गुजरात: गरबा स्थल विवाद के बाद चौराहे पर युवकों को पीटने की घटना के जांच के आदेश

खेड़ा जिले के उंधेला गांव में बीते तीन अक्टूबर को एक मस्जिद के पास गरबा आयोजित करने का विरोध करते हुए मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने कार्यक्रम स्थल पर कथित तौर पर पथराव किया था. इसके बाद सामने आए कुछ वीडियो दिखाते हैं कि पुलिस ने कुछ युवकों की सार्वजिनक रूप से पिटाई की थी.

गुजरात: गरबा के आयोजन स्थल को लेकर विवाद में 7 घायल, पुलिस ने संदिग्धों की सरेआम पिटाई की

मामला गुजरात के खेड़ा ज़िले का है. आरोप है कि मुस्लिम समुदाय मस्जिद के पास गरबा आयोजित करने का विरोध कर रहा था, जिसके चलते उन्होंने कार्यक्रम स्थल पर पथराव कर दिया. बाद में पुलिस ने तीन संदिग्ध हमलावरों को गांव के चौराहे पर खड़ा करके सबके सामने लाठियों से पीटा. वहीं, सूरत में गरबा पंडाल के आयोजकों को इसलिए पीटा गया क्योंकि उन्होंने ग़ैर-हिंदुओं को काम पर रखा था.

गुजरात दंगा मामले में हाईकोर्ट ने पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार को अंतरिम ज़मानत दी

अहमदाबाद पुलिस ने 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े मामले में पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार को जून में गिरफ़्तार करते हुए उनके साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व पुलिस अधिकारी संजीव भट्ट पर झूठे सबूत गढ़कर क़ानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की साज़िश रचने का आरोप लगाया गया था.

बिलक़ीस बानो के समर्थन में पदयात्रा को लेकर मैग्सेसे विजेता संदीप पांडे को हिरासत में रखा गया

गुजरात पुलिस ने संदीप पांडे समेत सात एक्टिविस्ट को 25 सितंबर की देर रात इसलिए हिरासत में ले लिया, क्योंकि वे अगले दिन गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कर का शिकार हुईं बिलक़ीस बानो के समर्थन में और उनके दोषियों की समयपूर्व रिहाई के विरोध में एक पदयात्रा निकालने वाले थे.

गुजरात दंगा: साक्ष्य गढ़ने के मामले में तीस्ता सीतलवाड़ और दो अन्य के ख़िलाफ़ आरोप-पत्र दाख़िल

गुजरात दंगों से जुड़े मामलों के सिलसिले में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व पुलिस अधिकारियों आरबी श्रीकुमार तथा संजीव भट्ट पर झूठे सबूत गढ़कर क़ानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की साज़िश रचने का आरोप लगाया गया है, ताकि कई लोगों को ऐसे अपराध में फंसाया जा सके, जो मौत की सज़ा के साथ दंडनीय हो.

गुजरात: 2016 के विरोध प्रदर्शन मामले में कोर्ट ने जिग्नेश मेवाणी को छह महीने की सज़ा सुनाई

गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जिग्नेश मेवाणी को 2016 के एक विरोध प्रदर्शन से जुड़े मामले में सड़क अवरुद्ध करने को लेकर यह सज़ा सुनाई गई है. इससे पहले मई महीने में गुजरात की एक अदालत ने साल 2017 में बगैर अनुमति के ‘आज़ादी रैली’ निकालने के लिए मेवाणी को तीन महीने क़ैद की सज़ा सुनाई थी.

गुजरात: आम आदमी पार्टी का अहमदाबाद कार्यालय में छापे मारे जाने का दावा, पुलिस ने इनकार किया

आम आदमी पार्टी का कहना है कि रविवार को पुलिस ने अहमदाबाद पार्टी कार्यालय पर अवैध रूप से छापा मारा जहां उन्होंने कार्यालय घुसकर बिना अदालती आदेश या वारंट के दो घंटे तक तलाशी ली. आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने कहा कि गुजरात में उनकी पार्टी मिल रहे अपार समर्थन से भाजपा बौखला गई है.

