई छात्राओं के आपत्तिजनक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए हैं. विश्वविद्यालय ने इसका खंडन करते हुए कहा है कि किसी भी छात्रा का कोई आपत्तिजनक वीडियो नहीं मिला है. वहीं, पुलिस ने आरोपी छात्रा को गिरफ़्तार कर लिया है.
सुप्रीम कोर्ट कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध हटाने से मना करने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुन रहा है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हर किसी को धर्म के पालन का अधिकार है, पर सवाल ये है कि क्या यह अधिकार निर्धारित यूनिफॉर्म वाले स्कूल में भी लागू हो सकता है.