जेल से बाहर आने के बाद तीस्ता सीतलवाड़ का पहला साक्षात्कार

वीडियो: सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात दंगों की जांच को गुमराह करके ‘निर्दोष लोगों’ को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने की कथित साज़िश के लिए जून महीने में गिरफ़्तार किया  गया था. सुप्रीम कोर्ट द्वारा ज़मानत मिलने के बाद उन्हें बीते शनिवार को साबरमती जेल से रिहा किया गया है. उनसे बातचीत.

गुजरात: परिवार के तीन सदस्यों के इस्लाम अपनाने का आरोप, विरोध में हिंदू संगठनों ने निकाली रैली

गुजरात के बनासकांठा ज़िले का मामला. हिंदुत्ववादी संगठनों ने मामले में धर्मांतरण और लव जिहाद का आरोप लगाया है, जबकि पुलिस ने इससे इनकार किया है. इस संबंध में दर्ज एफ़आईआर में आरोप लगाया गया है कि पत्नी, बेटे और बेटी के इस्लाम धर्म अपनाने और उनसे अलग रहने से अवसाद में रहने के कारण हरेश सोलंकी नामक व्यक्ति ने आत्महत्या करने की कोशिश की है.

सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ गिरफ़्तारी के क़रीब दो महीने बाद जेल से बाहर आईं

गुजरात की साबरमती जेल से रिहा किए जाने के बाद तीस्ता सीतलवाड़ को ज़मानत की औपचारिकताओं के लिए सत्र न्यायालय में पेश किया गया. अदालत ने उन्हें बिना अनुमति देश नहीं छोड़ने को कहा है. सीतलवाड़ को गुजरात दंगों की जांच को गुमराह करके ‘निर्दोष लोगों’ को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने की कथित साज़िश के लिए बीते जून महीने में गिरफ़्तार किया  गया था.

सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को अंतरिम ज़मानत दी

गुजरात पुलिस ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को बीते जून महीने में साल 2002 के गुजरात दंगों की जांच को गुमराह करके ‘निर्दोष लोगों’ को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने की कथित साज़िश के लिए गिरफ़्तार किया था. 

संवैधानिक संस्थाओं में व्यक्तिगत आज़ादी के मूल्य के प्रति तिरस्कार का भाव क्यों है

अक्सर गिरफ़्तारी हो या ज़मानत, पुलिस और अदालत सत्ता से सहमति रखने वालों के मामले में 'बेल नियम है, जेल अपवाद' का सिद्धांत का हवाला देते दिखते हैं पर मुसलमानों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं या पत्रकारों का नाम आते ही इस नियम को उलट दिया जाता है.

सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर गुजरात पुलिस ने फिल्म निर्देशक को हिरासत में लिया

फिल्मकार अविनाश दास अपने सोशल मीडिया एकाउंट से दो तस्वीरें साझा की थीं. इनमें से एक ​तस्वीर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ झारखंड की गिरफ़्तार आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल की थी, जबकि दूसरी तस्वीर में एक महिला नज़र आ रही थी, जिसके शरीर पर राष्ट्रीय ध्वज चित्रित किया गया था.

गुजरात दंगे: सीतलवाड़, श्रीकुमार के बाद एसआईटी ने पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट को गिरफ़्तार किया

संजीव भट्ट अन्य मामलों में वर्ष 2018 से पालनपुर ज़ेल हैं. उनकी गिरफ़्तारी स्थानांतरण वॉरंट के ज़रिये हुई है. 2002 के गुजरात दंगों के एक मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देते वक़्त सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी को आधार बनाकर अहमदाबाद पुलिस ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व आईपीएस अधिकारियों आरबी श्रीकुमार व संजीव भट्ट के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की थी.

पूर्व नौकरशाहों का सुप्रीम कोर्ट से ज़किया की याचिका पर ‘अनावश्यक टिप्पणी’ वापस लेने का आग्रह

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगा मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य लोगों को एसआईटी द्वारा क्लीनचिट दिए जाने को चुनौती देने वाली ज़किया जाफ़री की याचिका बीते 24 जून को ख़ारिज कर दी थी. पूर्व नौकरशाहों ने अपने पत्र में कहा है कि इस निर्णय का सबसे ख़तरनाक हिस्सा यह है कि अदालत एक सिद्धांत के साथ सामने आई है, जो राज्य को उन व्यक्तियों को गिरफ़्तार कर मुक़दमा चलाने का आदेश देता है, जो जांच एजेंसियों

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